Thursday, September 19, 2024
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डिजिटल होते रिलेशन/Relationships going digital

गायब होता पर्सनल टच

जब हम अपने किसी अजीज का हालचाल पूछने के लिए व्हाट्सएप या फेसबुक में चेटिंग का सहारा लेते हैं, तब यह डिजिटल सुविधा हमें सम्पन्न करने की बजाय गरीब करती है। क्योंकि संबंधों के डिजिटल हो जाने से उनमें जो प्यार और अपनेपन का टच होता है, वो खत्म हो जाता है।

टेक्नोलॉजी ने दी सुविधाएँ/Technology provided facilities

  • टेक्नोलॉजी ने हमारी जिंदगी को निःसंदेह बहुत आरामदायक बना दिया है।
  • पहले जहां छोटे छोटे काम हफ्तों अटके रहते थे और हमें तनाव में रखते थे,
  • वहीं आज पलक झपकते ही एक ही क्लिक में बिजली का बिल जमा हो जाता है।
  • बच्चे की स्कूल फीस जमा हो जाती है। दफ्तर छुट्टी की अप्लीकेशन चली जाती है।
  • यहां तक तो ठीक है।

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खत्म होता अपनापन/ intimacy ends

  • लेकिन जब हम अपने किसी अजीज का हालचाल पूछने के लिए व्हाट्सएप या फेसबुक में चेटिंग का सहारा लेते हैं,
  • तब यह डिजिटल सुविधा हमें सम्पन्न करने की बजाय गरीब करती है।
  • क्योंकि संबंधों के डिजिटल हो जाने से उनमें जो प्यार और अपनेपन का टच होता है, वो खत्म हो जाता है।
  • लेकिन आज ऐसा ही हो रहा है।
  • डिजिटल टेक्नोलॉजी हमारे उन भावनात्मक रिश्तों में भी घुस आयी है,
  • जहां उसके होने को कभी सोचा भी नहीं जा सकता था।
  • आज हम अपने दोस्तों, सहकर्मियों, और जिनके साथ हमारे सामाजिक लेनदेन हैं,
  • उन सबको हम डिजिटल माध्यम से ही गुड मॉर्निंग या गुड इवनिंग कहना पसंद करते हैं।
  • कई लोगों से हम महीनों महीनों नहीं मिलते। कानों से उनकी आवाज भी नहीं सुनते। फिर भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।
  • व्हाट्सएप और फेसबुक चैटिंग के जरिये हम उनसे जुड़े रहते हैं।
  • हमें उनसे आमने सामने मिलने की अंदर से जरूरत ही नहीं महसूस होती।

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रिश्तों का डिजिटिलाइजेशन/digitalization of relationships

  • यह रिश्तों का डिजिटिलाइजेशन है और बहुत खतरनाक है।
  • क्योंकि इन रिश्तों में एक स्तर के बाद सिर्फ कामकाज की जुबानभर रह जाती है।
  • जिससे हमें काम होता है, उसके हम संपर्क में रहते हैं और जिससे काम नहीं होता उसे चुपचाप भूल जाते हैं।
  • सवाल है क्या ये डिजिटल रिलेशन हमारी जिंदगी में वास्तविक रिश्तों की जो जगह है, उसकी भरपायी करते हैं?
  • जिन लोगों से हम अपने मोबाइल, लैपटॉप या टेबलेट से दिन रात टच में रहते हैं,
  • क्या कभी वाकई हमें उनकी बहुत ज्यादा जरूरत हो तो वे हमारे काम आ सकते हैं?
  • किसी से फोन में बात करने से क्या वही एहसास होता है जो किसी से आमने-सामने बैठकर बातचीत में होता है?

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वास्तविक दुनियाँ की दरकार/real world needs

  • वक्त आ गया है कि अब डिजिटल दुनिया और वास्तविक दुनिया की सही मायनों में तुलना हो।
  • हम यह तय करें कि क्या रिश्तों को हमें डिजिटल फार्मेट में रखना चाहिए या इन्हें पुराने तरीके से ही निभाना चाहिए।
  • ऐसा नहीं है कि पहले हमारे पास अनौपचारिक जानकारियों का कोई जरिया नहीं होता था।
  • अकसर शाम को घर में लोग इकट्ठे होने पर कई तरह की जानकारी और अनुभवों को साझा किया करते थे।
  • वह आज मिलने वाले गूगल ज्ञान से किसी भी मायने में कम नहीं होता था।
  • सबसे बड़ी बात यह होती थी कि वह ज्ञान हमें एक अनुभव की परख के साथ और भावनात्मक जुड़ाव के साथ मिलता था।
  • लेकिन आज हमें किसी भी मसले पर एक क्लिक करते ही जानकारियां हासिल होती हैं,
  • वे निःसंदेह थोक के भाव होती है और बिना अतिरिक्त मेहनत किये मिलती है।
  • लेकिन यह भी सच है कि ऐसी जानकारियां तब तक धोखे का सौदा हैं,
  • जब तक सचमुच में उन्हें क्रॉस चेक करने की हममें क्षमता न हो।
  • पहले जहां ज्यादातर कपल डिनर के वक्त एक-दूसरे से बातचीत किया करते थे। बातों को ध्यान से सुना करते थे।
  • अब किसी के पास अपने मोबाइल के अलावा किसी के लिए समय नहीं है।

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खतरनाक है वर्चूअल दुनिया/ Virtual world is dangerous

  • धीरे धीरे औपचारिक गेट टू गेदर खत्म होती जा रही है।
  • लोग अब मिलने जुलने के काम को वर्चुअल में ही निपटा रहे हैं।
  • हद तो यह है कि तिथि-त्यौहार में भी लोग अपने बगल के दरवाजे तक नहीं जाना चाहते।
  • सारा प्यार, भावनात्मक रिश्तों का सारा दुलार बस एक क्लिक के जरिये निपटा देना चाहते हैं।
गायब होता पर्सनल टच/ Personal touch is disappearing

  • जानकार कहते हैं कि जब तक रिश्तों में पर्सनल टच न हो तब तक रिश्ता महसूस नहीं होता
  • और डिजिटल लाइफस्टाइल में सभी तरह के संबंधों से पर्सनल टच गायब होता जा रहा है। यह खतरनाक है।
  • इंसान को ज्ञान से ज्यादा आत्मीयता और भावनात्मकता की जरूरत होती है।
  • डिजिटल दुनिया हर पहलू को कंप्यूटर की बाइनरी में तब्दील कर रही है,
  • जो चीजों को महज गणितीय न्यूमेरिकल्स के रूप में देखती है।
  • इसलिए रिश्तों का डिजिटलाइजेशन खतरनाक है।
  • जितना जल्दी हम इस बात को जान लें, उतना अच्छा है।

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