आंखें प्रकृति की दी हुई नियामत हैं। इन्हें संभाल कर रखना, हमारा परम कर्त्तव्य है। जिन लोगों को कुछ नहीं दिखता या बहुत कम दिखता है, उनके लिए हर जगह अंधेरा ही अंधेरा है। दृष्टिदोष मुख्यतः दो प्रकार के पाये जाते हैं। एक तो जन्म से दृष्टिहीनता, दूसरे दृष्टि की कमज़ोरी। कमज़ोर दृष्टि वाले तो चश्मा पहन कर दुनिया की रंगीनी और प्रकृति का मज़ा ले सकते हैं।

- दैनिक जीवन में व्यस्तता अधिक होने के कारण और प्रदूषित वातावरण के कारण आज के समय में छोटी उम्र में ही बच्चों को चश्मा लग जाता है। वैसे, चश्मा लगाने के अन्य कई कारण भी हैं। जैसे- कुपोषणता, शरीर में विटामिन `ए’ की कमी का होना, अधिक उत्तेजक पदार्थों का सेवन करना, कम रोशनी या अधिक रोशनी में काम करना, धूप में नंगे पांव चलना, अधिक देर तक धूप में काम करना, मधुमेह रोग का होना, अधिक तले भोज्य पदार्थों का सेवन करना, अधिक समय तक पास से टी. वी. देखना, लेट कर पढ़ना, लगातार कब्ज़ का शिकार होना आदि। दृष्टिदोष होने के कारण चश्मा लगाना अनिवार्य हो जाता है। चश्मा आवश्यक होने पर यदि न लगवाया जाए, तो यह दोष निरंतर बढ़ता जाता है।
अपनी नेत्र ज्योति को बचाकर रखना हमारा कर्त्तव्य है। यदि हम कुछ आसान नियमों को अपना लें, तो हम अपनी नेत्र ज्योति को बचा कर रख सकते हैं – - रात्रि में सोने से पूर्व तथा प्रातः सुबह उठ कर अपनी आंखों को ठंडे जल से धोना चाहिए। नहाते समय हो सके, तो आई कप में ठंडे जल से व्यायाम करें।
- पार्क में मुलायम घास पर नंगे पांव 15 से 20 मिनट तक टहलना आंखों की दृष्टि के लिए उत्तम व्यायाम माना जाता है।
- सोते समय नियमित रूप से पैरों के तलवे पर सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिए।
- दिन में काम करते समय जब आंखों में थकान महसूस हो, तो अपने हाथों की हथेलियों के कप बनाकर उन्हें आंखों पर रखने से आराम मिलता है। इस क्रिया को दिन में तीन-चार बार दोहराया जा सकता है। जब कप बना कर हथेलियों को आंखों पर रखें, तो आंखें बंद कर लें और दाएं हाथ की उंगलियों को बाएँ हाथ की उंगलियों पर रख लें।
- आंखों की नाड़ियों का मल दूर करने के लिए सूत्र नेति या जल नेति करें। इस क्रिया को किसी योग अध्यापक से सीख कर करें।
- नेत्र ज्योति बढ़ाने के लिए सूर्य नमस्कार, ताड़ आसन, भुजंग, मकर, शवासन और नौका आसन करने से लाभ मिलता है। आसन के साथ कुछ प्राणायाम कर भी दृष्टि-दोष से दूर रह सकते हैं। जैसे- दीर्घश्वास, नाड़ी शोधन और कपालभाति।
- दिन में आंखें भींचने और आंखें झपकाने वाली क्रिया को करते रहें। पढ़ते समय, लिखते समय, टी. वी. देखते समय बीच-बीच में पलकें झपकाते रहने से आंखों में ताजगी बनी रहती है।
- आहार में विटामिन ए, बी. सी. डी. की प्रचुर मात्रा लें। नियमित रूप से गाजर, शलगम, पालक, पत्तागोभी, टमाटर, मटर, सोयाबीन, आंवला, अमरूद, पपीता आदि का सेवन करें। तेज मिर्च-मसालों और तले हुए खाद्य-पदार्थों से दूर रहें।
- आंखों में सूजन आने पर, पानी अधिक निकलने पर और लाली आने पर डॉक्टरी जांच समय पर करवाएँ। यदि लगातार सिरदर्द भी रहे, तो अपनी आंखों की जांच विशेषज्ञ से करवाएं। चश्मा लग जाने की स्थिति में उसे पहनें, उससे भागें नहीं।

