
हिंदू धर्म में करवाचौथ व्रत का बड़ा महत्व है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को पड़ रहा है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना से दिनभर निर्जला व्रत करती हैं। वैसे तो इस पूजा के लिए एक मिट्टी का बर्तन, एक छलनी, सींक और कांस के तृण होना बहुत जरूरी है। कम ही लोग जानते हैं कि ये चीजें कितनी महत्वपूर्ण हैं और पूजा में इनकी आवश्यकता क्यों होती है।करवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह 4 बजे उठकर सबसे पहले स्नान करती हैं और फिर भगवान की पूजा करती हैं। इसके बाद रात को चंद्रमा निकलने पर उन्हें अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। मिट्टी के बर्तन में कई कांसे के तिनके रखे जाते हैं, पानी भरा जाता है और चंद्रमा को अर्पित किया जाता है।
छलनी से क्यों देखते हैं पति का चेहरा/ Why do you look at your husband’s face through a sieve?
मान्यता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के दर्शन करने से छेदों की संख्या जितनी प्रतिबिंब दिखते हैं। अब छलनी से पति को देखते हैं तो पति की आयु भी उतनी ही गुना बढ़ जाती है। इसलिए करवा चौथ का व्रत करने के बाद चांद को देखने और पति को देखने के लिए छलनी प्रयोग की जाती है इसके बिना करवा चौथ अधूरा है।
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पुराणों में भी मिलता है उल्लेख/Also mentioned in the puranas
करवा चौथ के व्रत को पुराणों में करक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। करवा चतुर्थी के दिन, माताएं अपने पतियों की लंबी आयु की प्रार्थना करने के लिए उपवास रखती हैं, भोजन और पानी से परहेज करती हैं और यह व्रत रखती हैं।
पुराणों में एक कथा है/A story in the puranas
जब प्रजापति दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया तो वह कमजोर हो गये। राजा दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दिया की जो भी कोई उसे देखेगा उस पर कलंक आएगा। तब चंद्रमा रोते हुए भगवान शंकर के पास पहुंचे और सभी स्थिति उन्हें बताई। तब भगवान शंकर ने कहा-कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की जो चतुर्थी आएगी उस दिन जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा, उसके जीवन के जो सारे दोष, कलंक सब मिट जाएंगे।
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करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दें/How to offer Arghya to moon on the day of Karva Chauth
करवा चौथ व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही किया जाता है। ऐसे में आपको बता दें कि चंद्रमा को अर्घ्य देते समय आपकी दिशा उत्तर-पश्चिम की ओर होनी चाहिए। इस दिशा में मुख करके चंद्रदेव को अर्घ्य देने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है।
क्या है करवा चौथ की पूजन सामग्री?/ What is the karwa chauth necessary materials?
- मिट्टी या तांबे का करवा
- ढक्कन
- सींक
- फूल माला
- करवा चौथ की थाली
- छलनी
- व्रत कथा पुस्तक
- पान
- कलश
- चंदन
- हल्दी
- चावल
- मिठाई
- कच्चा दूध
- दही
- देसी घी
- शहद
- शक्कर का बूरा
- रोली
- कुमकुम
- मौली
- अक्षत
- आटे की लोई
- थोड़े से चावल
- सिंदूर
- मेहंदी
- महावर
- कंघा
- बिंदी
- चुनरी
- चूड़ी
- बिछिया या पायल
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करवा चौथ में मिट्टी या पीतल का करवा प्रयोग होता है, इसे भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही करवा की टोटी को सुंड माना जाता है। जिसमें जल भरकर चंद्रदेव को अर्घ्य देने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसी टोंटी में कांस की सींक को लगाया जाता है, जो शक्ति का प्रतीक है।
करवा चौथ की पूजा चांद को देखे बिना पूरी नहीं मानी जाती है। इस व्रत में चांद की पूजा का विशेष महत्व है। चांद के निकलने के बाद और अर्घ्य देने के बाद ही करवा चौथ व्रत का पारण किया जाता है। चांद की पूजा के बाद व्रती महिलाएं अपने पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।
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करवा चौथ चंद्रोदय समय/ karva chauth moonrise time:
पंचांग के अनुसार, करवा चौथ की पूजा शाम को 05 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 02 मिनट तक के बीच होगी। वहीं, इस दिन चांद निकलने का समय शाम 07 बजकर 54 मिनट का है। इस दौरान आप चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं।
इसके साथ ही पूजा के बाद अपने व्रत का पारण कर सकते हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि इस दिन चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होगा, जिसके चलते यह दिन बेहद पावन माना जा रहा है।
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