इस साल ओणम (थिरुवोणम)15 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा.ओणम का पर्व एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक महत्व का उत्सव है ओणम केरल में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो फसल के मौसम और पौराणिक राजा महाबली की वापसी का प्रतीक है. यह सांस्कृतिक परंपराओं, पारिवारिक समारोहों और उत्सवी आनंद से भरा त्योहार है, जिसे केरल में सभी समुदाय, चाहे वे किसी भी धर्म के हों मनाते हैं।
ओणम का त्योहार/ONAM FESTIVAL
ओणम त्योहार इस साल 6 सितंबर से शुरू हो चुका है जिसका समापन यानी पर्व का आखिरी दिन 15 सितंबर 2024 को होगा।
कब मनाया जाता है ओणम/ WHEN IS ONAM CELEBRATED
मलयालम भाषा में इसे थिरुवोणम (thiruvonam 2024) कहते हैं. हिंदी कैलेंडर के अनुसार ये भाद्रपद या आश्विन माह (Ashbin month) में मनाया जाता है।
ओणम का महत्व/ IMPORTANCE OF ONAM
ओणम न केवल फसल कटाई का त्यौहार है, बल्कि एकता, समानता और उदारता के मूल्यों को प्रतिबिंबित करने का भी समय है. महाबली के शासनकाल की कहानी उस समय का प्रतिनिधित्व करती है जब सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता था, और कोई गरीबी या पीड़ा नहीं थी. यह त्यौहार एकजुटता की भावना का प्रतीक है, क्योंकि परिवार फिर से मिलते हैं और समुदाय विभिन्न आयोजनों, अनुष्ठानों और खेलों में भाग लेने के लिए एक साथ आते हैं।
हालांकि हिंदू पौराणिक कथाओं में निहित, ओणम केरल में सभी समुदायों द्वारा मनाया जाता है, जो इसे एक धर्मनिरपेक्ष और समावेशी त्यौहार बनाता है. भव्य दावत, ओनासद्या, मुख्य आकर्षण में से एक है, जहाँ परिवार और दोस्त भोजन साझा करने के लिए इकट्ठा होते हैं, जो एकता के बंधन को मजबूत करता है।
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सांप नाव दौड़ (वल्लम काली)/SNAKE BOAT RACE
ओणम त्योहार के मौसम में 400 साल पुराने पारंपरिक जल क्रीड़ा आयोजित किए जाते हैं। पुराने समय में एलेप्पी (अलाप्पुझा) के राजाओं द्वारा इस खेल को आयोजित किया जाता था, जो इन नौकाओं के माध्यम से लड़ते थे।
साँप नौका (चंदन वल्लम) को उनके डोंगी आकार से नाम मिला है, इस नाव में करीबन 100 लोग आराम से बैठ सकते हैं..केरल के त्योहारों के दौरान विभिन्न नाव दौड़ आयोजित की जाती हैं। जोकि अगस्त से शुरू होकर सितम्बर में खत्म होती हैं। इस दौरान हजारों लोग इस पर्व का लुत्फ उठाने के लिए वहां पहुंचते हैं और इस पर्व का आनंद उठाते हैं।
चंपककुलम बोट रेस /CHANPAKKULAM BOAT RACE
अंबलाप्पुजा चंपककुलाम मुलम केरल में एक प्राचीन नाव (वल्लम काली) की दौड़ है। पौराणिक कथायों के मुताबिक, कि इस मंदिर में जो कृष्णा की मूर्ति की स्थापना हो रही थी, वह अशुभ थी,जिसके बाद करिकुलम मंदिर से एक अन्य मूर्ति मंगाई गयी और उसकी स्थापना की अरणमुला के मंदिर में गयी ।चंपककुलाम मुलम नाव की दौड़ केरल में ओणम त्योहार के दौरान आयोजित की जाती है।
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ओणम कैसे मनाया जाता है/ HOW IS ONAM CELEBRATED
10 दिन तक चलने वाले ओणम के इस समय, केरल के लोग अपने पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं, और पूरे उत्सव के दौरान आनंद और उत्साह का माहौल रहता है. यह त्योहार जीवन की खुशियों और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है:
पहला दिन – अथम
दूसरा दिन – चिथिरा
तीसरा और चौथा दिन – विसाकम
पांचवां दिन – अनिजाम
छठा दिन – थिक्रेता
सातवां दिन – मूलम
आठवां दिन – पूरादम
नवां दिन – उथिरादम
दसवां दिन – थिरुवोणम
ओणम का असुर राजा महाबलि संबंध और मान्यता/ ONAM’S DEMON KING MAHABALI CONNECTIONS AND RECOGNITION:
ओणम राजा महाबली की किंवदंती से गहराई से जुड़ा हुआ है, जो अपनी उदारता, दयालुता और समानता के लिए जाने जाते हैं. उनके शासनकाल में समृद्धि और शांति थी, जिसने अंततः महाबली के बढ़ते प्रभाव से डरकर देवताओं के बीच चिंता पैदा कर दी दक्षिण भारत में असुर राजा महाबलि को बेहद दानवीर माना जाता है मान्यता है कि केरल के राजा बलि के राज्य में प्रजा बहुत ही सुखी और संपन्न थी इसी दौरान भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर आए और दान में तीन पग भूमि मांगी ,दो पग में श्रीहरि ने धरती, स्वर्ग सभी को नाप लिया तीसरा पग कहां रखूं ये पूछने पर राजा बलि वामन देव आप तीसरा पग मेरे सिर पर रख दें, विष्णु जी ये सुनकर प्रसन्न हुए और उन्हें अमरता का वरदान देकर पाताललोक का राजा बना दिया ,हर साल राजा बलि ओणम के त्योहर में पृथ्वीलोकर पर आते हैं थिरुवोणम के दिन दैत्य राज महाबलि प्रत्येक मलयाली घर में जाकर अपनी प्रजा से मिलते हैं उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
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