Saturday, September 13, 2025
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पॉपकॉर्न की खोज कैसे हुई?

पॉपकॉर्न की खोज कैसे हुई?
पॉपकॉर्न की खोज कैसे हुई?

सिनेमा और पॉपकॉर्न का रिश्ता तो जाना-माना है। लेकिन कभी आपने सोचा है कि पॉपकॉर्न की खोज कैसे और कब हुई?

वैसे तो भोजन से जुड़े इन रहस्यों को सुलझाना बड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि पुरातत्ववेत्ताओं के लिए अतीत में झांकने की एकमात्र खिड़की अतीत में छूटे हुए अवशेष होते हैं, खासकर उन मामलों में जब लोगों ने चीज़ें लिखकर दर्ज नहीं की हों।

प्राचीन लोग प्राय: लकड़ी, जानवरों के अंगों से बनी सामग्री या कपड़े इस्तेमाल करते थे जो बहुत जल्दी नष्ट हो जाते हैं और ये सब खुदाई में मिलना दुर्लभ है; सबूत के तौर पर खुदाई में अक्सर मिट्टी के बर्तन या पत्थर के औज़ार जैसी कठोर चीज़ें ही मिलती हैं। लेकिन नरम चीज़ें – जैसे भोजन के बचे हुए हिस्से – मिलना बहुत मुश्किल है। बिरले ही, कुछ शुष्क जगहों पर कोई नरम चीज़ संरक्षित मिल जाती है। या फिर किसी जली हुई चीज़ के अवशेष सलामत मिलने की संभावना रहती है।

पुरातत्वविदों को मिले प्रमाण

सौभाग्य से, मक्के में कुछ कठोर भाग होते हैं जैसे कर्नेल खोल (भुट्टा या पॉपकॉर्न खाते वक्त जो आपके दांतों में फंस जाता है वह हिस्सा)। फिर, खाने के पहले हम इसे भूनते या सेंकते हैं इसलिए कभी-कभी यह जल भी जाता है। और इसका जलना पुरातत्वविदों को प्रमाण के रूप में मिलकर फायदा पहुंचा जाता है। और सबसे बड़ी बात यह है कि मक्के सहित कुछ पौधों में छोटे, सख्त हिस्से होते हैं जिन्हें फायटोलिथ कहा जाता है, जो हज़ारों सालों तक सलामत रह सकते हैं।

9000 साल से होती है मक्के की खेती

पॉपकॉर्न की खोज कैसे हुई?

अब, यह तो हम जानते हैं कि मक्का पिछले 9000 साल से हमारी खेती का हिस्सा है। इसकी खेती सबसे पहले वर्तमान के मेक्सिको में शुरू हुई थी। तब के किसानों ने एक तरह की घास, टेओसिन्टे, को मक्का में विकसित किया था। खेती से पहले लोग जंगली टेओसिन्टे इकट्ठा करते थे और उसके बीज खाते थे, जिसमें बहुत सारा स्टार्च होता था। खेती के लिए उन्होंने हमेशा सबसे बड़े बीजों वाले टेओसिन्टे चुने और उगाए। इस चयन से समय के साथ टेओसिन्टे से मक्का प्राप्त हुआ।

पॉपिंग मक्के की खोज

इसकी कई किस्में हैं। इनमें से ज़्यादातर किस्में गर्म करने पर पॉप हो जाती हैं या फूट जाती हैं। लेकिन इसकी एक किस्म, जिसे वास्तव में ‘पॉपकॉर्न’ कहा जाता है, सबसे अच्छे से पॉपकॉर्न बनाती है।

पेरू से 6700 साल प्राचीन पॉप होने वाले मक्के के फायटोलिथ और जले हुए दानों के अवशेष मिले हैं।

ऐसा अनुमान है कि पॉपिंग मक्के की खोज दुर्घटनावश हुई होगी। खाना पकाते समय कुछ दाने आग में गिर गए होंगे, और खाना बनाने वाले ने नए व्यंजन बनाने के इस तरीके पर गौर कर लिया होगा। और फिर, नए व्यंजन के अलावा पॉपकॉर्न बना कर रखना मक्के को लंबे समय तक सहेजने में आसानी देता होगा।

दरअसल, आग में तपाकर दाने से पानी सुखाने से इसे जल्दी खराब होने से बचाया जा सकता है। गर्म करके सुखाते वक्त दाने का पानी भाप बनकर निकलता है, यही पॉपकॉर्न को पॉप करता है। तो हो सकता है कि सिनेमा हॉल का यह साथी अनाज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की कोशिश का परिणाम है।

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