Friday, September 12, 2025
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 दूध : आयुर्वेदिक नज़रिया

 दूध : आयुर्वेदिक नज़रिया
दूध : आयुर्वेदिक नज़रिया

                                           

गाय के दूध में विटामिन ए, बी, सी, डी, ई पाये जाते हैं। इसका दूध पीने से शरीर का पोषण होता है निर्बलता दूर होती है। यह शीघ्र हजम होता है। खांसी, जीर्ण ज्वर, दमा , प्रमेह, सूजाक आदि रोगों में पथ्य का कार्य करता है। दूध :आयुर्वेदिक नज़रिया

  1. गाय के दूध
  • रोगियों के लिए गाय का दूध सर्वश्रेष्ठ माना गया है। गाय का धारोष्ण दूध शहद के साथ सेवन करने से ताकत, बुद्धि और वीर्य को बढ़ाता है। दूध को हमेशा एक उबाल आने पर ही गुनगुना पीना चाहिए। दूध को अधिक उबालने से उसके पोषक तत्व कम हो जाते हैं और दूध गरिष्ठ हो जाता है। दूध को जन्तु रहित और वायु प्रकृति को कम करने के लिए दूध को अवश्य उबालना चाहिए।
  • गाय का दूध पर आई हुई मलाई को निकाल देना चाहिए क्योंकि यह मलाई गरिष्ठ, शीतल, तृप्ति का रक, पुष्टि दायक, स्निग्ध, कफ का रक और धातुवर्धक होती है।
  • गाय का दूध में गुड़ डालकर पीने से मृत्रा कृच्छ रोग को दूर करता है परन्तु कफ और पित्त को बढ़ाने वाला होता है। दूध को हमेशा रात में ही पीना चाहिए। रात मे पीने से बुद्धि प्रद, क्षयना शक, वृद्धों के लिए वीर्यप्रद, अधिक पथ्य और अनेक रोगों को यह ठीक कर देता है।
  • गाय के दूध में 8-10 बूंद का गजी नींबू का रस डालकर तुरन्त पीने से बवासीर के रोग को ठीक करता है। सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • दूध को हमेशा घूंट-घूंट ही पीना चाहिए। गाय का दूध के पीने के बाद दही या खटाई का सेवन नहीं करना चाहिए।
  1. बकरी के दूध
  • बकरी के दूध में विटामिन ए, बी , सी , डी , ई पाया जाता है गाय के दूध की अपेक्षा इसका दूध शीघ्र हजम होता है। इसका दूध हल्का और कसैला होता है। अतिसार, खांसीक्षय बुखार, रक्तपित्त को दूर करता है। बकरी कद में छोटी होती है तीखे और कड़ुए पदार्थ खाती है पानी कम पीती है। इसका दूध समस्त रोगों को ठीक करता है।
  • बकरी के दूध को मथानी से मथकर थोड़ा गर्म ही पीना चाहिए। इसका दूध मैथुन शक्ति को बढ़ाने वाला होता है। इसके दूध के सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती है। यह रक्त से विषों को शरीर से बाहर निकाल देता है और अनिद्रा के रोग को दूर करता है।
  • आंखों में दर्द होने पर एकदम साफ व स्वच्छ रूमाल या कपड़े की पट्टी बना कर इसके दूध में पट्टी को भिगोकर आंखों पर रखने से जलन, दर्द, सुर्खी में तुरन्त आराम मिलता है। नींद न आने की शिकायत होतो दूध को माथे, सिर पर मलने और पैरों के तलुओं पर रगड़ने से अच्छी नींद आती है।
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  1. भैंस के दूध

 दूध : आयुर्वेदिक नज़रिया

  • भैंस के दूध में विटामिन बी , सी , डी , ई मिलता है इसका दूध अत्यंत बलवर्धक, नींद लाने वाला होता है और शरीर को मोटा करता है। मैथुनशक्ति , श्रमहारक और क्षुधा को दूर करता है। जठराग्नि को दूर करने वाला और गाय के दूध की अपेक्षाकृत अधिक चिकना और भारी होता है।
  1. मां (स्त्राी ) का दूध
  • स्त्राी का दूध जन्म से ही प्रत्येक बालक के लिए अनुकूल होता है। नवजात शिशु के शरीर में जीवनशक्ति प्रदान करता है और शिशु के शरीर में स्निग्धता आ जाती है।

 

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– सारिका असाटी

                                   

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