Written by Sarika Asati
- नागपंचमी पर नागों की पूजा की जाती है और सर्प दंश से रक्षा करने के लिए प्रार्थना की जाती हैI
- गांवों में नागपंचमी का उत्सव काफी जोरशोर से मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा करके उनको धान का लावा और दूध चढ़ाया जाता है। इस अवसर पर नागपंचमी की कथा का पाठ करना जरूरी होता है।
- सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। सावन शुक्ल पक्ष की नागपंचमी इस साल 9 अगस्त को है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और दूध लावा चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से सर्पदंश से आपकी रक्षा होती है और आपके घर में धन धान्य में वृद्धि होती है।
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नागपंचमी की कथा/ Story of Nag Panchami
- एक बार देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया और उस मंथन से एक दिव्य श्वेत अश्व प्रकट हुआ। इस देखकर नागमाता कद्रू ने अपनी सौतन विनता से कहा कि यह घोड़ा सफेद रंग का है और इसके बाल काले हैं। लेकिन विनता कद्रू को नहीं पसंद करती थी। उसने कहा यह घोड़ा न तो श्वेत है और न ही लाल और न ही काला है। दोनों में शर्त लग गई। तब कद्रू ने चाल चलते हुए अपने सभी नागपुत्रों से कहा कि वे अपना आकार छोटे करके घोड़े से लिपट जाएं ताकि यह काला नजर आने लगे। कद्रू के कुछ पुत्रों ने बात मान ली लेकिन कुछ ने मानने से इंकार कर दिया। तब कद्रू ने अपने इन पुत्रों को पांडवों के वंश में उत्पन्न होने वाले राजा जनमेजय के यज्ञ में भस्म हो जाने का शाप दे डाला। शर्त हारने के कारण विनता कद्रू की दासी बन गई।
- शापित नाग तब ब्रह्माजी की शरण में पहुंचे। तब उन्होंने कहा कि इस चिंता मत करो, मैं तुम्हें इस शाप से मुक्त होने का रास्ता बताऊंगा। ब्रह्माजी ने इन्हें बताया कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे वह आप सभी की रक्षा करेंगे। जिस दिन ब्रह्माजी ने नागों को रक्षा का उपाय बताया था वह पंचमी तिथि थी।
- आस्तिक मुनि ने सावन की पंचमी को ही नागों को यज्ञ में जलने से बचाया और इनके ऊपर दूध डालकर जलते हुए शरीर को शीतलता प्रदान की। तब से पंचमी तिथि नागों की प्रिय बन गई। नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी को जो भी मेरी पूजा करेगा उसे नागदंश का भय नहीं रहेगा। तब से पंचमी तिथि के दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है।
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पितृ और कालसर्प दोष से मुक्ति/ Freedom from Pitra and Kaalsarp Dosh
- इस दिन बाबा भोलेनाथ के संग नाग देवता की पूजा करने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खासकर पितृ दोष और कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है। इस दिन काल सर्प दोष निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान कर इससे मुक्ति पायी जाती है। इसके साथ ही जो भी इस दिन नाग देवता की पूजा करता है, उसकी मृत्यु कभी सांप के काटने से नहीं होती है। इस दिन अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक आठ नागों की पूजा करने का विधान है।प्रकृति पूजा से जुड़ा पर्व हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार प्राचीन काल से ही नाग देव को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। यह प्रकृति पूजा से जुड़ा पर्व भी है। इस दिन नाग देव को दूध से स्नान कराकर उनकी पूजा की जाती है। नाग देव को दूध पिलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर सांप की मूर्ति बनाने की भी परंपरा है। माना जाता है कि यह घर को सांप के प्रकोप से बचाता है।
- नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से नाग या कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नागपंचमी – नागपूजा का पर्व
- नाग देव की पूजा करने से व्यक्ति को भविष्य में सर्पदंश का सामना नहीं करना पड़ता। कालसर्प दोष व्यक्ति इस दिन श्री सर्प सूक्त का पाठ कर इससे मुक्ति पा सकते हैं। जबकि, पितृदोष निवारण के लिए व्यक्ति को नागपंचमी के दिन विशेष पूजा करनी होती है। और बेलपत्र, धतूर, शहद चढ़ना शुभ माना जाता है!
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