Thursday, September 19, 2024
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गिलहरी ने किया राम काज / squirrel performed Ram kaj

गिलहरी के शरीर पर राम की अंगुलियों के निशान

`राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहाँ विश्राम’ रामायण के सुंदर कांड की सुनहरी पंक्ति है। रेत ढो कर राम काज करने वाली गिलहरी की पौराणिक कथा सभी ने हजारों बार सुनी होगी। जिसके अनुसार गिलहरी ने राम काज किया। और वह भगवान श्रीराम की कृपापात्र बनी। आज वही कथा फिर से प्रस्तुत है

गिलहरी की प्रजातियां

  •  गिलहरियाँ किसने नहीं देखी होगी। शहर हो या गांव अथवा जंगल, गिलहरियां, पेड़ जहां होते हैं वहां सामान्यतः पाई जाती हैं।
  • जीव विज्ञानियों के मुताबिक विश्व भर में गिलहरियों की करीब ढाई सौ प्रजातियां पाई जाती हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी भाग में गिलहरियां प्रायः नहीं मिलती।
  • भारत और श्रीलंका में बहुतायत में जिस प्रजाति की गिलहरी पायी जाती है उसे `इंडियन सेवक्विरलकहा जाता है।
  • इनके शरीर पर काली लंबी धारियां होती हैं। इन धारियों के बारे में रामायण में एक प्रसंग प्रचलित है।
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पौराणिक संदर्भ

  • कहा जाता है कि राम ने एक गिलहरी के शरीर पर स्नेह से अपनी अंगुलियां फिराई थीं।
  • जिससे उसके शरीर पर धारियां पड़ गईं और वे आज तक चली रही हैं।

पौराणिक कथा

  • बात उस समय की है जब लंका पर धावा बोलने के लिए राम नल, नील और अपने अन्य लोगों से समुद्र पर पुल बनवा रहे थे।
  • नल, नील को बंदरों और भालुओं के द्वारा पेड़ों के तने, पत्थर, रेत आदि लाकर दिया जा रहा था।
  • हजारों जानवर काम में जुटे थे।
  • जो जिसके वश का काम था, वह पूरी तन्मयता और मेहनत से कर रहा था।
  • एक गिलहरी भी एक पेड़ से इस सारे रामकाज को देख रही थी।
  • वह बहुत देर सोचती रही कि पुल बनाने के काम में वह अपना योगदान कैसे दे!
  • काफी सोचविचार के बाद उसे एक उपाय सूझा।
  • वह पेड़ से उतर कर समुद्र में घुसी, फिर सूखी रेत पर जाकर लोटपोट हुई।
  • इससे उसके गीले शरीर पर ढेर सारी रेत चिपक गई।
  • अब गिलहरी पुल पर दौड़ गई।
  • उसने पुल पर रेत झाड़ी और फिर समुद्र में छलांग लगाई, फिर रेत में लोटी और फिर पुल पर रेत झाड़ी।
  • उसे लगा कि इस तरह वह काफी रेत ढो सकती है और राम के काम में अपना योगदान दे सकती है।
  • वह बारबार उसी काम को करने लगी।
  • बड़ी देर तक राम उसका यह काम देखते रहे।
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भगवान श्रीराम की कृपा दृष्टि

  • फिर उन्होंने हनुमान को आदेश दिया कि वह गिलहारी को लेकर आएं।
  • हनुमान ने तत्काल आज्ञा का पालन किया और गिलहरी को हल्के से, प्यार से पकड़ लिया। गिलहरी को लाकर उन्होंने राम के हाथ में रख दिया।
  • राम ने गिलहरी से पूछा, `तू पुल पर क्या कर रही थी।
  • गिलहरी राम के हाथों में थी, ऐसी जगह जहां होने का बड़े से बड़ा राम का भक्त भी कल्पना नहीं कर सकता।
  • उसने कहा, `प्रभु, आप को तो सब पता है। आप सब देखते रहे हैं।
  • राम ने हंसते हुए कहा, `तुझे डर नहीं लगता कि पुल पर किसी भालू, बंदर के पैर या लकड़ीपत्थर के नीचे आने से तू कुचल सकती है।
  •  गिलहरी ने कहा, `प्रभु, यह तो तय है कि एक दिन सभी को मरना होता है, इसलिए मेरा मरना भी निश्चित है।
  • यदि मेरी यह मौत आपकी सेवा करते हुए हो तो यह मेरा बड़ा सौभाग्य होगा।
  • राम उसके समर्पण से बड़े प्रसन्न हुए।
  • वे आशीर्वाद के अंदाज में गिलहरी की पीठ पर अपनी अंगुलियां फिराने लगे।
  • कहते हैं उन अंगुलियों के निशान गिलहरी की पीठ पर पड़ गये जो आजतक चले रहे हैं।

 

 

 

 

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