
आज नशा सबके सिर चढ़ कर बोल रहा है। आम आदमी इसकी गिरफ्त में जकड़ा हुआ है। आजकल नशे की गिरफ्त में सिर्फ युवक ही नहीं , बच्चे व नवयुवतियां भी आ चुकी है। नशे में युवा पीढ़ी
क्यों करते हैं नशा/ Why do they take drugs?
नशा बच्चों में नशा करने वाले वे बच्चे होते हैं जो कबाड़ या पोलीथिन कचरों के ढेर से इकट्ठे करते हैं और उन्हें कबाडि़यों के पास बेचने के बाद नशे के आइटम जैसे तंबाकू युक्त, गुटके, बीड़ी सिगेरट, शराब (कच्ची ) बोनफिक्स टायर-टयूब के पंक्चर जोड़ने वाले एड्हेसिहेसिव, या फिर खांसी की दवा टालुईन (इरेजर का घोल) इस्तेमाल करते हैं। पूछने पर ये बच्चे बताते हैं कि नशा करने के बाद उन्हें खूब आनंद आता है हालांकि बच्चे नशे के नुक्सान से अनजान होते हैं। उन्हें तात्कालिक आनंद प्राप्त होता है। उसमें वे मस्त रहते हैं।
इसी तरह पढ़ने वाले युवक एवं युवतियां जो सामान्य, गरीब व धनाढ्य परिवारों के होते हैं तनाव, बेरोजगारी पैसे की कमी या फिर जीवन में आनंद उठाने के लिए नशे का इस्तेमाल करते हैं।
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क्या लेते हैं नशा/ What drugs do you take?

नशे में तंबाकू, नशे के रूप में नींद की दवाइयां जैसे नाइटरसिट, एलेप्रेस्कस, काम्पोज, वेलियम प्राक्सम, विभिन्न सीरप में खांसी की दवाइयां बेनाड्रिल, कोरेक्स व एलोपैथिक दवाएं जिन्हें में असंतुलित मात्रा में ग्रहण कर मस्त हो जाते हैं जिससे इनका तनाव कम होता है और चिंता इत्यादि से मुक्ति मिल जाती है। बाद में यही आदत का रूप ले लेती है। नशे में युवा पीढ़ी
इसके अलावा नशे के पदार्थ में शराब, गांजा , अफीम, रासायनिक ड्रग जैसे ब्राऊन शुगर इत्यादि का प्रचलन भी खूब बढ़ा । छोटी -बड़ी जगहों में इनके एजेंट आसानी से अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराते हैं।
नशेडि़यों में कौन-से लक्षण उभरते हैं/ What symptoms emerge in drug addicts?
नशा करने वाले में कुछ असामान्य लक्षण सामने आते हैं जैसे
- चिड़चिड़ाना , हकलाना , लोगों में अरूचि उत्पन्न होना , अध्ययन के प्रतिविरक्ति , याददाश्त कमजोर होना , बात बात पर क्रोधित होना , रक्तचाप में असामान्य वृद्धि , अंगों का कंपकंपाना , नशा न लेने की स्थिति में बेचैनी बढ़ना , हिंसात्मक व्यवहार, बहकी -बहकी बातें करना , नजरों के कमजोर होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
- नशा आसानी से उपलब्ध है दवा की दुकानों में बिना डॉक्टर की पर्ची दिखाये दवाइयां उपलब्ध हो जाती हैं। इसके लिए दुकानदार देने में सहमति दिखा देते हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें अधिक से अधिक लाभ कमाना है क्योंकि नशेड़ी बेचैनी की स्थिति में दवा के रेट पर बहस नहीं करता बल्कि उपलब्धता की जल्दी में रहता है। नशे में युवा पीढ़ी
क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन/ What does the World Health Organization say?
- विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि विश्व की करीब 95 प्रतिशत आबादी ऐसी है जो धूम्रपान विरोधी कानून अस्तित्व में न होने के कारण अब तक असुरक्षित है। संगठन का कहना है कि यह खतरा उन देशों में और भी अधिक है जहां धूम्रपान या
- तंबाकू उत्पादों के उपयोग के लिए लोगों को हतोत्साहित नहीं किया जाता । तंबाकू संगठन का कहना यह भी है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो 2030 तक हर साल 80 लाख लोग मौत के गाल में समाते रहेंगे।
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हमें क्या करना चाहिए/ what should we do?
- माता -पिता अपने बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें। समय-समय पर उनके बस्ते या जेब की तलाशी लेते रहें। आस पास के लोगों से भी उसके व्यवहार की जानकारी इकट्ठी करें।
- अगर बच्चा गुमसुम या बेचैन रहता है तो क्यों रहता है इसका पता लगाने का प्रयास करें। आमतौर पर बच्चे आजकल सस्ते नशा जैसे पाउच में बिकने वाले गुटके, सिगरेट की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं।
- अतः उसके खान-पान पर नजर रखें तथा दिए गए जेब खर्च पर उसके खर्च करने के तरीके पर ध्यान दें। इन सबके बावजूद नशेबाज में सुधार न आए तो उसे नशा मुक्त संस्था ले जायें और चिकित्सकों की देखरेख में इलाज करायें।
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