
- व्यक्ति अपने बुरे समय में सम्हल गया तो समझो उसने जीवन जीना सीख लिया। बुरा समय या कहें कठिन परिस्थितियाँ उस की तरह आग होती हैं जो सोने की अशुद्धियों को पिघला कर उसे खरा बनाती है। कठिन परिस्थितियों में सीखे गए पाठ किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में आत्मविश्वास की ऐसी चमक भरते हैं कि वह कोई भी कार्य करने की हिम्मत जुटा सकता है।
- कठिन परिस्थितियों में अथवा उनसे उत्पन्न संघर्ष के दौरान व्यक्ति अपनी कमियों व दोषों से मुक्त हो जाता है। उसे पता चल जाता है कि वो अपनी किन कमियों अथवा दोषों के कारण पिछड़ गया था। वह उन्हें समझकर दूर करने का प्रयास करता है।
- ये कठिन परिस्थितियाँ ही होती हैं जो मनुष्य में धैर्य का विकास करती हैं, उसे सहनशील बनाती हैं। कठिन परिस्थितियों में ही व्यक्ति दूसरों से सहयोग व मार्गदर्शन लेने व देने की योग्यता भी विकसित कर पाता है। जो लोग कभी कठिन परिस्थितियों से नहीं गुजरते, वे दूसरों का दुःख-दर्द भी नहीं समझ सकते। ऐसे में दूसरों की मदद करने की भावना का विकास भी नहीं हो पाता।
- कठिन परिस्थितियाँ जीवन को नए आयाम प्रदान करने में सक्षम होती हैं। कठिन परिस्थितियाँ उत्पन्न होने के कारण ही हमारी प्रसुप्त शक्तियाँ जागृत हो उठती हैं। हमें सामान्यतः यह पता ही नहीं होता कि हममें कितनी शक्ति है अथवा हम क्या-क्या कार्य कर सकते हैं? कठिन परिस्थितियाँ ही हमें हमारी शक्ति अथवा क्षमता से अवगत कराने में सक्षम होती हैं। ये कठिन परिस्थितियाँ ही हैं जो हमारे सामने असीम संभावनाओं के द्वार खोल देती हैं और हम नए रास्तों की तलाश में जी-जान से जुट जाते हैं। सामान्य परिस्थितियों में हम कब नए रास्ते तलाशने का जोखिम उठाते हैं? जीवन में जितनी अधिक कठिन परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, हम उतना ही अधिक संघर्ष करते हैं और उतना ही अधिक आगे बढ़ते हैं। इस दौरान ज़रूरत सिर्फ इस बात की होती है कि घबराएँ नहीं और ध्यान रखें कि कोई भी परिस्थिति हमेशा नहीं रहती, रात के बाद सुबह भी आती है।

