Saturday, December 6, 2025
Homeविशेषत्योहारनदियों की पूजा/worship of rivers

नदियों की पूजा/worship of rivers

नदियों की पूजा/worship of rivers
नदियों की पूजा/worship of rivers
नदियों का सम्मान, प्रकृति से संबंध/Introduction: Rivers – Sacred and Sustainable

भारत एक ऐसा देश है जहाँ नदियाँ केवल जलधाराएँ नहीं, बल्कि जीवनदायिनी देवियाँ मानी जाती हैं। इनका पूजन वर्षा ऋतु से पहले और बाद में पूरे देश में विविध रूपों में किया जाता है। वर्षा के बाद नदियों का फिर से शुद्ध, जीवंत और उर्वर होना उनके पुनर्जन्म जैसा माना जाता है।

उड़ीसा में संक्रांति से पहले नदी पूजन की परंपरा/River Worship before the 12th Sankranti in Odisha

उड़ीसा में वर्ष की बारहवीं संक्रांति, जो आमतौर पर मध्य जून में पड़ती है, उससे पहले नदियों की पूजा की जाती है।

मन्नतों का भाव:
  • बारिश में खेत बर्बाद न हों।
  • नदी उर्वर मिट्टी किसानों के लिए छोड़ जाए, समुद्र में न ले जाए।
  • खेती और फसलें समृद्ध रहें।
उड़ीसा की पूजा विशेषताएँ:
  • चार दिनों तक चलने वाली यह पूजा भूताहा, बासी राजा, और बासुमति स्नान के नाम से प्रसिद्ध है।
  • इसे नदीनाथ की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है

Read this also – वरलक्ष्मी व्रत पूजा विधि/Varalakshmi Vrat Puja Vidhi

उत्तराखंड की पूजा परंपरा/Milk and Honey Offerings in Uttarakhand Rivers

उत्तराखंड में आषाढ़ माह के पहले दिन नदियों में दूध, शहद और फूल अर्पित कर उनका आह्वान किया जाता है।
इसका उद्देश्य यह है कि नदियाँ विकराल रूप न धारण करें और विनाश न करें।

बारिश के बाद भाद्रपद पूर्णिमा पर नदी पूजन/River Worship after Monsoon: Bhadrapada Purnima Tradition

जैसे बारिश के पहले पूजा की जाती है, वैसे ही भाद्रपद माह की पूर्णिमा (भादो की पूर्णमासी) के दिन नदियों का पुनर्जन्म मानते हुए उनका पूजन किया जाता है।
यह मान्यता है कि वर्षा के बाद नदियाँ नवयौवना हो जाती हैं – शुद्ध, पवित्र और जीवनदायिनी।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नदी पूजन के लाभ/Scientific Angle: Rain and River Ecology
  • बारिश नदियों को शुद्ध और ऑक्सीजन युक्त बनाती है।
  • यह हमारी सालभर की गंदगी को बहा ले जाती है।
  • बारिश के तेज बहाव से उर्वर मिट्टी भी बह जाती है – कभी नुकसान, कभी लाभ।

नदी का रास्ता बदलना:

उत्तर भारत में कई नदियाँ अपना मार्ग बदल लेती हैं। नई जगहों पर उर्वरता आती है, लेकिन स्थायित्व में समय लगता है, जिससे किसानों को परेशानी भी होती है।

नदी स्नान और स्वास्थ्य का संबंध/River Bathing and Seasonal Hygiene

नदियों की पूजा/worship of rivers

  • बारिश के दौरान नदी में स्नान की परंपरा नहीं होती।
  • क्योंकि उस समय नदियाँ गंदगी, जीवाणु और विषाक्त पदार्थों से भरी होती हैं।
  • इसलिए भाद्रपद पूर्णिमा के बाद से स्नान पुनः शुभ माना जाता है।
कांवड़ यात्रा और नदी जल की पवित्रता/Kanwar Yatra and Sacred Water Logic
  • सावन माह में, कुछ निश्चित स्थानों से ही गंगा जल भरने का नियम है।
  • कारण: बारिश के दिनों में जल शुद्ध नहीं होता।
  • जबकि फाल्गुन में कहीं से भी जल लिया जा सकता है।
  • शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक धार्मिक दृष्टि से भी आवश्यक है।

Read this also – फ्रेंडशिप डे सरप्राइज आइडियाज/Friendship day surprise ideas

नदियाँ: धार्मिक से लेकर पारिस्थितिक पूंजी तक/Rivers: From Religion to Ecology

भारत में नदियाँ हमारी:

  • धार्मिक आस्था
  • सांस्कृतिक पहचान
  • आर्थिक निर्भरता
  • आध्यात्मिक साधना
  • और पर्यावरणीय आधारशिला हैं।

उनका सम्मान केवल पूजा नहीं, प्रकृति के प्रति कर्तव्य है।

नदियों से संबंध केवल श्रद्धा नहीं, संरक्षण भी है/Rivers Deserve Devotion and Conservation

नदी-पूजन की परंपरा सिर्फ अंधविश्वास नहीं, बल्कि पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक है। हमें नदियों को स्वच्छ और संरक्षित रखने का संकल्प लेना चाहिए।
बारिश के बाद की यह पूजा हमें यह याद दिलाती है कि नदियाँ फिर से जीवित हो गई हैं—हमारे लिए, हमारी भूमि के लिए, और हमारे भविष्य के लिए।

यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है लेख पसंद आये तो इसे ज़्यादा से ज्यादा शेयर करें। अपने विचार और सुझाव कमेंटबॉक्स में ज़रूर लिखे।

 

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments