
आज के तनाव पूर्ण जीवन में गर्दन की पीड़ा अर्थात्‘सरवाइकल स्पाण्डिलाइसिस’आम बीमारी के रूप में पनपती जा रही है। यह बीमारी गर्दन की नसों पर दबाव पड़ने के कारण हुआ करती है। गर्दन के ऊपर की सात कोशिकाएं सरवाइकल रीजन में होती हैं जिनमें घिसावट होने या वहां की कोशिकाओं में अकड़न होने से यह दर्द पैदा होता है।
सरवाइकल स्पाण्डिलाइसिस/ cervical spondylosis
- रोग के कारण दिमाग में खून ले जाने वाली खून की नलियों में कुछ समय के लिए रूकावट आ सकती है। इसके लगातार रहने पर अचानक हाथों में भी तेज़ दर्द होने लगता है। लापरवाही से पेशियों में कमज़ोरी आने के साथ-साथ पक्षाघात भी हो सकता है।
- नाड़ी पर दबाव पड़ने के कारण गले (गरदन) से शुरू होकर कंधे से होता हुआ पैरों के अंगूठे तक इसका दर्द महसूस होता है।
- मोटे तकिए के प्रयोग से, अधिक बोझ उठाने से, अधिक झुककर काम करने से, लेटकर पढ़ने से गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है तथा दर्द शुरू हो जाता है।
- गर्दन का कैंसर, गर्दन की हड्डियों की टी.बी., फ्रेक्चर, स्नायुतंत्रा में संक्रमण, चोट आदि कारणों से भी गर्दन में दर्द रहने लगता है।
- गर्दन में लगातार दर्द रहने पर अति शीघ्र चिकित्सक को दिखाना चाहिए। चिकित्सकीय परीक्षणों के बाद ही यह तय हो पाता है कि दर्द किस कारण हो रहा है। अगर दर्द होने का कारण कोई गंभीर बीमारी न होकर सामान्य है तो उसे व्यायाम, योगासनों एवं घरेलू उपचारों से भी ठीक किया जा सकता है।
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सामान्य गर्दन के दर्द में निम्नांकित उपचार कारगर होते हैं/ The following treatments are effective in general neck pain:
- हल्दी का चूर्ण (डस्ट) एवं सफेद प्याज़ के रस को मिलाकर थोड़ा गर्म कर लें। इसे गरदन पर हल्के हाथों से लगाकर गर्दन को धीरे-धीरे दायें-बाएं घुमाने का प्रयास करें।
- भुजंगासन, उत्तानपादासन का अभ्यास करके गर्दन में आयी मोच को ठीक किया जा सकता है। शवासन की स्थिति में रहकर धीरे-धीरे सांसों को छोड़ने पर भी दर्द हल्का होता है।
- गर्दन सीधी रखकर दोनों भुजाओं को ऊपर की ओर उठाते हुए धीरे-धीरे कमर के भाग को आगे की ओर झुकाने पर चढ़ी हुई नस अपने स्थान पर आ जाती है तथा दर्द कम हो जाता है।
- हींग एवं कपूर समान मात्रा में लेकर सरसों तेल में फेंट कर क्रीम की तरह बना लें। इस पेस्ट को गर्दन में लगाकर हल्के हाथों में मालिश करने पर दर्द आराम हो जाता है।
- ऊंचे तकिये पर सोने से गर्दन का दर्द बढ़ सकता है अतः कठोर बिस्तर पर सोना तथा कम ऊंचा तकिया लगाकर गर्दन के आकस्मिक दर्द से बचा जा सकता है।
- इस दर्द के शुरू होते ही उठने, बैठने, लेटने और चलने-फिरने में भी पीड़ा होती है। सिर को दाएं-बाएं घुमाने पर अकड़न और दर्द के साथ कड़कड़ाहट की आवाज भी सुनाई देती है।
- सिर दर्द के साथ-साथ चक्कर आना, कमजोरी महसूस करना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना, उल्टी होना आदि लक्षण शुरू हो जाते हैं। गर्दन घुमाने और झुकाने पर काफी पीड़ा महसूस होती है।
- गले, सिर के पीछे और भुजाओं में जलन होती है। औरतों के स्तन अकड़ जाते हैं। किसी काम में रोगी का मन नहीं लगता।
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सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस होने के कारण/ REASONS OF GETTING CERVICAL SPONDYLOSIS
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की शिकायत अक्सर उन लोगों में ज्यादा होती है जो दिन भर गर्दन झुकाकर लंबे समय तक काम करते हैं. सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस होनो के और भी कारण हो सकते हैं जैसे-
- मोटापा
- भारी वजन उठाना
- गर्दन पर लगी कोई पुरानी चोट
- रीढ़ की सर्जरी
- लगातार झुक कर लंबे समय तक काम करन
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लक्षण/ Symptoms of cervical spondylosis
- गर्दन में दर्द और खिंचाव होना.
2. ऐसा दर्द जो आपके कंधे से लेके उंगलियों तक जाता है.
3. उंगलियों सुन्न या चुभन जैसी सेंसेशन महसूस होना.
4. लगातार सिर में दर्द और भारीपन महसूस करना.
5. छींकने, खांसने और हंसने के दौरान गर्दन और पीछे की ओर दर्द होना.
6. खड़े होने या बैठने के बाद दर्द होना, खासकर रात में तेज दर्द होना
ये सभी लक्षण सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस होने पर दिखाई देते हैं, अगर आप भी इस तरह के लक्षणओं को नोटिस कर रहे हैं तो ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के घरेलू इलाज/HOME REMEDIES OF CERVICAL SPONDYLOSIS
- हल्दी- एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर रात में सोने से पहले जरूर पीएं.
- लहसुन- रोजाना 2-3 लहसुन की कलियां चबाएं.
- तिल के बीज- एक बड़ा चम्मच तिल का तेल लें और इसे दर्द वाली जगह पर लगाएं और 10 मिनट के लिए छोड़ दें. इसके बाद दर्द वाले स्थान पर एक गर्म कंप्रेस से सिकाई करें. जल्द राहत पाने के लिए रोजाना 3 से 4 बार इस विधि को कर सकते हैं.
- अदरक- एक कप पानी में पिसा हुआ अदरक मिलाकर उसे उबाल लें और ठंडा करके पिएं. यह प्रक्रिया आप प्रतिदिन कर सकते हैं.
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस से बचने के उपाय/ Ways to avoid cervical spondylosis
1.नियमित रूप से व्यायाम करें.
2. धूम्रपान से बचें.
3. सही पोजीशन में बैठें और लेटें.
4. वजन उठाते समय सावधान रहें.
5. स्वस्थ आहार का सेवन करें.
6. अपना वजन नियंत्रित रखें.
7.अल्कोहल का सेवन न करें.
8. पर्याप्त आराम करें.
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