टीनएजर बच्चों को ऐसे सम्हालें
- बच्चों को टीनएज में व्यवहार संबंधी कई समस्याएं आती हैं।
- पैरेंट्स भी उस व्यवहार से एक हद के बाद परेशान हो जाते हैं।
- टीनएज में हार्मोंन संबंधी बदलाव बच्चों को चिड़चिड़ा बना देते हैं।
- बच्चे स्वयं को बड़ा महसूस करते हैं।
- उन्हें लगता है माता-पिता को जो वे कह रहे हैं, वह सभी बातें सही हैं।
- अब हम बड़े हैं। मां-बाप को हमारी बात माननी चाहिए।
- जबकि वे अभी भी अपरिपक्व होते हैं।
- न तो वे इतने छोटे होते हैं कि हम उनकी बात को पूरी तरह टाल सकें या बातों में फुसला सकें,
- न ही इतने बड़े होते हैं कि हम उनकी हर बात मानें।
- ऐसे में शुरूआत होती है आपस में टकराव की।
- अगर पैरेंट्स कुछ बातों पर ध्यान दें तो टीनएज बच्चों के साथ मधुर रखने में मदद मिल सकती है।
स्वयं को ढालें
- अपने टीनएज बच्चों की पसंद का विशेष ध्यान रखें।
- उनके खाने की पसंद का ध्यान रखें, खेलने व पहनने की पसंद का ध्यान रखें।
- अपनी सोच कि क्या बनना है, यह गेम खेलना चाहिए या इस प्रकार की ड्रेस पहननी चाहिए, टीनएज बच्चों पर न थोपें।
- बस उन्हें यह बताएँ कि यह ठीक है या नहीं।
- फैसला उन पर छोड़ दें।
- उनकी पसंद को समझें और घर का वातावरण उसी के मुताबिक ढालने की कोशिश करें।
- ताकि घर में शांत वातावरण बना रहे।
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थोड़ी छूट दें
- टीनएज बच्चों को भी स्पेस चाहिए, इसलिए उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए थोड़ा समय और छूट दें।
- ताकि वे समाज में जगह बना सें।
- इसका अर्थ यह भी नहीं कि उन्हें इतनी आज़ादी दे दें कि वे अपनी मर्जी के मालिक बन जाएँ। और बुरा भला न पहचानें।
- आज़ादी दें पर अपनी आँखें और कान खुले रखें।
- जहाँ गलती करें, प्यार से उन्हें समझाएँ।
- ताकि उन्हें अहसास हो कि माता-पिता ठीक कह रहे हैं।
- अपनी मर्जी थोपे नहीं बल्कि उसकी भलाई-बुराई से वाकिफ कराएँ।
फैसले लेने का हक भी दें
- बच्चे जब बड़े होने लगते हैं तो वे उम्मीद करते हैं कि पैरेंट्स उनके द्वारा लिए फैसलों की कद्र करें।
- पैरेन्ट्स उनकी भावनाओं को समझें।
- छोटे-छोटे फैसले अपने टीनएज बच्चों को लेने दें जिनसे उनका हौसला बढ़ेगा
- और जीवन में कुछ कर पाने की उम्मीद भी बेहतर होगी।
- इनसे माता-पिता और बच्चों में मधुर संबंध भी बनेंगे।
- उनकी हर छोटी चीज पर हम अगर फैसला लेते हैं तो उनकी पर्सनेलिटी में निखार नहीं आ पाएगा।
- न ही वे इंडिपेंडेंट बन पाएँगे।
- आत्म विश्वास बढ़ने से उनका व्यक्तित्व निखरेगा।
बच्चों को प्यार और इज़्ज़त दें
- प्यार और इज़्ज़त दो ऐसे हथियार हैं जिनसे आप किसी भी रिश्ते में मजबूती ला सकते हैं।
- अपने टीनएज बच्चों के साथ इसे प्रयोग में लाएं।
- इससे बच्चे भी बदले में हमें वही देंगे जो हम उन्हें देते हैं।
- बच्चों पर बात-बात पर गुस्सा न करें, न ही उन्हें बहुत उपदेश दें।
- बच्चों से जिस व्यवहार की उपेक्षा आप करते हैं, वैसा व्यवहार आप उनके साथ करें।
भरोसा करें
- अगर हम बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे तो विश्वास करें कि वे कुछ गलत नहीं करेंगे।
- बच्चों को कुछ आज़ादी दें कि वे लाइफ में आगे बढ़ें पर सही रास्ते अपना कर।
- माता-पिता का साथ हमेशा उनके साथ है, इसका भरोसा उन्हें दिलाएँ।
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सहायता करें
- कई बार बच्चे स्थिति को पूरी तरह समझ नहीं पाते और गलती कर बैठते हैं।
- ऐसे में धीरज बरतते हुए पैरेंट्स बच्चों की मदद करें।
- उन्हें डांटे-फटकारें नहीं, सही रास्ता दिखाएं।
- रास्ता इस तरह से दिखाएं कि उन्हें सही-गलत की पहचान हो सके
- और आपके सही मार्गदर्शन पर वे गर्व महसूस कर सकें।
माता-पिता आपस में न लड़ें
- बच्चों के सामने माता-पिता को लड़ना नहीं चाहिए।
- क्योंकि आपसी लड़ाई से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- कभी-कभी बच्चे इसका लाभ भी उठाने लगते हैं।
- अगर आप दोनों बहस किए बिना, लड़े बिना गृहस्थी की गाड़ी का बढ़ाते हैं,
- तो वह भी समझ जाएंगे कि हम इन्हें ब्लैकमेल नहीं कर सकते।
- न ही बुद्धू बना सकते हैं।
- जब आप अकेले हों तो आपसी गिले-शिकवे तभी डिस्कस करें और हल ढूँढने का प्रयास करें।
- रिश्तेदारों की कमियाँ भी बच्चों के सामने डिस्कस न करें।
- वरना, उन्हें भी दूसरों की कमियां ढूंढने में मजा आएगा।