गर्मियों में जरूर खाएँ फालसा
खनिजों से भरपूर शीतल प्रकृति के फल फालसे का शर्बत पीने में बहुत स्वादिष्ट एवं पाचन शक्ति में वृद्धि करने वाला होता है। यह गार्मियों में पित्तनाशक एवं गर्मीनाशक माना जाता है।
- प्रकृति ने मानव को असंख्य फल-फूल दिए हैं।
- यदि हम नियमित रूप से इनका सेवन करें, तो हम कई प्रकार की बीमारियों से बच सकते हैं।
- फलों को यदि भोजन से पहले खाएं, तो हमें खनिज एवं विटामिन आसानी से प्राप्त हो सकते है।
- ऐसा ही एक फल है फालसा।
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खनिजों से भरपूर फालसा
- यह एक ऐसा फल है जो कई खनिज अपने में समेटे हुए है।
- फालसा बहुत ही छोटा मटर के दाने के आकार का लाल-बैंगनी फल है, जो बहुत कम प्रचलित है।
- इसका कच्चा फल हरा होता है और पका फल खट्टा मीठा होता है।
शीतल एवं शांतिदायक प्रकृति का फल माना जाता है।
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- इसका शर्बत पीने में बहुत स्वादिष्ट एवं पाचन शक्ति में वृद्धि करने वाला होता है।
- यह गार्मियों में पित्तनाशक एवं गर्मीनाशक माना जाता है।
- फालसा खाने से यौवन शक्ति और वीर्य उत्पादन में वृद्धि होती है।
- यह पेशाब की जलन मिटाने में परम सहायक रहता है।
- दिल की कार्यक्षमता बढ़ाने की क्षमता रखता है फालसा।
- रक्त के दबाव को नार्मल एवं सामान्य रखने में यह परम सहायक होता है।
फालसा मन मस्तिष्क को प्रबल बनाता है। - मूत्र के रूक जाने पर फालसा खाने से मूत्र विकार दूर हो जाते हैं।
फालसा शर्बत प्यास को दूर करता है। - मौसम आने पर भी फालसा फल बहुत कम मात्रा में बाज़ार में मिलता है।
कम होने के कारण यह महंगा भी मिलता है। - महंगा होने के कारण आम लोगों की पहुंच से बाहर होता है।
बच्चे फालसा बहुत चाव से खाते हैं। - यह खट्टा मीठा फल बहुत स्वादिष्ट लगता है।
- फालसा के कम होने का कारण प्रदूषण एवं पर्यावरण पर बढ़ रही जनसंख्या का प्रहार है।
कम हो रहे हैं वृक्ष
- जितने वृक्ष प्रति वर्ष काटे जाते हैं, उतने लगाए नहीं जाते।
- हर प्रजाति के वृक्ष समाप्त होते जा रहे हैं या कम होते जा रहे हैं।
- यदि हम फलों को आहार में स्थान दें, तो हम कभी बीमार नहीं होंगे।
- फल खाने से उनका रस सीधे रक्त में जाता है।
- फलों के रेशे-रफेज का काम करते हैं।
- वे आंतड़ियों में फंसा मल बाहर निकलने में सहायता करते हैं।
- जो लोग नित्य फलाहार और रसाहार करते हैं, उनको डॉक्टर की शरण में कम जाना पड़ता है।
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पर्यावरण के प्रति हमारा कर्तव्य
- वृक्ष हमें फल ही नहीं, जीवन भी देते हैं।
- वृक्ष वातावरण की दूषित वायु लेकर शुद्ध प्राणदायी आक्सीजन देते हैं।
- आजकल शहतूत, जामुन, फालसा, बेर आदि के वृक्ष कम होते जा रहे हैं।
- इनके अतिरिक्त हमें आंवला, नीम, के वृक्ष लगाने चाहिए।
- ये फल आयुर्वेद की दृष्टि से स्वास्थ्य सुधार के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं।