खुशी के साथ ही बरसात का मौसम अपने साथ कई मुसीबतें लेकर आता है। एक तो गर्मी व उमस की मार, ऊपर से चटपटा खाने मन और पेट के खराब होने का पूरा चांस। इस मौसम में इसी कारण अक्सर आंत्रशोथ या पेचिश की शिकायत जल्दी ही हो जाती है। बरसात में बचें आंत्रशोध से।
आंत्रशोथ या पेचिश का कारण/ cause gastroenteritis or dysentery
हरियाली के साथ ही बरसात का मौसम अपने साथ कई मुसीबतें भी लेकर आता है। एक तो गर्मी व उमस की मार, ऊपर से चटपटा खाने मन और पेट के खराब होने का पूरा चांस। हरी सब्जियां यूँ तो बहुत सारी आने लगती है मगर कीमत व स्वाद की दृष्टि से कम ही रूचिकर लगती है। ऐसे में मन जब अनायास ही चटपटी, बाजारू चाट पकौड़ियों, शीतल पेय, शर्बतों, लस्सियों या जलजीरा वालों की तरफ खिंचा चला जाता है। कटे हुए टमाटर व तरबूज तथा आईस्क्रीम पर तो बच्चे टूट ही पड़ते हैं। तब यही लोभ व आकर्षण अक्सर आंत्रशोथ या पेचिश का कारण बन जाता है।
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बरसात में इनसे बचें/ avoid these in the rain
बाजार में ठेलों या दुकान से कटे हुए फल, खुले खाद्य पदार्थ, बिना धुला सलाद व हरी सब्जियां खा लेना
बिना हाथ धोए कुछ भी खा लेना,
बासी और आठ घण्टे से ज्यादा का बना भोजन खाना
बिना फ्रिज की रखी लस्सी, शर्बत,, बिना फिल्टर किया पानी पीना
मक्खियों से लथपथ खुले में रखे चाट-पकौड़े, मिठाईयां, लोकल आईसक्रीम व शीतलपेय पीना
गन्ने का रस जैसे प्राकृतिक किंतु असुरक्षित पेय पीना
क्योंकि ये भी आंत्रशोथ के कारण बनते है।
क्या होता है आंत्रशोध/ What is gastroenteritis?
आंत्रशोथ यानी आंतों में संक्रमण होने पर पेट में पहले दर्द या मरोड़ के साथ दस्त या पेचिश शुरू होती है।
शुरू में ध्यान न दिए जाने या लापरवाही अथवा अच्छे डॉक्टर के पास जाने से बचने की आदत के चलते दस्तों को संख्या बढ़ सकती है।
जिससे शरीर में पानी की कमी तक हो जाती है।
अधिक लापरवाही में ग्लूकोज लगवाने या कई बार तो मृत्यु तक का खतरा बन जाता है।
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रखें सावधानी/ be careful
उपचार से सावधानी भली के सिद्धांत पर चला जाए तो आंत्रशोथ या पेचिश से आसानी से बचा जा सकता है
बस नीचे लिखी थोड़ी-सी बातें ध्यान में रखें व अमल में लाएं:-
बासी, गले सड़े फल व सब्जी कदापि प्रयोग में न लायें। फल व सब्जी ताजे व अच्छे ही इस्तेमाल करें।
ठण्डे व बासी भोजन से बचें। ताजा बना हुआ भोजन ही प्रयोग में लाएं।
बाजारू पेयों जैसे बेल का रस, गन्ने का रस, लोकल ड्रिंक, सॉफ्ट ड्रिंक्स के प्रयोग से यथासंभव बचें।
घर पर बने देसी या अच्छी कंपनी के नए पैक पेय हो प्रयोग करें।
बच्चों को मुंह में हाथ डालने, अंगूठा चूसने, दांत कुतरने व बिना हाथ धोए कुछ भी खाने से रोकें।
यदि आपको किसी चीज के खाने से अक्सर दस्त की शिकायत हो जाती हो यानी एलर्जी हो तो उसके सेवन से परहेज करें।
भोजन के बाद व दिन में थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद ताजा, स्वच्छ व फिल्टर पानी पीते रहें।
जल अल्पता को रोकने हेतु ग्लूकोज, इलेक्ट्रॉल, नींबू पानी, आम का पना या चीनी नमक का बना ओ. आर. एस घोल रोगी को अवश्य देते रहें।
तली भुनी व मसालेदार वस्तुओं के सेवन से यथासंभव परहेज करें।
यदि कभी आवश्यक रूप से सेवन करना पड़े तो अच्छी दुकान से खरीदें या घर बनाकर खाएं।
बच्चों को दाल का पानी, चावल मांड व दही भी दी जा सकती है,
मगर ध्यान रहे, ये भी स्वच्छ, शुद्ध व ताजे ही हों।
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बर्तनों को साफ पानी में धोएं/ Wash utensils in clean water
उबला हुआ पानी ही पिएं। पानी को उबालकर ठंडा कर लें, फिर इसे स्वच्छ बर्तन में ढक कर रख लें।
खाने-पीने के बर्तन भी एक दम साफ-सुधरे एवं कीटाणु रहित होने चाहिए।
बस, ये जरा-जरा सी सावधानियां ही आपकी पेचिश डिहाइड्रेशन तथा आंत्रशोथ से रक्षा करेंगी।
फिर भी इसके शिकार हो जाएं तो तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर को जरूर दिखाएं ताकि हालत न बिगड़े।
और हां खाना पीना बिल्कुल न छोड़ें। खाने में हल्की या उबली हुई चीजें लें।
एक बार फिर, कच्ची सब्जी, सलाद या फलों से परहेज करें।
नारियल का पानी, दाल अथवा उबले हुए चावल का पानी पीते रहें।
इलेक्ट्रॉल , ग्लुकोज़ या ओआरएस का तथा दही, नींबू पानी, शिकंजी आदि तरल पदार्थ पर्याप्त मात्रा में लेते रहें।
इससे डिहाईड्रेशन नहीं होगा।
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