गले में दो तरह का कैंसर होता है। पहला, स्वरयंत्र अथवा लेरिंस का कैंसर। दूसरा ग्रास नलिका अथवा ग्रसनी का कैंसर। कैंसर के कुल रोगियों में 13 प्रतिशत को गले का कैंसर है। इससे बचाव संभव है। औरतों के बजाय पुरुषों में यह चार गुना अधिक पाया जाता है।
क्या होता है कैंसर What is cancer
- इंसान का शरीर असंख्य छोटी कोशिकाओं से मिल कर बना है।
- ये कोशिकाएं रोज लाखों की संख्या में बनती और नष्ट होती रहती हैं।
- कुछ स्थितियों में इन कोशिकाओं की वृद्धि पर से शरीर का नियंत्रण हट जाता है और वे असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं।
- इन कोशिकाओं की अनियंत्रित और असामान्य वृद्धि को ही कैंसर अथवा कर्क रोग कहते हैं।
- यह असामान्य वृद्धि कई समस्याएँ भी खड़ी करती है और जीवन के लिए खतरा बन जाती है
- जबकि कोशिकाओं की सामान्य वृद्धि से शरीर को कोई खतरा नहीं होता है।
गले का कैंसर
- गले में दो तरह का कैंसर होता है।
- पहला, स्वरयंत्र अथवा लेरिंस का कैंसर। दूसरा ग्रास नलिका अथवा ग्रसनी का कैंसर। कैंसर के कुल रोगियों में 13 प्रतिशत को गले का कैंसर है।
- औरतों के बजाय पुरूषों में यह चार गुना अधिक पाया जाता है।
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स्वरयंत्र अथवा लेरिंक्स का कैंसर
इस तरह के कैंसर में ट्यूमर अथवा रसौली श्वांस नलिका में स्थित स्वरयंत्र में होती है। इसमें आवाज में बदलाव आ जाता है।
प्रमुख लक्षण
- गले के स्वरयंत्र के कैंसर में आवाज भारी हो जाती है।
- बाद में गले की लसिका ग्रंथियों में सूजन भी आ सकती है।
- इसके अलावा सांस लेने एवं निगलने में तकलीफ भी होती है।
- साथ में खांसी आती है और खांसी के साथ रक्त मिश्रित बलगम आ सकता है। गले एवं कान में तीव्र दर्द होता है। जो कई बार साधारण दर्दनाशक दवाओं से ठीक नहीं होता।
ग्रास नलिका अथवा ग्रसनी का कैंसर
- गले में होने वाला दूसरा प्रमुख कैंसर है ग्रास नलिका अथवा ग्रसनी का कैंसर।
- इसके अलावा टांसिल में भी कैंसर हो सकता है, लेकिन इसका प्रतिशत बहुत कम है।
- भारत में गले के कैंसर के मामलों का प्रतिशत कुल कैंसर रोगियों का लगभग 12 है जो कम नहीं कहा जा सकता।
- गले के कैंसर का शीघ्र पता चलने पर इलाज सफलतापूर्वक हो सकता है।
प्रमुख लक्षण
- ग्रसनी के कैंसर का प्रमुख लक्षण निगलने में तकलीफ होना है।
- साथ ही इस तरह के कैंसर में भी स्वरयंत्र पर दबाव के कारण आवाज में बदलाव आ जाता है।
- बाद की स्थिति में रोगी को सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। रोगी को गले में दर्द भी हो सकता है।
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गले के कैंसर के कारण
- यद्यपि गले में कैंसर होने का सही कारण अभी तक पता नहीं चला है।
- फिर भी यह पाया गया है कि अत्यधिक तंबाकू खाना और धूम्रपान करना या शराब पीना इस तरह के कैंसर को जन्म दे सकता है।
- एक अनुमान के अनुसार केवल सिगरेट पीने से विश्व में हर साल 10 लाख लोग कैंसर के रोगी बनते हैं।
- कई रासायनिक पदार्थ जैसे कोलतार, एसबेस्टस, विनाइल क्लोराइड, बैंजीन, कैडमियम आर्सेनिक भी कैंसर उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं।
- अलग-अलग उद्योग कर्मियों के इन पदार्थों के संपर्क में रोज-रोज आने से उनमें कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।
- इस तरह के खाद्य पदार्थ जो गले में चुभन या जलन उत्पन्न करते हैं, उनसे भी ग्रसनी का कैंसर हो सकता है।
- इनके अलावा यह ज्ञात हुआ है कि इंपिस्टीन बार नामक विषाणु अथवा वायरस भी ग्रास नलिका का कैंसर उत्पन्न कर सकता है।
- अधिक मात्रा में विकिरण तथा प्रदूषण भी गले एवं कई तरह के अन्य कैंसर के जन्मदाता होते हैं।
- मसलन, पेट्रोल एवं डीजल का प्रदूषण एवं उद्योगों से निकलने वाली खतरनाक रासायनिक गैसें, धुआं एवं गंदा पानी।
- कीटनाशकों का अधिकता में प्रयोग कैंसर से बढ़ते मामलों के लिए उत्तरदायी हैं।
- डिब्बा बंद खाद्य और कृत्रिम रंग व रसायनों के सेवन से भी कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।
- एक सीमा तक पैतृक गुण भी कैंसर होने में सहायक हो सकते हैं लेकिन इसके लिए अन्य कारण एवं स्थितियां भी साथ-साथ उत्तरदायी होती हैं।
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रोग की पहचान व निदान
- आजकल एकदम शुरूआती अवस्था में रोग की पहचान होना संभव है।
- ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण मिलने पर शीघ्र योग्य चिकित्सक से संपर्क करें।
- वह लेरिंगोस्कोपी, बायोप्सी आदि करके इस रोग की सही पहचान करेगा।
- आपको यह ध्यान रखना होगा कि कैंसर की पहचान जितनी जल्दी होगी, इलाज से फायदा भी उतना ही अधिक होगा।
- अतः जरा सी भी शंका होने पर चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।
गले के कैंसर का इलाज
- आजकल बहुत से कैंसर शीघ्र इलाज से ठीक हो जाते हैं और रोगी लंबी आयु तक जीवन जीता है।
- जैसे, गले में स्वरयंत्र के कैंसर के शीघ्र निदान के बाद शल्य क्रिया कर दी जाए तो रोगी सामान्य आयु तक जिंदा रहता है।
- अब कैंसर के 80 से ले कर 90 प्रतिशत रोगियों का इलाज सफलतापूर्वक हो जाता है।
- शल्य क्रिया के अलावा विकिरण (रेडिएशन) द्वारा भी इलाज करते हैं, जिससे रोगी को काफी फायदा होता है।
- कुछ खास स्थितियों में कैंसररोधी दवाइयां भी रोगी को दी जाती हैं।
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कैंसर से बचाव
- खान-पान की कुछ आदतें बदल कर और तंबाकू का सेवन व हानिकारक नशे को छोड़ कर इस रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है।
- तंबाकू का सेवन चाहे वह किसी भी रूप में हो, छोड़ देना चाहिए।
- इसके अलावा पान मसाले, कच्ची सुपारी आदि का प्रयोग भी बंद कर देना चाहिए।
- तंबाकूयुक्त मंजन भी नहीं करना चाहिए।
- कैंसर से बचने के लिए शराब का सेवन भी छोड़ना उचित होगा।
- इसके अलावा बहुत ज्यादा मिर्च-मसालेयुक्त आहार रोज-रोज नहीं खाना चाहिए।
- 40 साल की उम्र के बाद हर दो साल पर शरीर की जांच करवाना भी कैंसर की रोकथाम में सहायक होता है।
पौष्टिक भोजन का सेवन
- कृत्रिम रंगों और रसायनयुक्त खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
- इसके अलावा मोटापे पर नियंत्राण रखना भी कैंसर से बचाव की दिशा में एक कदम है।
- अमेरिका में हुए शोधों से पता चला है कि दुबले व्यक्तियों के बजाय मोटे लोगों को कैंसर होने की आशंका ज्यादा होती है।
- रोज के भोजन में रेशेयुक्त एवं विटामिन सी और ए से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- गाजर, आंवला, अमरूद, नींबू, हरी सब्जियां, सलाद आदि का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।
- प्रयोगों द्वारा यह साबित हो चुका है कि विटामिन सी और ए के अलावा रेशेयुक्त भोजन भी कई तरह के कैंसर से शरीर को बचाते हैं।
- रेशेयुक्त खाद्य लेने से आंतों के कैंसर से सुरक्षा रहती है।
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