Saturday, December 6, 2025
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कार्तिक मास का महत्व/Significance of Kartik month

कार्तिक मास का महत्व/Significance of Kartik month
कार्तिक मास का महत्व/Significance of Kartik month

 हिंदू धर्म में कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। यह मास आस्था, तप, भक्ति और नियमों का संगम होता है। वर्ष 2025 में कार्तिक माह का शुभ आरंभ 8 अक्टूबर से होकर 5 नवम्बर तक रहेगा। यह समय अध्यात्म, साधना और पुण्य संचय के लिए उत्तम अवसर प्रदान करता है।

मान्यता है कि कार्तिक महीने में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण, शिव, तुलसी माता और लक्ष्मी देवी की पूजा करने से व्यक्ति को असीम पुण्य, शांति, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है।ऐसे में व्रत, पूजा और धार्मिक नियमों का पालन सही तरीके से करने से पुण्य और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

कार्तिक मास का महत्व/Significance of Kartik month

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। यह मास न केवल व्रत और पूजा का समय होता है, बल्कि आत्मशुद्धि और संयम का भी प्रतीक माना गया है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास (पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान, जयपुर-जोधपुर) के अनुसार इस महीने में भगवान विष्णु, लक्ष्मी माता, श्रीकृष्ण,  कार्तिकेय स्वामी, धनवंतरि देव, सूर्य देव, गोवर्धन पर्वत और छठी मैया की आराधना विशेष फलदायी मानी गई है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के योगनिद्रा उठते हैं। इस शुभ क्षण के साथ चातुर्मास का समापन होता है, और धार्मिक मान्यता है कि इसके बाद विवाह, मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत की जा सकती है। देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है।

इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ तुलसी माता की पूजा का विशेष महत्व होता है। शाम के समय प्रदोषकाल में तुलसी और पीपल के पेड़ के पास 5 घी के दीये जलाने चाहिए। साथ ही, ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ या ‘ॐ नमो भगवते नारायणाय’ मंत्र का 7 या 21 बार जप करते हुए वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से जीवन की बाधाओं और रुकावटों से मुक्ति मिलती है और मनचाही सफलता प्राप्त होती है। इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

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तुलसी चालीसा का पाठ और सुहाग सामग्री का दान/Donation of Tulsi Chalisa’s text and beautiful material

दिन श्रद्धापूर्वक तुलसी चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। तुलसी के पौधे के तने में लाल कलावा बांधें और फिर उस पर सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, बिछिया और चुनरी अर्पित करें। अगले दिन सुबह इन वस्तुओं को किसी जरूरतमंद सुहागिन महिला को दान कर दें। इससे वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थिरता आती है तथा माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

आर्थिक समृद्धि के लिए उपाय/A remedy for economic prosperity

अगर घर या कारोबार में आर्थिक तंगी चल रही हो, तो इस दिन तुलसी पर कच्चा दूध चढ़ाएं और गमले के सामने एक घी का दीपक जलाएं। मान्यता है कि तुलसी में माता लक्ष्मी का वास होता है। ऐसा करने से लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त होती है और धन-संपत्ति की वृद्धि होती है। इसके साथ ही, तुलसी की जड़ में गन्ने का रस अर्पित करने से घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और धन की स्थिरता बनी रहती है।

देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जो कि कार्तिक माह में आती है। वैसे तो एकादशी हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती है परन्तु कार्तिक शुक्ल पक्ष में आने वाली इस एकादशी का हिन्दू धर्म में बहुत विशेष महत्व है। इसी दिन भगवान विष्णु अपनी चार माह की चिरनिद्रा से उठते हैं और हमारे धर्म में सभी शुभ कार्यो का प्रारंभ होता है।

अतः बहुत से सनातन धर्म प्रेमियों के घरों में इस दिन तुलसी जी की पूजा अर्चना के साथ ही उनके विवाह का आयोजन भी किया जाता है।

कार्तिक मास का महत्व/Significance of Kartik month

तुलसी विवाह – दिव्य मिलन की कथा और महत्व/Tulsi Vivah – Story and Significance of Divya Milan

तुलसी विवाह हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शुभ त्योहार है। यह देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के दिन या उसके अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (शालिग्राम स्वरूप) का विवाह माता तुलसी (तुलसी पौधे के रूप में) से संपन्न कराया जाता है। यह पर्व मानव समाज में विवाह-संस्कार की शुरुआत का प्रतीक है और माना जाता है कि इसी दिन से शुभ कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि की अनुमति पुनः प्रारंभ हो जाती है, क्योंकि चार माह की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु इस दिन जाग्रत होते हैं।

तुलसी विवाह की कथा/Tulsi Vivah Katha

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, जालंधर नामक एक असुर अपनी पत्नी वृंदा के पतिव्रत बल के कारण अजेय हो गया था। देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। विष्णुजी ने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा की तपस्या भंग कर दी, जिससे उसका पतिव्रत नष्ट हो गया और जालंधर युद्ध में मारा गया।

जब वृंदा को इस छल का पता चला, तो उसने भगवान विष्णु को श्राप दिया तुम भी पत्थर बनो! श्राप के प्रभाव से विष्णुजी शालिग्राम शिला में परिवर्तित हो गए। वृंदा ने अपने प्राण त्याग दिए और उसके शरीर से तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ।बाद में देवताओं की प्रार्थना पर, भगवान विष्णु ने वृंदा से वचन दिया कि – मैं सदा शालिग्राम रूप में रहूंगा और तुलसी से विवाह करूंगा। जो भी भक्त तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराएगा, उसे मेरे समान पुण्य प्राप्त होगा। तब से हर वर्ष देवउठनी एकादशी के दिन शालिग्राम और तुलसी का विवाह उत्सवपूर्वक मनाया जाता है।

देव उठनी एकादशी पर 1 दीपक से 11,000 दीपों तक

देवउठनी एकादशी के दिन जब सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु चार महीने की गहरी नींद से जागते हैं। जब स्वयं भगवान जगेंगे, तो धरती पर शुभता और ऊर्जा का कितना बड़ा संचार होगा। यही वजह है कि इस एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं और इसी दिन से शादियों समेत सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं।

इस महा-पर्व का सबसे खास और खूबसूरत हिस्सा है  दीये जलाना न सिर्फ उत्सव का प्रतीक है, बल्कि यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और दुख पर सुख की विजय का भी सूचक है।

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देव उठनी एकादशी पर दीये जलाने की शुभ संख्या क्या है

वैसे तो दीये जलाने के लिए कोई खास नियम नहीं है, लेकिन हमारी सदियों पुरानी परंपराओं में कुछ संख्याएं बेहद शुभ मानी गई हैं। दरअसल, देवउठनी एकादशी के दिन ही माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम जी से हुआ था। इसलिए, तुलसी माता के पास दीपक जलाना सबसे ज्यादा जरूरी और कल्याणकारी माना जाता है।

1, 5, 11, 21, 51 या 108 दीये: आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार इनमें से कोई भी संख्या चुन सकते हैं।

11 दीये (सबसे शुभ):

तुलसी माता के पास गमले में: कम से कम 1 या 5 दीये।

भगवान विष्णु/शालिग्राम जी की चौकी पर: 1 दीया।

घर के मुख्य द्वार पर: दोनों ओर 2 दीये।

रसोई में: 1 दीया।

पीपल के पेड़ के नीचे: 1 दीया।

मंदिर में: 1 दीया।

कार्तिक मास का महत्व/Significance of Kartik month

दीपक का महत्व/Importance of lamp

1 दीयारात में रसोई में दीपक जलाना शुभ माना जाता है, जिससे घर में अन्न और धन का भंडार सदा भरा रहता है। साथ ही, श्री हरि के मंदिर में दीपक जलाने से भी घर में सुख-शांति आती है। यदि संभव हो तो पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर उसकी सात परिक्रमा करें, इससे कर्ज से मुक्ति और धन लाभ के योग बनते हैं।

2 दीये: घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर एक-एक दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

5 दीये: यदि आप अधिक दीये नहीं जला सकते, तो 5 दीये जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। ये पांच दीये पंचदेवों (गणेश, शिव, शक्ति, सूर्य और विष्णु) या पंचतत्वों का प्रतीक होते हैं।
विशेष महत्व: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के पास 5 घी के दीपक जलाने का विशेष महत्व है। इससे वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और धन लाभ मिलता है। आप घर के मंदिर, मुख्य द्वार और रसोई में भी एक-एक दीपक जला सकते हैं।

7 दीये: कुछ स्थानों पर 7 दीये जलाने की परंपरा है, जो सप्ताह के सातों दिन और सात लोकों का प्रतीक माने जाते हैं।

11,000 दीये (महापुण्य): अगर भक्त सामर्थ्यवान हैं, तो कार्तिक माह की तरह एकादशी पर 11,000 दीये जलाकर दान करने का संकल्प लिया जा सकता है, जिसे महापुण्यकारी माना जाता है।

11 बत्तियों वाला दीपक: पीपल के पेड़ के नीचे 11 बत्तियों वाला दीपक जलाने से भगवान विष्णु मनोकामना पूरी करते हैं। भगवान विष्णु की पूजा करते समय चारमुखी दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है, जो चारों दिशाओं में सुख और शांति लेकर आता है।

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विशेष जानकारी और उपाय/Special information and solutions

दीपक की बत्ती और घी: मुख्य रूप से गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। अगर घी न हो, तो तिल के तेल का प्रयोग करें। तुलसी के पास घी का दीपक जलाना सबसे शुभ माना जाता है।

पीपल के नीचे 11 बत्तियों वाला दीपक: माना जाता है कि पीपल के पेड़ के नीचे 11 बत्तियों वाला एक बड़ा दीपक जलाने से भगवान विष्णु आपकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।

चारमुखी दीपक: भगवान विष्णु की पूजा के समय चारमुखी दीपक (चारों दिशाओं में मुख वाला) जलाना बहुत शुभ होता है, यह चारों दिशाओं से सुख-शांति को आकर्षित करता है।

जागरण का संदेश: देवउठनी एकादशी केवल भगवान के जागने का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें संदेश देता है कि आलस्य को त्याग कर, अपने भीतर के देवत्व को जगाओ और कर्म के मार्ग पर अग्रसर हो जाओ।

तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व/Religious significance of Tulsi marriage

तुलसी विवाह से न केवल पारिवारिक जीवन में प्रेम और स्थिरता आती है बल्कि अविवाहित लोगों के विवाह के योग भी बनते हैं। यह दिन खासतौर पर उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जिन्हें शादी में अड़चनें आ रही हों या विवाह प्रस्ताव बार-बार असफल हो रहे हों।

विवाह में रुकावटें दूर करने के उपाय/Ways to remove obstacles in marriage

पहला उपाय: यदि बार-बार प्रयास के बावजूद विवाह नहीं हो पा रहा है, तो तुलसी विवाह के दिन स्नान के जल में एक चुटकी हल्दी मिलाएं और हल्दी युक्त जल से स्नान करें। फिर तुलसी और शालिग्राम जी की पूजा करके उन्हें हल्दी मिश्रित दूध या लेप अर्पित करें। इससे गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।

दूसरा उपाय: इस दिन तुलसी माता और शालिग्राम भगवान को मौली से एक साथ बांधें। यह प्रतीकात्मक विवाह का मुख्य भाग है। इसके बाद किसी गरीब, ब्राह्मण या जरूरतमंद को वस्त्र, मिठाई और फल का दान करें। ऐसा करने से पुण्य प्राप्त होता है और वैवाहिक बाधाएं दूर होती हैं।

तीसरा उपायतुलसी माता में स्वयं मां लक्ष्मी का वास माना गया है। इसलिए तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाएं। लाल चुनरी, चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर और मेहंदी चढ़ाएं। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौभाग्य बना रहता है।

चौथा उपाय: शाम के समय तुलसी के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाएं और मनोकामना व्यक्त करते हुए तुलसी चालीसा का पाठ करें। अंत में “ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा” मंत्र का 108 बार जप करें। इससे विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

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– सारिका असाटी

 

 

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