Saturday, September 13, 2025
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जन्माष्टमी श्रीकृष्ण-जन्म का उत्सव

भक्ति और अध्यात्म का महापर्व  जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी को भक्ति और अध्यात्म के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के मुताबिक भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद, शुक्ल अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन चंद्रमा वृष राशि में और सूर्य सिंह राशि में था। इसलिए श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव भी इसी काल में ही मनाया जाता है।

  • हिंदू धर्म में कृष्ण जैसा लीला सम्राट और उनके जैसा 64 महाविद्याओं का महाआचार्य कोई दूसरा आराध्य नहीं है।
  • इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी को भक्ति और आध्यात्म के महापर्व के रूप में मनाया जाता है।
  • शास्त्रों के मुताबिक भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
  • इस दिन चंद्रमा वृष राशि में और सूर्य सिंह राशि में था।
  • इसलिए श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव भी इसी काल में ही मनाया जाता है।

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कृष्ण जन्माष्टमी 2023 कब है?

  • पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से हो रही है
  • वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 7 सितंबर 2023 शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा।
  • अत: पंचांग के अनुसार इस साल जन्माष्टमी का उत्सव 6 सितंबर से 7 सितंबर 2023 तक रहेगा।

जन्माष्टमी में क्या करते हैं

  • लोग जन्माष्टमी पर भक्ति भावना में डूबे हुए पूरी रात मंगल गीत गाते हैं।
  • ऐसी मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से कई व्रतों का फल मिल जाता है।
  •  इसीलिए शास्त्रों में जन्माष्टमी को सभी व्रतों का राजा यानि ‘व्रतराज` कहा जाता है।

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मान्यतएँ

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन बाल कृष्ण ‘गोपाला` को झूला झुलाने से बहुत पुण्य लाभ होता है।
  • इसीलिए इस दिन लोगों में भगवान कृष्ण को झूला झुलाने का बहुत उत्साह रहता है।
  •  कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति पालने में भगवान को झुला दे तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
  • जन्माष्टमी के दिन लोग उपवास रखकर घर-परिवार की सुख और शांति के लिए प्रभु से प्रार्थना करते हैं।
  • इस दिन मथुरा में मेले जैसा माहौल रहता है।
  • यहां जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है।
  • इस दिन दुनियाभर से लाखों लोग मथुरा पहुंचते है।
  • मथुरा भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है।
  • जन्माष्टमी का व्रत रखने से संतान प्राप्ति, आयु वृद्धि और धन में समृद्धि होती है।
  • मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन पूजा करने से घर की सुख संपत्ति में वृद्धि होती है और घर में मां लक्ष्मी का स्थाई वास हो जाता है।

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आस्था और उल्लास का पर्व

  • जन्माष्टमी को सिर्फ भारत में ही नहीं मनाते बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय और भारतीय समुदाय के लोग भी जन्माष्टमी को पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।
  •  कथा के मुताबिक मथुरा की जेल में भगवान श्रीकृष्ण ने मध्यरात्रि में अपने अत्याचारी मामा कंस का विनाश करने के लिए माता देवकी की कोख से जन्म लिया था।
  • भारत की तरह भारतीयों द्वारा विदेश में भी इस दिन तरह-तरह के भव्य आयोजन किए जाते हैं।
  • इस मौके पर पूरे ब्रज क्षेत्र में समूचा वातावरण श्रीकृष्णमय होता है।
  • सैकड़ों जगह कान्हा की लीलाओं का मंचन हो रहा होता है।
  • कन्हैया की मोहक छवि देखने के लिए देश और दुनिया के कोने कोने से लोग मथुरा आते हैं।
  • जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी ही नहीं समूचा ब्रज क्षेत्र भक्ति के रंगों से सराबोर होता है।
  • लोगों में गजब का उत्साह और जोश देखने को मिलता है।
  • पूजा और व्रत के साथ इस दिन घरों और मंदिरों में भव्य झांकियां भी सजाई जाती हैं। इन झांकियों में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से लेकर पूरे जीवनकाल के दृष्टांत दिखाए जाते हैं।

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दही-हांडी

  • जन्माष्टमी की सबसे लोकप्रिय परंपराओं में से एक दही हांडी फोड़ने की है।
  • इस परंपरा को देश के पश्चिमी हिस्से में विशेषकर गुजरात और महाराष्ट्र में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
  • लोग अपने गली-मुहल्ले में दहीं हांडी की प्रतियोगिता रखते हैं।
  • विभिन्न युवा दलों के लोग गलियों और चौराहों में हवा में लटकी इन दही हांडियों को फोड़ने की कोशिश करते हैं।
  • युवाओं का जो दल इसमें सफल होता है उसे अच्छा खासा ईनाम मिलता है।
  • भगवान कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था, इसलिए आज के दिन कई पुलिस लाइन्स में भी भगवान की सुंदर झांकियां सजाई जाती हैं।

 

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