पीड़ा और सूजन से ऐसे बचें
मोच के शिकार हम सब कभी न कभी होते ही रहते हैं। दौड़ते-भागते, खेलते-कूदते या फिर सामान्य चलते समय ही पैरों के मोच की घटना तो अक्सर देखने को मिलती है। हमारे शरीर के विभिन्न अंगों की मांसपेशियों के तन्तुओं के फटने या खिंच जाने को मोच कहते हैं। ऐसा शरीर के किसी अंग-विशेष को आवश्यकता से अधिक जोर देकर काम करने की कोशिश करते समय होता है और ऊंचाई से कूदते या कलाई से खेलते समय भी होता है। कहने का अर्थ है कि जरा भी अनियमितता से कार्य करने का प्रयास हुआ कि मोच आ जाती है।
मोच के कारण
- हम सुनते हैं कि कोई अपनी छत से कूदा और उसके पैर में मोच आ गई।
- साईकिल का टायर दौड़ाते हुए गिरा और उसके हाथों में मोच आ गई।
- दौड़ते हुए गिरा और उसके घुटने में मोच आ गई।
- कबड्डी खेलते वक्त किसी की कोहनियां मोचग्रस्त हो गयीं।
स्पष्ट है कि ये बातें यह प्रदार्शित करती हैं कि काम करने में कुछ असावधानी या अनियमितता हुई जिससे मोच आई।
पीड़ा और सूजन
- शरीर के किसी अंग में मोच आ जाने से असहनीय पीड़ा होती है।
- मोचग्रस्त भाग जरा-सा भी हिलाने-डुलाने पर दुखने लगता है।
- उसमें सूजन आ जाती है।
इलाज के उपाय
यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ प्रयोगों की जानकारियाँ, जिन्हें अपना कर मोच को ठीक किया जा सकता है –
- मोचग्रस्त अंग को हिलाएँ-डुलाएँ नहीं। स्थिर अवस्था में रखें।
- अंग पर पट्टी बांधें और उसे पानी से गीला रखें।
- इमली की पत्तियां उबाल लें। इसमें नमक भी डालें। उबले पानी में मोचग्रस्त अंग खूब धोएं। फिर पत्तियां लगाकर साफ कपड़े की पट्टी से बांध दें। यह क्रम कुछ दिन करें, जब तक मोच ठीक न हो जाए।
- यदि मोचग्रस्त अंग में घाव हो गया है या खून निकला है तो हल्दी और प्याज पीसकर सरसों के तेल में खौला कर बांधें। ऐसा तब तक करें जब तक आराम न हो।
- मोचग्रस्त अंग पर मालिश न करें। इससे नसें इधर-उधर हो सकती हैं। जो क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
- साधारण मोच में `आयोडेक्स’ की गर्म मालिश की जा सकती है।
ये कुछ प्रयोग हैं जिनसे हम मोच खाये व्यक्ति का इलाज कर सकते हैं। सब कुछ करने के बाद भी जब हमें यह लगे कि चिकित्सक की सलाह लेनी आवश्यक है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ।