भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। उनका पूरा जीवन उपलब्धियों से भरा है। शुक्रवार को होने वाले सभी कार्यक्रमों को रद कर दिया गया है। उनकी किताब इंडियाज एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है
HighLights
92 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में ली आखिरी सांस।
आर्थिक सुधारों में मनमोहन सिंह का अमिट योगदान।
डॉ. मनमोहन सिंह (Ex PM of India) भारत के 13 वें प्रधानमंत्री थे। वह एक अर्थशास्त्री भी थे। लोकसभा चुनाव 2009 में मिली जीत के बाद वह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने, जिन्हें पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री (Dr Manmohan Singh Passes Away) बनने का अवसर मिला था। उन्हें 22 जून 19 91 से 16 मई 1996 तक पीवी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों का श्रेय दिया जाता है।
कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड से की पढ़ाई/Studied at Cambridge and Oxford
पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए। जहां से उन्होंने पीएचडी की। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी-फिल भी किया। उनकी पुस्तक इंडियाज एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है।
अर्थशास्त्र के शिक्षक के तौर पर मिली ख्याति/Got fame as an economics teacher
डॉ. सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वह पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। (Dr Manmohan Singh Achievements) इसी बीच वह संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 और 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। 1971 में डॉ. सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किए गए। इसके बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया।
आरबीआई गवर्नर भी रह चुके/ HE WAS EVEN THE RBI GOVERNOR
मनमोहन सिंह योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। इसके अलावा रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे। भारत के आर्थिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष और पीएम के आर्थिक सलाहकार भी रहे/Also served as Vice Chairman of Planning Commission and Economic Advisor to PM.
1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने लगातार पांच वर्षों तक कार्य किया, जबकि 1990 में वह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार (Economic Reforms of India 1991) बनाए गए। जब पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मनमोहन सिंह को 1991 में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया और वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा। इस समय वह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे। मगर संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है। इसलिए उन्हें 1991 में असम से राज्यसभा भेजा गया था।
मनमोहन सिंह को उनके सार्वजनिक जीवन में अनेकों पुरस्कार मिले हैं। उनमें प्रमुख हैं, भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण, जो कि उन्हें 1987 में दिया गया था।
इसके अलावा 1995 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार, 1993 और 1994 वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी पुरस्कार, 1993 वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी पुरस्कार, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार और कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955)।
इसके अलावा मनमोहन सिंह कैम्ब्रिज और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालयों सहित कई विश्वविद्यालयों से मानद उपाधियां प्राप्त कर चुके हैं।
कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने साइप्रस में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (1993) और 1993 में वियना में मानवाधिकारों पर विश्व सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
पीएम रहते मनमोहन सिंह की उपलब्धियां/Achievements of Manmohan Singh as PM
NREGA: साल 2005 में शुरू की गई इस स्कीम ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया। इसके तहत हर ग्रामीण परिवार को कम से कम 200 दिनों के रोजगार की गारंटी मिली, जिससे उन्हें आजीविका चलाने में काफी सहायता हुई। साथ ही ग्रामीण बुनियादी ढांचे में भी सुधार हुआ।
सूचना का अधिकार (RTI): साल 2005 में ही इस कानून को भी पारित किया गया था, जिसने सरकारी कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ाया। इस कानून के तहत जनता को सरकार के फैसलों और नियमों से जुड़ी किसी भी जानकारी को हासिल करने का अधिकार है।
आधार योजना: आधार योजना से प्रत्येक भारतीय नागरिकों को एक यूनिक पहचान दिलाई, जिससे लोगों तक सरकारी सेवाओं की पहुंच आसान हो गई। साथ ही कई पहचान पत्र की जगह इस एक पहचान पत्र ने लोगों का जीवन आसान किया।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही लोगों के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर करने की प्रणाली शूरू की गई थी। इससे भ्रष्टाचार को कम करने में काफी हद तक मदद मिली और लोगों तक सरकारी सहायता सीधे पहुंचने लगी।
भारत-अमेरिका परमाणु समझौता: इस समझौते के बाद भारत को नागरिक परमाणु तकनीक तक पहुंच मिली और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को भी मजबूती मिली। इसे डॉ. सिंह के कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धी के तौर पर देखा जाता है।
यह लेख एक सामान्य जानकारी पर आधारित है लेख पसंद आए तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।अपने विचार और सुझाव कमेंटबॉक्स में जरूर लिखें।