दीपावली के 15 दिन बाद पड़ने वाली तिथि कार्तिक पूर्णिमा को पूरे देश और विदेश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। तीन प्रमुख समुदायों सनातन धर्म, सिख और जैन के पवित्र त्योहारों में से एक है। त्रिपुरारी पूर्णिमा, देव दीपावली, कार्तिक स्नान, प्रसिद्ध मेले, गुरु नानक जयंति, प्रकाश पर्व, गुरु पुरब, जैन धर्म, शत्रुंजय तीर्थ यात्रा आदि इस दिवस की प्रमुख घटनाएँ हैं।
सनातन, सिख और जैन धर्म की महत्वपूर्ण तिथि
- भारतवर्ष की सभ्यता एवं संस्कृति विश्व के प्राचीनतम संस्कृतियों में एक है।
- इसकी संस्कृति विविधता में एकता की प्रतीक है तथा यहां विभिन्न प्रकार के पर्व-त्योहार एवं अनुष्ठान मनाये जाते हैं।
- कार्तिक पूर्णिमा तीन प्रमुख समुदायों सनातन धर्म, सिख और जैन के पवित्र त्योहारों में से एक है।
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त्रिपुरारी पूर्णिमा
- यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि और दीपावली के 15 दिन बाद पड़ती है।
- पूरे देश और विदेश में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
- कार्तिक पूर्णिमा को ‘‘त्रिपुरारी पूर्णिमा‘‘ या ‘‘त्रिपुरी पूर्णिमा‘‘ के रूप में भी जाना जाता है।
- यह तीन दानव बंधुओं तारकक्ष, वीर्यवान और कमलाक्ष (संयुक्त रूप त्रिपुरासुर) पर भगवान शिव की विजय का उत्सव है।
- सभी देवताओं ने उनके विनाश पर हर्षोल्लास प्रकट करते हुए स्वर्गलोक में दीये जलाकर देव दीपावली मनाई थी।
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कार्तिक स्नान
- मान्यता है कि इस दिन, देवी-देवता पवित्र नदियों व सरोवरों में स्नान करने के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर पधारते हैं।
- इसलिए, इस दिन दीया जलाकर, नदियों और अन्य जल स्रोतों में पवित्र स्नान (कार्तिक स्नान) करते हैं।
- तत्पश्चात देवी-देवताओं की वंदना करके, भक्तजन दिव्य आशीर्वाद एवं समृद्धि की कामना करते हैं।
दीपदान
- इस अवसर पर भक्तजन नदियों में ‘‘दीपदान‘‘ (दीपक प्रवाह) करते हैं।
- मंदिरों में रात भर दीपमालाएं या प्रकाश स्तम्भ बनायी जाती हैं।
मत्स्यावतार
- कार्तिक पूर्णिमा पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जीवन रक्षा के लिए भगवान विष्णु के मत्स्यावतार (मछली अवतार) मत्स्य के उद्भव का प्रतीक है।
- यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण और राधा ने ब्रजभूमि में गोपियों के साथ रासलीला रचायी थी।
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कार्तिकेय का जन्मदिवस
- दक्षिण भारत में इस पवित्र दिवस को युद्ध के देवता और शिव-पार्वती के ज्येष्ट पुत्र कार्तिकेय के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
गुरु नानक जयंती
- कार्तिक पूर्णमासी पर सिख पंथ के संस्थापक एवं प्रथम गुरु नानक देव जी की जयंती ‘‘गुरु परब‘‘ या ‘‘प्रकाश पर्व‘‘ के रूप में मनाई जाती है।
- देश के कोने-कोने में गुरुद्वारों में कीर्तन, गुरुवाणी और अखंड पाठ के साथ शोभा-यात्रा एवं अन्य धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- हालाँकि दुर्भाग्यवश स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात उनका जन्मस्थान राय-भोइ-दी-तलवंडी (अब ननकाना साहिब) पाकिस्तान में चला गया है।
जैन धर्म
- जैन मताब्लम्बियों की मान्यता है कि प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ कार्तिक पूर्णिमा के दिन पालीताना में शत्रुंजय पहाड़ियों पर पधारे थे
- यहाँ उन्होंने अपना पहला उपदेश देकर इसे पवित्र किया था।
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शत्रुंजय तीर्थ यात्रा
- इसलिए, जैन तीर्थयात्री शुभ यात्रा करने के लिए शत्रुंजय पहाड़ियों की तलहटी में आते हैं।
- श्री शत्रुंजय तीर्थ यात्रा एक जैन श्रद्धालु के लिए सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है।
- वे पहाड़ियों के ऊपर आदिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए 216 किमी दुरूह पहाड़ी इलाके को पैदल तय करते हैं।
विश्वप्रसिद्ध मेले
- कार्तिक पूर्णिमा पर कई विश्व प्रसिद्ध मेले आयोजित किए जाते हैं।
- बिहार में हरिहर क्षेत्र सोनपुर पशु मेला, राजस्थान में पुष्कर ऊंट मेला और बोकारो (झारखंड) में लुगू पहाड़ मेला का आयोजन किया जाता है।
- कार्तिक पूर्णिमा का दिवस मंदिरों, गुरुद्वारों और चहुं ओर सद्भाव, खुशी, उत्सव, भक्ति, आध्यात्मिक भजन-कीर्तन का द्योतक है।
- यह घरों, दिलों और स्वर्ग को प्रकाशित करता है और मित्रता और एकजुटता का संदेश देता है।
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