जानें कमरदर्द का कारण
यदि आपके कमर में यानी पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहता है तो यह कई बीमारियों का संकेत हो सकता है। कई बीमारियों की शुरूआत कमर दर्द से हो सकती है। कमर दर्द के कारणों और निवारण के बारे में आइए जानते हैं –
कमर में दर्द (kamar me dard) के कई कारण हो सकते हैं और ये इन बीमारियां के संकेत होते हैं-
अल्सरेटिव कोलाइटिस
- यह एक आंत्र रोग है।
- इस बीमारी में बड़ी आंत, जिसे बृददांत्र भी कहते हैं, में लगातार सूजन रहती है।
- अल्सरेटिव कोलाइटिस से बार-बार पेट में ऐंठन महसूस होती है।
- इस ऐंठन से पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है।
- अल्सरेटिव कोलाइटिस के अन्य लक्षणों में क्रॉनिक डाइजेस्टिव समस्याएं हो सकती हैं।
- जैसे- मलाशय में दर्द, वजन में कमी और थकान आदि।
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स्त्री रोग संबंधी विकार
- महिलाओं में श्रोणि में स्थित विभिन्न प्रजनन अंग पीठ के निचले हिस्से में दर्द पैदा कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए, एंडोमेट्रियोसिस एक सामान्य स्थिति है जो श्रोणि क्षेत्र में तेज दर्द पैदा कर सकती है।
- जो पीठ के निचले हिस्से में फैल सकती है।
- गर्भाशय में और उसके आस-पास बढ़ने वाले फाइब्रॉएड या ऊतक द्रव्यमान पीठ के निचले हिस्से में दर्द पैदा कर सकते हैं।
- इसके अन्य लक्षण हैं – असामान्य मासिक धर्म, बार-बार पेशाब आना।
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गर्भावस्था
- गर्भावस्था के दौरान पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना आम है।
- महिलाएँ विभिन्न तरीके से इस दर्द से छुटकारा पा सकती हैं।
- जैसे – आराम, व्यायाम और स्ट्रेचिंग करके तथा अन्य पूरक उपचारों से।
हर्नियेटेड लम्बर डिस्क
- जब इंटरवर्टेब्रल डिस्क, स्पाइल कार्ड की वर्टिब्रा की बाईं ओर हर्नियेट हो जाती है, तो पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है।
- यह दर्द तेज होता है, जो बाएं कूल्हे के माध्यम से और बाएं पैर के पीछे से चलता है।
- ज्यादातर बाएं पैर में दर्द पीठ दर्द से भी बदतर होता है।
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एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलिटिस
- इसमें रीढ़ और श्रोणि के आधार के बीच स्थित sacroiliac जोड़ों में सूजन हो जाती है।
- एएस के शुरुआती लक्षणों में से एक यह सूजन है जिसे सैक्रोइलाइटिस के नाम से भी जाना जाता है।
- कशेरुकाओं के बीच के जोड़, रीढ़ की हड्डी को बनाने वाली हड्डियाँ, अक्सर सूजन से प्रभावित होती हैं।
- इस स्थिति को स्पॉन्डिलाइटिस के नाम से जाना जाता है।
- एएस के कुछ रोगियों को कष्टदायी, पुराना पीठ दर्द, कूल्हे का दर्द और अकड़न होती है।
- दूसरों में अनियमित, हल्के लक्षण होते हैं।
- नई हड्डी संरचनाओं के कारण रीढ़ कठोर हो सकती है जो अंततः कशेरुक खंडों को जोड़ती है।
- इस स्थिति को एंकिलोसिस कहा जाता है।
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कमर दर्द (पीठ के निचले हिस्से के दर्द) से कैसें बचें?
इसके लिए जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत होती है। जैसे-
- सही पॉश्चर– कुर्सी पर बैठते वक्त आराम से बैठें।
- हर एक घंटे के बाद कुर्सी से उठ जाएं, ताकि शारीरिक स्थिति में बदलाव आए।
- काम के बीच में स्ट्रेचिंग द्वारा शरीर को रिफ्रेश करें।
- अचानक झुकने से बचें, बैठते समय पॉश्चर सही रखें।
- कम्प्यूटर पर काम करते वक्त उसकी स्क्रीन आपके नजरों के बिल्कुल समानांतर ऊँचाई पर हो।
- मोबाइल फोन इस्तेमाल करते वक्त गर्दन न झुकाएं, सिर्फ नजर नीचे रखें।
- पैदल चलें। किसी भी व्यक्ति को फोन करते वक्त चलते-चलते फोन करें।
- ऑफिस में किसी को टेक्स्ट मेसेज भेजने से अच्छा है, उसके डेस्क के पास जा कर बात करें।
- इसी बहाने आप कुछ कदम भी चल लेंगे।
- वजन उठाते वक्त सावधान रहें। पीठ को ज्यादा ना झुकाएँ।
- स्वस्थ खान–पान– खान-पान की सही आदतें सेहतमंद तो रखती है साथ ही इससे शरीर पर अतिरिक्त दबाव कम होता है।
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सोने का सही तरीका अपनाएँ।
सोने का सबसे अच्छा तरीका है, करवट लेकर सोना और अपने पैरों के बीच में तकिया रखना।
मानसिक तनाव को कम करें।
लोग वाकई इस बात को समझते हैं कि तनाव से पीठ/कमर दर्द की समस्या बढ़ती है।
धूम्रपान न करें।
- इससे ना केवल पीठ दर्द का खतरा दूर होगा।
- बल्कि कैंसर, डायबिटीज और जीवनशैली से जुड़ी अन्य बीमारियों को भी दूर करने में मदद मिलेगी।
नियमित व्यायाम और योग करें।
- योग करने से तनाव कम होता है और यह पूर्ण रूप से शरीर के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है।
- कमरदर्द ठीक करने के लिए शलभासन, मकरासन, धनुरासन, भुजंगासन, मर्कटासन करें।
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