Friday, September 12, 2025
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तनाव मुक्ति–बंधन

 

तनाव मुक्ति का सर्व ढंग-तनाव बंधन/ All methods of stress relief – Stress Bandhan
तनाव मुक्ति का सर्व ढंग-तनाव बंधन/ All methods of stress relief – Stress Bandhan

निस्संदेह हम सब ऐसा जीवन जीना चाहते हैं जिसमें आनन्द ही आनन्द हो। हम अपने व्यक्तित्व को ऐसा स्वरूप देना चाहते हैं जो जीवन की गंभीर चुनौतियों को तनाव रहित होकर सुलझा सके, उनसे डरे नहीं। यदि हम ऐसे ‘तनावमुक्त मन‘ का निर्माण करना चाहते हैं तो हमें सबसे पहले यह जानना होगा कि- तनाव मुक्ति–बंधन

तनाव बंधन मन/Stress bond mind-

‘मन‘ वास्तव में है क्या ? हमारी सारी क्रिया यें ‘मन‘ के द्वारा ही संचालित होती हैं अतः यह वैसे भी अनिवार्य हो जाता है कि हम अपने जीवन के नियामक तत्व ‘मन‘ के विषय में अधिक से अधिक जानकर उसे अपनी प्रज्ञा के अनुसार कार्य में लगा सकें।

अगर हम मन को परिभाषित करना चाहें तो कह सकते हैं ’मन‘ अनगिनत विचारों के समूह का नाम है। हर क्षण हमारा मस्तिष्क विभिन्न प्रकार के विचारों को ग्रहण करता है। गहरी तन्द्रा की स्थिति को छोड़कर ऐसा पल ढूंढना प्रायः मुश्किल ही होता है जब हमारा मस्तिष्क विचारों से रहित हो । हम चाहें या न चाहें,हेंविचारों का मस्तिष्क पटल पर आगमन निरन्तर बना रहता है।

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तनाव बंधन,तनाव मुक्ति/ tension release:
तनाव मुक्ति–बंधन

ये विचार विभिन्न विषयों से संबंधित होते हैं तथा इनमें निरंतरता का अभाव होता है। हर क्षण इन विचारों के विषय बदलते रहते हैं। एकाग्रता की स्थिति में व्यक्ति उन विचारों को एक ही विषय पर केन्द्रित करने में सफल हो पाता है। एकाग्रता की शक्ति भी हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। व्यक्ति की सफलता -असफलता का राज उसकी एकाग्रता की शक्ति में ही छिपा होता है।

तनाव मुक्ति का सर्वश्रेष्ठ तरीका तनाव को स्वीकार कर लेना है। सबसे पहले यह स्वीकार करना कि मुझे तनाव है आपके आधे तनाव को समाप्त कर देगा । उसके बाद आप शान्त बैठकर उस तनाव युक्त विचार को विश्लेषित करना प्रारम्भ करें। आप देखेंगे कि तनाव का मूल कारण आपके अन्दर बहुत गहरे में छिपी किसी किस्म की असुरक्षा की भावना है।

असुरक्षा की भावना तनाव मुक्ति/ feeling of insecurity stress relief

कई प्रकार की होती है मसलन आर्थिक असुरक्षा, सामाजिक असुरक्षा, अहंकार कीअसुरक्षा इत्यादि।

अहंकार की असुरक्षा का भाव तब उठता है जब हम किसी को अपने से श्रेष्ठ प्रदर्शन द्वारा सार्वजनिक रूप से स्वयं को पीछे छूटता हुआ महसूस करते हैं।  उस स्थिति में हमारी तथा कथित ईगो, जो स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानती है तनाव डिप्रेशन (अवसाद) का शिकार हो जाती है।

हमेशा के लिये तनाव मुक्त होने का एक ही रास्ता है स्वयं को हर किस्म की असुरक्षा की भावना से मुक्त करना आर्थिक असुरक्षा की भावना के अलावा अन्य सारी असुरक्षा की भावना यें सिर्फ विचार के स्तर पर ही होती हैं उनकी कोई भौतिक यथार्थता नहीं होती। मनोवैज्ञानिक असुरक्षा बोध में श्रेष्ठजनों की श्रेष्ठता स्वीकार कर, हृदय को विशाल कर सकारात्मक प्रतियोगिता द्वारा स्वयं के गुणों में अभिवृद्धि कर मानसिक तनावों से मुक्त हो जाना चाहिये।

आर्थिक स्तर की असुरक्षा की भावना अपनी वास्तविक आर्थिक आवश्यकताओं के विश्लेषण द्वारा एवं पुरूषार्थ द्वारा धनोपार्जन के आत्मविश्वास से पूर्ण होकर दूर की जानी चाहिये और अन्ततः यह जानकर कि व्यक्ति का जीवन पृथ्वी पर सीमित समयावधि के लिये ही है अतः उसमें पूर्ण स्थायित्व ढूंढना सृष्टि के नियमों के विरूद्ध है व्यक्ति समस्त असुरक्षा बोधों से मुक्ति पा लेता है।

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– सारिका असाटी

 

 

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