Saturday, December 6, 2025
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कांवड़ यात्रा का इतिहास/ History of Kanwar Yatra

कांवड़ यात्रा का इतिहास/ History of Kanwar Yatra
कांवड़ यात्रा का इतिहास/ History of Kanwar Yatra

भगवान शिव के सर्वप्रिय महीने सावन की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है। और इसी दिन से पवित्र ‘कांवड़ यात्रा’ भी प्रारंभ होगी। इस दौरान शिव भक्त ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष के साथ कंधे पर कांवड़ लेकर हरिद्धार से गंगा जल लेने जाते हैं और फिर उस जल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।

कठिन होती है कांवड़ यात्रा/ Kanwar Yatra is difficult

कांवड़ यात्रा का इतिहास/ History of Kanwar Yatra

  • कहते हैं ऐसा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और वो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
  • ये यात्रा बहुत कठिन होती है क्योंकि इसमें भक्तगण पदयात्रा करते हैं।
  • गर्मी-बारिश या तूफान आए वो अपने कांवड़ को जमीन पर जरा भी नहीं उतारते हैं।
  •  ये भक्तों की सच्ची आस्था और ईश्वर के प्रति लगाव ही है
  •  कि वो अपने शिव-शंभू के लिए ना दिन देखते हैं और ना ही रात।

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कांवड़ का जिक्र रामायण में/ Kanwar is mentioned in Ramayana

  • ‘वाल्मिकी रामायण’ में भी कांवड़ का जिक्र मिलता है।
  • ‘आनंद रामायण’ में भी कांवड़ यात्रा का उल्लेख मिलता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार/ According to mythology

कांवड़ यात्रा का इतिहास/ History of Kanwar Yatra

  • समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को शिव जी ने विश्व की शांति और प्रजा को बचाने के लिए खुद विषपान कर लिया था।
  •  लेकिन उसे कंठ के नीचे उतरने नहीं दिया था, जिसके कारण उनका गला नीला पड़ गया था।
  •  और इसी वजह से दुनिया उन्हें ‘नीलकंठ’ के नाम से भी पुकारती है।
  • जहर की पीड़ा को शांत करने के लिए होता है अभिषेक
    लेकिन विष का पान करने से शिव को काफी पीड़ा हुई थी।
  •  इसी पीड़ा को शांत करने के लिए लोग उनका जलअभिषेक करते हैं।
  •  और जब ये अभिषेक गंगाजल से होता है तो इससे शिव को शांति के साथ-साथ खुशी भी मिलती है। क्योंकि मां गंगे तो उनकी जटाओं में निवास करती हैं।
  • इसी वजह से सावन में कांवड़ के जरिए जल अभिषेक की प्रथा सदियों से चली आ रही है।

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 भिन्न-भिन्न युगों में हुआ ज्योतिर्लिंग का जलअभिषेक/ Water consecration of Jyotirlinga took place in different eras

कांवड़ यात्रा का इतिहास/ History of Kanwar Yatra

  • त्रेतायुग में खुद भगवान राम ने भी कांवड़ के जरिए बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का जलअभिषेक किया था।
  • द्वापर युग में युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम ने हरिद्वार से गंगाजल लाकर शिव का अभिषेक किया था। श्रवण कुमार पहले कांवड़ यात्री थे।
  •  कहते हैं कि श्रवण कुमार पहले कांवड़ यात्री थे, जिन्होंने कावंड़ में अपने माता-पिता को बैठाकर ये यात्रा पूरी की थी।

इस बार आठ सावन सोमवार/ This time it is 8th Sawan Monday

  • सावन में इस बार अधिमास के कारण आठ सोमवार पड़ने वाले हैं।
  • और इसलिए इस बार भक्तों को आठ सोमवार का व्रत करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।

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नोट – यह लेख सामान्य ज्ञान पर आधारित है। यदि आपको पसंद आए तो कृपया अधिक से अधिक शेयर करें। अपने सुझाव और विचार कृपया कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। धन्यवाद।

 

 

 

 

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