Thursday, September 19, 2024
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टीनएजर बच्चों के मददगार बनें पैरेन्ट्स

टीनएजर बच्चों को ऐसे सम्हालें

  • बच्चों को टीनएज में व्यवहार संबंधी कई समस्याएं आती हैं।
  • पैरेंट्स भी उस व्यवहार से एक हद के बाद परेशान हो जाते हैं।
  • टीनएज में हार्मोंन संबंधी बदलाव बच्चों को चिड़चिड़ा बना देते हैं।
  • बच्चे स्वयं को बड़ा महसूस करते हैं।
  • उन्हें लगता है माता-पिता को जो वे कह रहे हैं, वह सभी बातें सही हैं।
  • अब हम बड़े हैं। मां-बाप को हमारी बात माननी चाहिए।
  • जबकि वे अभी भी अपरिपक्व होते हैं।
  • न तो वे इतने छोटे होते हैं कि हम उनकी बात को पूरी तरह टाल सकें या बातों में फुसला सकें,
  • न ही इतने बड़े होते हैं कि हम उनकी हर बात मानें।
  • ऐसे में शुरूआत होती है आपस में टकराव की।
  • अगर पैरेंट्स कुछ बातों पर ध्यान दें तो टीनएज बच्चों के साथ मधुर रखने में मदद मिल सकती है।

स्वयं को ढालें

  • अपने टीनएज बच्चों की पसंद का विशेष ध्यान रखें।
  • उनके खाने की पसंद का ध्यान रखें, खेलने व पहनने की पसंद का ध्यान रखें।
  • अपनी सोच कि क्या बनना है,  यह गेम खेलना चाहिए या इस प्रकार की ड्रेस पहननी चाहिए,  टीनएज बच्चों पर न थोपें।
  • बस उन्हें यह बताएँ कि यह ठीक है या नहीं।
  • फैसला उन पर छोड़ दें।
  • उनकी पसंद को समझें और घर का वातावरण उसी के मुताबिक ढालने की कोशिश करें।
  • ताकि घर में शांत वातावरण बना रहे।

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थोड़ी छूट दें

  • टीनएज बच्चों को भी स्पेस चाहिए, इसलिए उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए थोड़ा समय और छूट दें।
  • ताकि वे समाज में जगह बना सें।
  • इसका अर्थ यह भी नहीं कि उन्हें इतनी आज़ादी दे दें कि वे अपनी मर्जी के मालिक बन जाएँ। और बुरा भला न पहचानें।
  • आज़ादी दें पर अपनी आँखें और कान खुले रखें।
  • जहाँ गलती करें, प्यार से उन्हें समझाएँ।
  • ताकि उन्हें अहसास हो कि माता-पिता ठीक कह रहे हैं।
  • अपनी मर्जी थोपे नहीं बल्कि उसकी भलाई-बुराई से वाकिफ कराएँ।

फैसले लेने का हक भी दें

  • बच्चे जब बड़े होने लगते हैं तो वे उम्मीद करते हैं कि पैरेंट्स उनके द्वारा लिए फैसलों की कद्र करें।
  • पैरेन्ट्स उनकी भावनाओं को समझें।
  • छोटे-छोटे फैसले अपने टीनएज बच्चों को लेने दें जिनसे उनका हौसला बढ़ेगा
  • और जीवन में कुछ कर पाने की उम्मीद भी बेहतर होगी।
  • इनसे माता-पिता और बच्चों में मधुर संबंध भी बनेंगे।
  • उनकी हर छोटी चीज पर हम अगर फैसला लेते हैं तो उनकी पर्सनेलिटी में निखार नहीं आ पाएगा।
  • न ही वे इंडिपेंडेंट बन पाएँगे।
  • आत्म विश्वास बढ़ने से उनका व्यक्तित्व निखरेगा।

बच्चों को प्यार और इज़्ज़त दें

  • प्यार और इज़्ज़त दो ऐसे हथियार हैं जिनसे आप किसी भी रिश्ते में मजबूती ला सकते हैं।
  • अपने टीनएज बच्चों के साथ इसे प्रयोग में लाएं।
  • इससे बच्चे भी बदले में हमें वही देंगे जो हम उन्हें देते हैं।
  • बच्चों पर बात-बात पर गुस्सा न करें, न ही उन्हें बहुत उपदेश दें।
  • बच्चों से जिस व्यवहार की उपेक्षा आप करते हैं, वैसा व्यवहार आप उनके साथ करें।

भरोसा करें

  • अगर हम बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे तो विश्वास करें कि वे कुछ गलत नहीं करेंगे।
  • बच्चों को कुछ आज़ादी दें कि वे लाइफ में आगे बढ़ें पर सही रास्ते अपना कर।
  • माता-पिता का साथ हमेशा उनके साथ है, इसका भरोसा उन्हें दिलाएँ।

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सहायता करें

  • कई बार बच्चे स्थिति को पूरी तरह समझ नहीं पाते और गलती कर बैठते हैं।
  • ऐसे में धीरज बरतते हुए पैरेंट्स बच्चों की मदद करें।
  • उन्हें डांटे-फटकारें नहीं, सही रास्ता दिखाएं।
  • रास्ता इस तरह से दिखाएं कि उन्हें सही-गलत की पहचान हो सके
  • और आपके सही मार्गदर्शन पर वे गर्व महसूस कर सकें।

माता-पिता आपस में न लड़ें

  • बच्चों के सामने माता-पिता को लड़ना नहीं चाहिए।
  • क्योंकि आपसी लड़ाई से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • कभी-कभी बच्चे इसका लाभ भी उठाने लगते हैं।
  • अगर आप दोनों बहस किए बिना, लड़े बिना गृहस्थी की गाड़ी का बढ़ाते हैं,
  • तो वह भी समझ जाएंगे कि हम इन्हें ब्लैकमेल नहीं कर सकते।
  • न ही बुद्धू बना सकते हैं।
  • जब आप अकेले हों तो आपसी गिले-शिकवे तभी डिस्कस करें और हल ढूँढने का प्रयास करें।
  • रिश्तेदारों की कमियाँ भी बच्चों के सामने डिस्कस न करें।
  • वरना, उन्हें भी दूसरों की कमियां ढूंढने में मजा आएगा।

 

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