
असुर गजमुख का तप और शक्ति प्राप्ति/Gajmukh Asura’s Penance and Powers
बहुत समय पहले एक भयंकर असुर था – गजमुख। उसका एक ही सपना था – वह सबसे शक्तिशाली बने और सभी देवताओं पर शासन करे। अपनी इच्छा पूरी करने के लिए उसने कठोर तपस्या शुरू कर दी।
- गजमुख ने भोजन-पानी का त्याग कर जंगल में तप किया।
- शिवजी उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए।
- वरदान स्वरूप, शिव ने उसे असाधारण शक्तियाँ दीं।
गजमुख को यह वर मिला कि किसी भी शस्त्र से उसकी मृत्यु नहीं होगी।
गणेश जी और उनका वाहन/Lord Ganesha and His Vehicle
भगवान गणेश को हम सभी उनके विशेष वाहन “मूषक” (चूहा) के साथ देखते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गणेश जी का वाहन मूषक क्यों बना? इसके पीछे एक बेहद रोचक और पौराणिक कथा है, जिसमें एक शक्तिशाली असुर गजमुख का जिक्र आता है।
गजमुख का अहंकार और आतंक/Gajmukh’s Arrogance and Terror
वरदान मिलने के बाद गजमुख अत्यंत अहंकारी हो गया।
- उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करना शुरू किया।
- सभी देवी-देवताओं पर आक्रमण करने लगा।
- वह चाहता था कि हर देवता उसकी पूजा करे।
धीरे-धीरे समस्त देवता उसके आतंक से परेशान हो गए और शिव, विष्णु और ब्रह्मा के शरण में पहुँचे।
गणेश जी और गजमुख का युद्ध/The Battle of Lord Ganesha and Gajmukh
जब गजमुख सीमा पार करने लगा, तब शिवजी ने गणेश जी को आगे आने का आदेश दिया।
- गणेश जी ने भीषण युद्ध किया।
- गजमुख बार-बार घायल हुआ, लेकिन हार मानने को तैयार नहीं था।
- अंततः उसने स्वयं को एक विशाल मूषक (चूहा) में बदल लिया और गणेश पर आक्रमण कर दिया।
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गजमुख का गणेश जी का वाहन बनना/How Gajmukh Became Ganesha’s Vahana
जब गजमुख मूषक रूप में गणेश पर हमला करने आया, तब गणेश जी ने चतुराई दिखाई।
- गणेश जी छलांग लगाकर उसके ऊपर बैठ गए।
- अपनी दैवी शक्ति से उसे वश में कर लिया।
- गजमुख उस दिन से गणेश जी का वाहन (सवारी) बन गया।
बाद में गजमुख को भी यह अहसास हुआ कि यह उसका सौभाग्य है कि अब वह गणेश जी का eternal साथी और वाहन कहलाएगा।
इस कथा का महत्व/Significance of the Story
गणेश जी और गजमुख असुर की यह कहानी हमें कई संदेश देती है–
- अहंकार पतन का कारण है – गजमुख को शिवजी ने वरदान दिया, लेकिन उसने दुरुपयोग किया और अंततः पराजित हुआ।
- गणेश जी की बुद्धि और शक्ति – उन्होंने बिना शस्त्र चलाए गजमुख को परास्त कर दिया।
- वाहन का प्रतीक – मूषक नकारात्मक प्रवृत्तियों (लोभ, वासना, लालच) का प्रतीक है, और गणेश जी उनके ऊपर नियंत्रण का संदेश देते हैं।
निष्कर्ष/Conclusion
गणेश जी और गजमुख असुर की यह कथा हमें याद दिलाती है कि शक्ति का इस्तेमाल हमेशा धर्म और भलाई के लिए होना चाहिए। गणेश जी ने न सिर्फ गजमुख के आतंक को समाप्त किया, बल्कि उसे अपना मित्र और वाहन भी बना लिया।
इसी कारण आज भी गणेश जी की हर प्रतिमा में उनके साथ मूषक अवश्य दिखाई देता है। यह मूषक हमें यह सिखाता है कि भले ही कितनी बड़ी समस्या क्यों न हो, यदि बुद्धि और धैर्य से उसका सामना किया जाए, तो उसे नियंत्रित किया जा सकता है।
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