Saturday, December 6, 2025
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ज्योतिर्लिंगों का दिव्य महत्व/Divine Importance of Jyotirlingas

ज्योतिर्लिंगों का दिव्य महत्व
ज्योतिर्लिंगों का दिव्य महत्व

भारत धार्मिक मान्यताओं और पवित्र मंदिरों से बसा देश है, जहां लोग ईश्वर की आराधना करते हैं। यहां कई सारे प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं, इनमें भगवान भोलेनाथ के मंदिरों की महिला ही अपार है। कई भक्त हर साल भगवान शिव के इन मंदिरों, शिवालयों में हर साल लाखों की संख्या में जाते हैं।

इन्हीं पवित्र शिवालयों में भोलेनाथ के 12 प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भी हैं। इन ज्योतिर्लिंगों का महत्व सबसे अधिक है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में  भगवान शिव ज्योति के रूप में स्वयं विराजमान हैं। ये सभी ज्योतिर्लिंग भारत के अलग अलग राज्यों में स्थित हैं। इन ज्योतिर्लिंगों के अगर आप दर्शन करना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि इन 12 ज्योतिर्लिंगों का क्या नाम है और ये कहां स्थित है। सबसे ज्यादा ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में स्थित हैं।

शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंग/12 Jyotirlingas in Shiv Purana/

शिव पुराण के कोटिरुद्र संहिता में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का विस्तृत वर्णन किया गया है। इन प्राचीन 12 ज्योतिर्लिंग रूपी शिवलिंग में साक्षात भगवान शिव का वास माना जाता है। हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग के पूजा करने का विशेष महत्व रहा है।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग/Somnath Jyotirlinga

गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित यह ज्योतिर्लिंग सबसे पुराना और धरती का ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी।

ल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग/
12 ज्योतिर्लिंगों में दूसरा है मल्लिकार्जुन। यह ज्योतिर्लिंग भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर विराजमान हैं। इस मंदिर को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। साथ ही मान्यता यह भी है कि जो भक्त इस मंदिर में आकर दर्शन और पूजन करता है। उसे अश्वमेघ यज्ञ से मिलने वाले पुण्य के बराबर पुण्य मिलता है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग/ Mallikarjuna Jyotirlinga

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगरी में स्थित है। इसलिए उज्जैन को महाकाल की नगरी भी कहा जाता है। महाकालेश्वर एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां भगवान शिव की दिन में 6 बार आरती की जाती है। इसकी शुरुआत भस्म आरती से ही होती है। महाकाल में सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है। इसे मंगला आरती भी कहा जाता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्म आरती पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग/Omkareshwar Jyotirlinga

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में इंदौर के पास मालवा क्षेत्र में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के चारों और पहाड़ और नदी बहने से यहां ॐ का आकार बनता है। यह एकमात्र मंदिर है जो नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है। यहां पर भगवान शिव नदी के दोनो तट पर स्थित हैं। महादेव को यहां पर ममलेश्वर व अमलेश्वर के रूप में पूजा जाता है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग/Kedarnath Jyotirlinga

केदारनाथ मन्दिर उत्तरी भारत में पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है, जो समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग/Bhimashankar Jyotirlinga/

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे के पास 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग छटा ज्योतिर्लिंग माना गया है। यहां के स्थानीय लोग इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जानते हैं।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग/Kashi Vishwanath Jyotirlinga

यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग को विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इस शब्द का अर्थ होता है ‘ब्रह्माड का शासक’।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग/Trimbakeshwar Jyotirlinga

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग के निकटब्रह्मगिरिनाम का पर्वत है। ब्रह्मगिरि पर्वत से गोदावरी नदी उद्गम स्थान है उत्तर भारत में पापनाशिनी गंगा नदी के बराबर ही दक्षिण में गोदावरी नदी का माना जाता है, जिस तरह गंगा अवतरण का श्रेय महातपस्वी भागीरथ जी को है, वैसे ही गोदावरी का प्रवाह ऋषिश्रेष्ठ गौतम जी की महान तपस्या का फल है।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग/ Vaidyanath Jyotirlinga

यह ज्योतिर्लिंग झारखण्ड राज्य के संथाल परगना के पास स्थित हैI भगवान शिव के इस बैद्यनाथ धाम को चिताभूमि कहा गया है सभी 12 शिव ज्योतिर्लिंग स्थलों में बैद्यनाथ धाम का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि ये भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता सती का हृदय गिरा था, इसलिए इसे हृदयपीठ भी कहा जाता हैI

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग/ Nageshwar Jyotirlinga

यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका क्षेत्र में स्थित है। रुद्र संहिता में शिव को ‘दारुकावन नागेशम’ के रूप में बताया गया है। नागेश्वर का अर्थ है नागों के देवता जिन लोगों की कुंडली में सर्प दोष होता है उन्हें यहां धातुओं से बने नाग-नागिन अर्पित करते हैं।

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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग/Rameswaram Jyotirlinga

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से बनाया था। रामेश्वर तीर्थ चार धाम में से एक है माना जाता है कि यहां स्थित शिवलिंग के दर्शन मात्र से तमाम रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग/Ghrishneshwar Temple Jyotirlinga/

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ की एक भक्त घुष्मा की भक्ति का प्रतीक माना जाता है। उसी के नाम पर ही इस शिवलिंग का नाम घुष्मेश्वर पड़ा था।

शिव पुराण का महत्व/Importance of Shiva Purana

सभी भक्तों के लिए शिव पुराण का बडा महत्व है। शिव पुराण में परब्रह्म परमेश्वर के भगवान शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का वर्णन किया गया है। शिव पुराण का विधि पूर्वक पाठ करने और श्रद्धा पूर्वक सुनने से मन को संतुष्टी मिलती है। शिव पुराण के अनुसार, मनुष्य शिव भक्ति को पाकर श्रेष्ठतम स्थिति पर पहुंचता है वह शिवपद को प्राप्त कर लेता है। इस पुराण को निः स्वार्थ होकर श्रद्धा पूर्वक सुनने से मुनष्य सभी पापों से मुक्त होकर इस जीवन में बड़े-बड़े उत्कृष्ट भोगों का उपभोग करके अन्त में शिवलोक प्राप्त हो जाता है।

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– सारिका असाटी

 

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