Thursday, September 19, 2024
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दीपक कौन से घी-तेल से जलाएँ

दीये के लिए सही तेल, घी और बाती कौन से हैं

 दिवाली पर लोग घर पर दीये जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। आपको इसकी जानकारी होनी चाहिए कि इन दीयों को जलाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला घी या तेल बहुत महत्व रखता है। दीये जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और शांति व समृद्धि आती है। ऐसे में यह ध्यान देना बहुत जरूरी है कि इस मौके पर हम किस घी या तेल का इस्तेमाल कर दीया जला रहे हैं।

 जानकारी जरूरी

  • दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के साथ दीपक जलाने की परंपरा है।
  • दीपक का प्रकाश अंधकार को दूर करता है।
  • जीवन में किसी प्रकार का अंधकार नहीं होना चाहिए।
  • लक्ष्मी पूजन से जुड़ी चीजों में नियमों की जानकारी जरूरी है।
  • डॉ. मनोज मुरारका (ऑयल रिसर्चर)  का कहना है कि कई बार जानकारी के अभाव में हम दीयों में सही तेल नहीं प्रयोग करते हैं।
  • इस नादानी का नकारात्मक प्रभाव पड़ जाता है।

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कौन-सा तेल इस्तेमाल करें

  • हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है दिवाली ।
  • दिवाली पर लोग घर पर दीये जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। इन दीयों को जलाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला घी या तेल बहुत महत्व रखता है।
  • इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और शांति व समृद्धि आती है।
  • ऐसे में यह ध्यान देना बहुत जरूरी है कि इस मौके पर हम किस घी या तेल का इस्तेमाल कर दीया जला रहे हैं।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली पर देसी घी के अलावा कुछ तेलों का इस्तेमाल कर दीये जलाए जा सकते हैं।
  • इनमें सरसों का तेल, तिल का तेल, पंचदीप तेल, अलसी का तेल और नारियल का तेल प्रमुख हैं।

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खुशी का प्रतीक है दीया

  • असल में हिंदू धर्म और कई अन्य धर्मों में पूजा के लिए दीपक का इस्तेमाल किया जाता है।
  • दीपक की रोशनी अंधकार, शोक और दुखों को दूर करने का प्रतीक है।
  • अंधकार को दूर करने के के अलावा किसी भी शुभ अवसर को शुरू करने से पहले दीपक जलाने की प्रथा है।
  • हर घर में पूजा के लिए निरंतर दीया जलाया जाता है।
  • कहा जाता है कि दीपक जलाने से सर्वशक्तिमान की चमक पूरे घर में फैल जाती है।
  • और देवताओं को हमारे घरों में आने का निमंत्रण मिलता है।
  • साथ ही दीयों से निकलने वाली रोशनी सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि बढ़ाने का काम करती है।
  • दिवाली के दिन तो खासतौर पर घर को रोशन करने के लिए दीये जलाए जाते हैं।
  • ताकि घर को रोशनी से भरपूर करके मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाए। वैसे तो दीपक जलाने के लिए किसी भी तेल का इस्तेमाल करना व्यक्तिगत पसंद है,
  • लेकिन ज्ञात तथ्यों के आधार पर विशेष तेलों के इस्तेमाल से दीपक जलाने के कई फायदे होते हैं।

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देसी घी के दीए

  • सबसे पहले बात करते हैं देसी घी से जलाए जाने वाले दीयों की।
  • देसी घी में गाय के घी को सबसे शुद्ध माना जाता है।
  • गाय के घी से दीपक जलाने से वातावरण में सकारात्मकता आती होती है। माना जाता है कि दिवाली पर देसी घी का दीया जलाने से दरिद्रता भी समाप्त होती है।
  • घर में धन व स्वास्थ्य सुख बना रहता है।
  • इसके साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा भी परिवार पर होती है।

तिल का तेल

  • दीपक जलाने के लिए तिल के तेल का इस्तेमाल करना भी शुभ माना जाता है।
  • मान्यता है कि इसका इस्तेमाल कर दीपक जलाने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और बुराइयां दूर हो जाती हैं।
  • तिल का तेल दीर्घकालिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और जीवन की बाधाओं को भी दूर करता है।

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पंचदीप तेल

  • दिवाली पर पंचदीप तेल का इस्तेमाल करके भी दीये जलाने चाहिए। मान्यता है कि पंचदीप तेल से दीपक जलाने से घर में सुख, स्वास्थ्य, धन, प्रसिद्धि और समृद्धि आती है।
  • पंचदीप तेल सही और शुद्ध अनुपात में पांच तेलों का मिश्रण है।
  • जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आपकी प्रार्थनाओं की पवित्रता सुरक्षित है।

सरसों का तेल

  • दीपक जलाने के लिए सरसों का तेल सबसे लोकप्रिय विकल्प है। ज्योतिषियों का कहना है कि दीया जलाने के लिए सरसों के तेल का प्रयोग करने से शनि से संबंधित दोष दूर होते हैं।
  • और रोगों से भी बचाव होता है।
  • हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाने से सारे दोष दूर हो जाते हैं।
  • और सोया हुआ भाग्य भी जागने लगता है।

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नारियल तेल

  • सरसों के तेल के अलावा देश में नारियल तेल भी काफी लोकप्रिय है।
  • यह खाने के साथ शरीर पर लगाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • मान्यता है कि पूजा के दीयों में नारियल के तेल का प्रयोग करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
  • इसलिए दिवाली के मौके पर नारियल तेल के दीये भी जलाए जा सकते हैं।

अन्य तेल

  • हालांकि नीम, अरंडी, चमेली का तेल आदि दीयों को जलाने के लिए कम लोकप्रिय तेल हैं, लेकिन इनका उपयोग किया जा सकता है।
  • अधिकतर बार इन्हें सुचारू उपयोग के लिए अन्य तेलों के साथ मिश्रित किया जाता है।

कौन से तेल से बचें

  • दीयों को जलाने के लिए मूंगफली का तेल, सूरजमुखी का तेल, पाम ऑयल, वनस्पति तेल से बचें।
  • सिंथेटिक तेल, कॉटन बीज का तेल आदि का उपयोग करने से भी बचें।

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दीपक का महत्व

  • ऋग्वेद के अनुसार, दीपक में देवताओं का वास होता है, इसलिए पूजन से पहले दीपक जलाने की परंपरा है।
  • इसके साथ ही किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व दीप प्रज्ज्वलित करते हैं।
  • शास्त्रों के अनुसार, दीपक को सदैव भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने ही प्रज्ज्वलित करना चाहिए।
  • घी का दीपक अपने बाएं हाथ की तरफ रखकर जलाएं।
  • और तेल का दीपक हमेशा दाईं ओर रखकर जलाना चाहिए।

बाती का महत्व

  • दीपक की बाती का भी विशेष महत्व है।
  • घी की बाती जला रहे हैं तो दीपक में रुई की बाती का प्रयोग करना उत्तम माना गया है।
  • वहीं जब तेल का दीपक जलाते हैं तो लाल धागे की बाती बनानी चाहिए।

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दिशा का महत्व

  • दीपक जलाने के बाद उसकी दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • इस बात का ध्यान नहीं रखने पर नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। दीपक को कभी कोने में नहीं रखना चाहिए।
  • दीपक को पश्चिम दिशा में रखने से भी बचें।
  • खंडित दीपक का प्रयोग करने से लक्ष्मी जी नाराज होती हैं।
  • वहीं दीपक जलाते समय शुभ मुहूर्त का भी ध्यान रखें। शुभ मुहूर्त में दीपक जलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

ज्योतिषियों के अनुसार

  • ज्योतिषियों का कहना है कि दिवाली पर पूजा में तेल और बाती का विशेष महत्व होता है।
  • दिवाली पर माता लक्ष्मी की तस्वीर अथवा मूर्ति के सामने नौ या सात बत्ती का दीया जलाना शुभ माना जाता है।
  • दिवाली पर मिट्टी के दीये ही जलाने चाहिए।
  • लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य और गहरा होना चाहिए।
  • सात मुखी दीपक जलाने से धन संबंधी तंगी दूर होती है।
  • अगर आप धन प्राप्ति के लिए पूजा करना चाहते हैं तो अलसी के तेल का दीपक जलाना भी शुभ माना गया है।

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  • अलसी के तेल से जहां राहु-केतु का बुरा प्रभाव समाप्त हो जाता है।
  • वहीं सभी तरह के नजर दोष से भी मुक्ति मिलती है।
  • इसके साथ ही माता लक्ष्मी धन की बरसात भी करती हैं, जिससे आर्थिक तंगी दूर होती है।
  • विशेष ध्यान रखें कि पूजा या दीपक में डाला जाने वाला घी या तेल नकली और मिलावटी न हों।
  • अगर आप इस तरह के घी या तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको पूजा का फल नहीं मिलेगा।
  • साथ ही यह एक प्रकार का दोष भी है, जिससे आपको बचने का प्रयास करना चाहिए।

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