
भगवान शिव के सर्वप्रिय महीने सावन की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है। और इसी दिन से पवित्र ‘कांवड़ यात्रा’ भी प्रारंभ होगी। इस दौरान शिव भक्त ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष के साथ कंधे पर कांवड़ लेकर हरिद्धार से गंगा जल लेने जाते हैं और फिर उस जल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।
कठिन होती है कांवड़ यात्रा/ Kanwar Yatra is difficult

- कहते हैं ऐसा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और वो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
- ये यात्रा बहुत कठिन होती है क्योंकि इसमें भक्तगण पदयात्रा करते हैं।
- गर्मी-बारिश या तूफान आए वो अपने कांवड़ को जमीन पर जरा भी नहीं उतारते हैं।
- ये भक्तों की सच्ची आस्था और ईश्वर के प्रति लगाव ही है
- कि वो अपने शिव-शंभू के लिए ना दिन देखते हैं और ना ही रात।
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कांवड़ का जिक्र रामायण में/ Kanwar is mentioned in Ramayana
- ‘वाल्मिकी रामायण’ में भी कांवड़ का जिक्र मिलता है।
- ‘आनंद रामायण’ में भी कांवड़ यात्रा का उल्लेख मिलता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार/ According to mythology

- समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को शिव जी ने विश्व की शांति और प्रजा को बचाने के लिए खुद विषपान कर लिया था।
- लेकिन उसे कंठ के नीचे उतरने नहीं दिया था, जिसके कारण उनका गला नीला पड़ गया था।
- और इसी वजह से दुनिया उन्हें ‘नीलकंठ’ के नाम से भी पुकारती है।
- जहर की पीड़ा को शांत करने के लिए होता है अभिषेक
लेकिन विष का पान करने से शिव को काफी पीड़ा हुई थी। - इसी पीड़ा को शांत करने के लिए लोग उनका जलअभिषेक करते हैं।
- और जब ये अभिषेक गंगाजल से होता है तो इससे शिव को शांति के साथ-साथ खुशी भी मिलती है। क्योंकि मां गंगे तो उनकी जटाओं में निवास करती हैं।
- इसी वजह से सावन में कांवड़ के जरिए जल अभिषेक की प्रथा सदियों से चली आ रही है।
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भिन्न-भिन्न युगों में हुआ ज्योतिर्लिंग का जलअभिषेक/ Water consecration of Jyotirlinga took place in different eras

- त्रेतायुग में खुद भगवान राम ने भी कांवड़ के जरिए बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का जलअभिषेक किया था।
- द्वापर युग में युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम ने हरिद्वार से गंगाजल लाकर शिव का अभिषेक किया था। श्रवण कुमार पहले कांवड़ यात्री थे।
- कहते हैं कि श्रवण कुमार पहले कांवड़ यात्री थे, जिन्होंने कावंड़ में अपने माता-पिता को बैठाकर ये यात्रा पूरी की थी।
इस बार आठ सावन सोमवार/ This time it is 8th Sawan Monday
- सावन में इस बार अधिमास के कारण आठ सोमवार पड़ने वाले हैं।
- और इसलिए इस बार भक्तों को आठ सोमवार का व्रत करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
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