सावधानी रख बच सकते हैं बीमारी से
मौसम गर्मी का हो तो खान-पान पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी होता है। पाचन, पीलिया, हैजा, मूत्राशय संबंधी बीमारियां गार्मियों में सर चढ़कर बोलती हैं। गर्मी में खान-पान पर ध्यान देना जरूरी है। इन बीमारियों का संबंध सीधे हमारे खान-पान से है।
भोजन और पानी जीवन के लिए अनिवार्य हैं।
यदि हम खान-पान संबंधी कोई लापरवाही बरतते हैं तो हमारे स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।
खान-पान असंतुलित या प्रदूषित हो तो हम कुपोषण का शिकार हो सकते हैं।
मौसम गर्मी का हो तो खान-पान पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी हो जाता है क्योंकि इस मौसम में बीमार पड़ने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं।
गर्मी में बीमारियों की आशंका / risk of diseases
- पेट या पाचन संबंधी गड़बड़ी पीलिया, हैजा, मूत्राशय संबंधी गड़बड़ी आदि बीमारियां गार्मियों में सर चढ़कर बोलती हैं।
- इन बीमारियों का संबंध सीधे हमारे खान-पान से है।
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प्रदूषित भोजन / contaminated food
- हमें अक्सर लगता है कि भोजन सही-सही ही ले रहे हैं मगर जरा ध्यान देंगे तो हम पाएंगे कि हर तरह से प्रदूषित भोजन ले रहे होते हैं।
- पाचन या पेट संबंधी गड़बड़ियों में सबसे ज्यादा जिम्मेदार शाक-सब्जियां व बाहर का भोजन ही हैं।
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शाक-सब्जियों में कृत्रिम रंग / artificial colors in vegetables
- शाक-सब्जियां ताजी व आकर्षक दिखें, इसके लिए दुकानदार सब्जियों को रंगकर पेश करते हैं।
- ऊपरी नजर डालकर हम सब्जियों को थैले में भरकर घर ले आते हैं।
- सभी तो नहीं, पर कुछ दुकानदार रंग घोलकर रखते हैं और सूखते शाक-सब्जियों पर उसका छिड़काव करते हैं।
- पालक समेत अनेक शाक रंगे जाते हैं।
- परवल, कद्दू, खीरा, करेला, सेम जातीय सब्जियां, यहां तक कि नन्हीं मिर्चे तक रंगी जाती हैं।
- गर्मी के मौसम में ताप नियंत्रण से निकाले गए टमाटर और तरबूज भी लाल रंग से रंगे जाते हैं।
- रंगी हुई सब्जियां पेट संबंधी गड़बड़ी से लेकर कैंसर तक को न्यौता दे सकती हैं।
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ध्यान रखें ये बातें / keep these things in mind
शाक-सब्जियों संबंधी ये बातें ध्यान में रखी जानी चाहिये-
- ऊंची, भड़कीली स्थायी दुकानों की अपेक्षा ग्रामीण विक्रय केंद्र से सब्जियां खरीदी जानी चाहिए।
- सब्जी खरीदते वत्त रंगीन सब्जियों पर ध्यान रखना चाहिए।
- सब्जियों को काटने से पहले दो-तीन बार साफ पानी से धो लेना चाहिए।
- जरूरत पड़े तो सब्जी का छिलका उतार लेना चाहिए और कटी सब्जी को पांच-दस मिनट तक नमक मिले पानी में छोड़ देना चाहिए।
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बाजार का खाना / market food
- बाजार के चटपटे व तैलीय व्यंजन बहुतों को भाते हैं।
- वैसे बाहर निकलकर खाना हमारे लिए फैशन-सा बन गया है।
- अकसर यही होता है कि दुकानदार बीते दिनों के तेल का इस्तेमाल करते रहते हैं।
- यह भी देखा गया है कि दुकानदार बासी चीजों में ताजी चीजें मिलाकर नमक, मिर्च, मसाला छिड़क कर गरहकों को उल्लू बनाते रहते हैं।
- प्रदूषित व्यंजनों के दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते रहते हैं।
- पेचिश, उल्टियां, खट्टे डकार, सर का चकराना, बदन पर फोड़े-फुंसियां, पीलिया आदि शिकायतें प्रदूषित भोजन के कारण ही देखने को मिलती हैं।
- पके फल (आम, खरबूजा, सेब आदि), मिठाई आदि पर भिनभिनाती मक्खियां हैजे का कारण होती हैं।
- कुल मिलाकर घर का बना खाना सबसे ज्यादा सुरक्षित रहता है।
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सफाई का रखें ध्यान / take care of cleanliness
- साफ-सुथरे फल व ढकी मिठाई का प्रयोग ही हमें करना चाहिए।
- घर से बाहर खाने की विवशता आ पड़े तो अच्छे रेस्तरां व सुरक्षित स्थानों का चुनाव करना चाहिए।
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बोतल बंद पेय / bottled drinks
- आजकल बाजारों में उपलब्ध बोतलबंद पेय, आईसक्रीम आदि बहुत ज्यादा पसन्द किए जा रहे हैं।
- आधुनिक युवा पीढ़ी का रूझान इस ओर बढ़ रहा है, किन्तु ये पेय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
- सोडा या दीर्घ समय तक रखे गए पेय आहारनाल व यकृत को क्षति पहुंचा सकते हैं।
- बर्फीले पेय कुछ समय के लिए व्यत्ति को तृप्त कर सकते हैं मगर सर्दी-जुकाम जैसा साधारण रोग गंभीर रूप भी ले सकता है।
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सबसे ज्यादा सुरक्षित है / the most safe
- सामान्य तापमान वाला पेय ही उचित होता है।
- नींबू व आम का शरबत, फलों का रस, लस्सी आदि स्वास्थ्य के लिए निरापद ही नहीं लाभदायक भी हैं।
- गर्मी के मौसम में अच्छा तो यही होगा कि हर मौसम में साधारण पानी का चयन भी सावधानी से करना चाहिए।
- पानी फिल्टर, एक्वागार्ड या उबला पानी ठंडा कर पीना सबसे ज्यादा सुरक्षित है।
- शुद्ध पानी बार-बार पिया जाना चाहिए क्योंकि पसीने के रूप में ज्यादा पानी बाहर निकल आता है तो कमजोरी, शरीर में ऐंठन, मूत्रशय तथा गुर्दे से संबंधिन्त शिकायतें दिख सकती हैं।
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यदि हम इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आग उगलती दुपहरी में राहत मिलेगी तथा हवा के झोंकें लाती शामें भी सुखदायक होंगी।