Thursday, September 19, 2024
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द ग्रेट बनियन ट्री/ The Great Banyan Tree

हिंदुस्तान की पहचान है यह विशालकाय बरगद 

`द ग्रेट बनियन ट्री’ का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। 14,500 वर्ग मीटर में फैला यह बरगद पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आचार्य जगदीशचंद्र बोस बॉटेनिकल गार्डेन, हावड़ा में मौजूद है। इस पर डाक टिकट भी जारी की गई है।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज/ Recorded in Guinness Book of World Records

  • द ग्रेट बनियन ट्री का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।
  • बरगद का यह पेड़ 14,500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है।
  • करीब 24-25 मीटर ऊंचा और 3000 से ज्यादा जटाओं या शाखाओं से युक्त है।
  • यह पेड़ न सिर्फ दुनिया का विशालतम बरगद का पेड़ है बल्कि यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की पहचान भी है।
  • जी हां, हम पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आचार्य जगदीशचंद्र बोस बॉटेनिकल गार्डेन, हावड़ा में स्थित ‘द ग्रेट बनियन ट्री` की ही बात कर रहे हैं।

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वर्ष 1787 में लगाया गया/imposed in the year 1787

  • इस महान बरगद के पेड़ के मौजूद विवरण के मुताबिक इसे यहां सन 1787 में लगाया गया था।
  • तब इसकी उम्र 20 साल थी।
  • मतलब करीब 255 साल से भी ज्यादा पुराना है दुनिया का यह विशालतम बरगद।

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जंगल की तरह दिखता है/ looks like a forest

  • आज यह किसी एक पेड़ के रूप में नहीं बल्कि एक विशाल जंगल के रूप में दिखता है।
  • दूर से देखने पर ही नहीं, बिल्कुल नजदीक से देखने पर भी यह हजारों पेड़ों का घना जंगल लगता है।
  • इस पेड़ की सिर्फ विशालता ही आश्चर्य में नहीं डालती बल्कि यह जानकर भी आप हैरान रह जाएंगे कि
  • अलग-अलग किस्म के 80 से ज्यादा पक्षी प्रजातियों का इसमें निवास है।
  • आमतौर पर किसी एक पेड़ में ज्यादा से ज्यादा 10-15 किस्म के पक्षी ही निवास कर सकते हैं,
  • क्योंकि कोई भी पेड़ जिस भूगोल में मौजूद होता है,
  • उसके इर्दगिर्द रहने वाले पक्षियों में इतने या इससे कम ही पक्षी एक जगह अपनी निजता के साथ रह सकते हैं।
  • लेकिन द ग्रेट बनियन ट्री चूंकि महज पेड़ नहीं बल्कि अपने आपमें एक जंगल है,
  • इसलिए यहां दर्जनों तरह के पक्षियों के लिए न सिर्फ अपना भरपूर निजी कोना है
  • बल्कि कई पक्षी तो ताउम्र इस पेड़ में रहते हुए भी इसके दूसरे कोने से परिचित नहीं हो पाते।
  • इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह इतना विशाल पेड़ है।

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तूफानों से भी रहा बेअसर/remained unaffected even by storms

  • बरगद का यह विशाल पेड़ सिर्फ बड़ा ही नहीं है बल्कि बहुत मजबूत भी है।
  • यही कारण है कि कोलकाता में अकसर आने वाले चक्रवाती तूफानों ने इसे घायल तो कई बार किया है,
  • मगर किसी तूफान में इतना दम नहीं रहा कि इसे पूरी तरह से तहस-नहस कर सकता।
  • हालांकि कोलकाता के इतिहास में दो बार ऐसे चक्रवाती तूफान आये हैं, जब इन्होंने बहुत बड़े पैमाने पर तहस-नहस मचायी थी।
  • इनमें से एक समुद्री तूफान साल 1884 में आया था, जिसके कारण लाखों पेड़ जड़ से उखड़ गये थे।
  • कोलकाता शहर इस तूफान के बाद बड़े पेड़ों से लगभग रहित हो गया था।
  • कई सालों बाद 1925 में भी ऐसा ही तूफान आया, जिसने एक बार फिर से असंख्य पेड़ों को धराशायी कर दिया था।
  • लेकिन इस विशालकाय द ग्रेट बनियन ट्री का कोई भी तूफान बाल तक बांका नहीं कर सके।
  • यह पेड़ कोलकाता के इतिहास के दो सबसे खौफनाक तूफानों को बिना खरोंच आए झेल गया था।

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हिन्दुस्तान की पहचान/ identity of india

  • आज की तारीख में यह द ग्रेट बनियन ट्री महज कोलकाता की ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान की पहचान है।
  • इसे देखने देश के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि दुनिया के हर कोने से लोग आते हैं।
  • एक अनुमान के मुताबिक तकरीबन हर रोज औसतन 4000 लोग इस विशालकाय बरगद के पेड़ को देखने कोलकाता के इस बॉटनिकल गार्डेन में आते हैं।
  • इसकी विशालता पूरी दुनिया के लोगों के दिलोदिमाग में एक जबरदस्त कौतूहल पैदा करती है।
  • इस पेड़ की देखरेख के लिए बकायदा कर्मचारियों की फौज है।
  • 13 लोग तो दिन-रात सिर्फ इस पेड़ के स्वास्थ्य की जांच पड़ताल में ही लगे रहते हैं।
  • इस पेड़ के चारों तरफ अच्छी-खासी तार की बाड़ लगा दी गई है ताकि लोग इसे छू-छूकर नुकसान न पहुंचाएं।
  • कुछ सालों पहले लगातार बारिश के कारण इस पेड़ के नीचे लंबे समय तक पानी भर रहा था, जिस कारण इसकी कई शाखाओं में फफूंद लग गई।
  • जब वैज्ञानिकों को इसके बारे में पता चला तो इसके इलाज के लिए आनन फानन में देश-विदेश से विशेषज्ञ बुलवाये गये।
  • इन विशेषज्ञों की देखरेख में इसका इलाज किया गया।
  • इसकी उन तमाम शाखाओं को पेड़ से अलग कर दिया गया, जो फफूंद के कारण सूख गई थीं या सूखने की तरफ बढ़ रही थीं।

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डाक टिकट जारी/ postage stamp issued

  • साल 1987 में इस विशालकाय द ग्रेट बनियन ट्री के सम्मान में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया था।
  • इस टिकट में द बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया का प्रतीक चिन्ह है। विशेषज्ञों की मानें तो जिस तरह से यह पेड़ करीब आधी-आधी शताब्दी के अंतराल में अपना कायाकल्प कर लेता है,
  • उससे अंदाजा यही लगता है कि यह न सिर्फ पिछले करीब पौने तीन सौ सालों से अनवरत अपना वजूद कायम किये हुए है
  • बल्कि आने वाले वक्त में भी यह और भी सैकड़ों साल जिंदा रहेगा। कोलकाता के इस द ग्रेट बनियन ट्री की दुनिया के 10 दुर्लभ पेड़ों में गिनती होती है
  • और यह पूरी दुनिया में जनरल नॉलेज के एक सवाल के रूप में भी अपनी मौजूदगी रखता है।

 

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