Saturday, December 6, 2025
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गुरु-सम्मान का पर्व/ Guru Purnima festival of Guru-respect

गुरु पूर्णिमा गुरु-सम्मान का पर्व
गुरु पूर्णिमा गुरु-सम्मान का पर्व

भारत में आषाढ़ मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन हिंदू धर्म के प्रथम गुरु महार्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था। इसलिए इस पूर्णिमा को वेदव्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं। गुरु पुर्णिमा गुरु के सम्मान का पर्व है।

आषाढ़ पूर्णिमा को मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा या वेदव्यास पूर्णिमा का त्योहार

यूं तो भारत में हर पूर्णिमा बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण होती है। लेकिन आषाढ़ मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन महार्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, इसलिए इस पूर्णिमा को वेदव्यास पूर्णिमा कहते हैं। सबसे पहले वेदों की शिक्षा वेदव्यास ने ही दी थी, इसलिए उन्हें हिंदू धर्म में प्रथम गुरु माना जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा को इस कारण से गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं। क्योंकि वेदव्यास हर हिंदू के गुरु माने जाते हैं।

गुरुओं के प्रति श्रद्धा का पर्व/ festival of reverence for gurus

  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और गुरुओं के प्रति श्रृद्धा व्यक्त की जाती है।
  • साथ ही यह दिन गुरु मंत्र लेने का भी खास दिन समझा जाता है। हिंदू धर्म में चाहे आपने औपचारिक शिक्षा प्राप्त की हो या न की हो।
  • लेकिन आपको जीवन में आध्यात्मिक शिक्षा के लिए गुरु दीक्षा लेनी जरूरी होती है।
  • बिना गुरु दीक्षा लिए समझा जाता है कि ज्ञान नहीं होता और मोक्ष नहीं मिलता।

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गुरू दीक्षा के लिए महत्वपूर्ण दिवस/ Important days for Guru Diksha

  • सनातन धर्म में हर व्यक्ति का अपना एक गुरु होता है।
  • आमतौर पर गुरु दीक्षा के लिए आषाढ़ पूर्णिमा को सबसे पवित्र दिन माना जाता है।

मुहूर्त गुरु पूर्णिमा/ Muhurta Guru Purnima

  • इस साल आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा 20 जुलाई को पड़ रही है। 20 जुलाई 2024 को सायंकाल 5 बजकर 59 मिनट से यह तिथि शुरु होगी।
  • 21 जुलाई 2024 को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट तक गुरु पूर्णिमा का मुहूर्त रहेगा।
  • उदया तिथि के आधार पर गुरु पूर्णिमा 20 जुलाई को मानी जायेगी। अतः जिन लोगों को इस विशेष दिन व्रत रहकर पूजा करनी है, उन्हें 20 जुलाई को यह व्रत रहना चाहिए।
  • गुरु पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य मिलता है।
  • अगर आसपास कोई पवित्र नदी न हो तो सरोवरों में भी स्नान का विधान है।
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके गुरुओं की पूजा और फिर दान देने का सर्वाधिक महत्व है।

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भगवान से ऊपर हैं गुरू/ Guru is above God

गुरु पूर्णिमा गुरु-सम्मान का पर्व

  • हिंदू धर्म में गुरु की जगह भगवान से भी ऊपर मानी जाती है। इसलिए आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन अपने गुरुओं के पास जाकर उनका चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
  • अपनी श्रृद्धानुसार उन्हें दान देना चाहिए।
  • यह दिन भगवान तुल्य वेदव्यास से जुड़ा हुआ है, इसलिए उनकी विशेष पूजा करने का भी विधान है।

मानव जाति के प्रथम गुरु/ first guru of mankind

  • वेद-उपनिषद और पुराणों के रचयिता वेदव्यास को समस्त मानव जाति का भी पहला गुरु माना जाता है।
  • उन्हीं के सम्मान में आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
  • माना जाता है कि इसी दिन कई हजार साल पहले महार्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों और ऋषि, मुनियों को भागवत पुराण का ज्ञान दिया था।

गुरु का महत्व/ Importance of teacher

गुरु पूर्णिमा गुरु-सम्मान का पर्व

  • इस दिन हम जिन गुरुओं से शिक्षा प्राप्त करते हैं, उनका भी वैसा ही महत्व है।
  • इसलिए छात्रों को इस दिन विशेष रूप से अपने आदर्श गुरुओं के पास जाकर उनके चरण स्पर्श करने चाहिए।
  • और उनसे शिक्षा और जीवन का संस्कार लेना चाहिए।
  • अगर आपके शिक्षक या गुरु दूसरे शहर में है तो इस दिन उन्हें विशेष रूप से याद करना चाहिए।
  • जिस तरह से हिंदू धर्म में मातृ ऋण और पितृ ऋण होता है।
  • उसी तरह से गुरु ऋण का भी विधान है।
  • भले दीक्षा लेने के बाद गुरुओं को दक्षिणा दी जाती हो।
  • लेकिन कोई शिष्य जीवन में कभी भी अपने गुरु से उऋण नहीं होता।
  • इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्यों को अपने गुरुओं के पास जरूर जाना चाहिए।
  • उनकी चरण वंदना जरूर करनी चाहिए।
  • गुरु ही हमें हमारे जीवन में अंधकार से बाहर निकालकर प्रकाश या ज्ञान की ओर ले जाते हैं।
  • इसीलिए गुरु का जीवन में सबसे ऊंचा स्थान होता है।
  • धार्मिक मान्यता तो इस तरह की भी है कि बिना गुरु के न तो ईश्वर मिलता है।
  • न मोक्ष और ज्ञान तो मिलता ही नहीं है।

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गुरु के महत्व पर महान संत और दार्शनिक कबीरदास जी ने इस तरह प्रकाश डाला है-

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाएं

बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताए।

 

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