Thursday, September 19, 2024
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एल्बर्ट आइन्स्टीन महान भौतिक वैज्ञानिक Albert Einstein A Great Physicist

एल्बर्ट आइन्सटीन सापेक्षता के सिद्धांत के प्रतिपादक exponent of the the theories of relativity

एल्बर्ट आइन्स्टीन एक महान जर्मन भौतिक वैज्ञानिक थे। आइंटीन ने विज्ञान और उसकी शाखा भौतिक विज्ञान में कई मूलभूत और महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रतिपादित किए जिनके आधार पर आज दुनिया भर के छात्रों को फिजिक्स पढ़ाई जाती है।

आइंस्टीन की सबसे बड़ी देन

  • विज्ञान जगत में अल्बर्ट आइंस्टीन की सबसे बड़ी सफलता द्रव्यमानऊर्जा समीकरण है।
  • इस सिद्धांत को ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत तथा ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम के तौर पर भी जाना जाता है।
  • गणितीय रूप में यह इस प्रकार लिखा जा सकता है, ‘E = MC Square’

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नोबेल पुरस्कार(nobel prize)

  • साल 1921 में प्रकाश विद्युत उत्सर्जन’ की खोज के लिए इन्हें
  • विश्व के सबसे सम्मानित पुरस्कार नोबेल पुरस्कार’ द्वारा भी सम्मानित किया गया।
  • इन सब के अलावा भी आइंस्टीन द्वारा कई खोज अविष्कार किए गए।

आइंस्टाइन की जयंती (Albert Einstein Birthday)

14 मार्च को अल्बर्ट आइंस्टाइन की जयंती (Albert Einstein Birthday) मनाई जाती है। और इसी दिन विश्व पाई दिवस भी मनाया जाता है।

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जन्म और शिक्षा (birth and education)

  • एल्बर्ट आइन्स्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को उल्म के दक्षिणी जर्मनी शहर में हुआ था।
  • एक साल बाद ही आइन्स्टीन परिवार यहाँ से उठकर म्यूनिख में आ बसा।
  • एल्बर्ट आइन्स्टीन के पिता एक छोटी-सी इलेक्ट्रो-कैमिकल फैक्टरी के मालिक भी थे और  ऑपरेटर भी।
  • शैशवकाल में एल्बर्ट आइन्स्टीन बेहद सामान्य मेधा के बच्चे थे।
  • बोलना इतनी देर से सीखा कि माँ-बाप को डर ही लगने लगा कि बालक मन्दबुद्धि है, जड़ है।
  • बड़ी ही छोटी उम्र से वह अपनी उम्र के और बच्चों से अलग रहने लगे और सारा दिन कुछ न कुछ करते रहते थे।
  • म्यूनिख में आम शिक्षा के लिए कोई सरकारी प्रबन्ध नहीं था।
  • प्रारम्भिक स्कूल जो थोड़े-बहुत थे उनकी व्यवस्था दो-एक धर्म-संस्थाओं के अधीन थी।
  • एल्बर्ट आइन्स्टीन के घर वाले यहूदी थे किन्तु उन्हें किसी भी धर्म में शुरू से ही कोई रुचि नहीं थी।
  • 10 साल की उम्र में उन्हें एक माध्यमिक स्कूल जिम्नेजियम में डाल दिया गया ताकि वह विश्वविद्यालय की उच्च शिक्षा की योग्यता प्राप्त कर सकें।
  • स्कूली जीवन में न उन्हें कुछ सुख ही हासिल हुआ, न सफलता।
  • क्योंकि यहाँ रिवाज़ था पाठ को कण्ठस्थ करने का।

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बचपन की महत्वपूर्ण घटनाएँ

  • एल्बर्ट आइन्स्टीन के इंजीनियर चाचा ने बालक की गणित में अभिरुचि जगाई।
  • उन्होंने ही अबोध शिशु को सबसे पहले यह समझाया कि
  • किस प्रकार एक प्रश्न के समाधान में बीजगणित के प्रयोग से समय बच सकता है।
  • एल्बर्ट आइन्स्टीन ने खुद स्वीकार किया है कि दो घटनाएँ बचपन में उनके लिए वरदान सिद्ध हुईं।
  • एक तो पाँच साल की उम्र में उन्हें किसी ने चुम्बकीय कम्पास ला दिया था और दूसरी,
  • बारह साल की उम्र में यूक्लिड की ज्योमेट्री से प्रथम परिचय ।
  • एल्बर्ट आइन्स्टीन जब 15 वर्ष के थे, तभी उनके पिता को अपने बिजली के पुराने कारोबार को बंद करना पड़ा।
  • परिणामतः आइन्स्टीन परिवार म्यूनिख से उठकर मीलान (इटली) में आ गया ताकि कोई और धंधा शुरू किया जाये।
  • मीलान में रहते हुए एल्बर्ट आइन्स्टीन के कुछ ही दिन गुजरे होंगे कि उन्होंने अपने भविष्य चिन्ता सताने लगी।
  • गणित और समीक्षात्मक भौतिकी के अध्ययन का निश्चय
  • और उन्होंने निश्चय किया कि वह अपना सारा जीवन गणित तथा समीक्षात्मक भौतिकी के अध्ययन में लगा देंगे।
  • तदनुसार ही उन्होंने (ज्यूरिख (स्विट्ज़रलैं के प्रसिद्ध स्विस फेडरल पॉलीटेक्निक स्कूल के लिए प्रवेशिका परीक्षा दी,
  • किन्तु असफल रहे।
  • लेकिन पॉलीटेक्निक के डायरेक्टर एल्बर्ट आइन्स्टीन की गणित में योग्यता पर आश्चर्यचकित थे।
  • और अंततः उन्होंने इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए आइन्स्टीन के लिए व्यवस्था कर दी
  • कि वह प्रवेशिका की इन आवश्यकताओं को स्विट्जरलैंड में जाकर ही पूरी कर लें।
  • पाठ्य विधि पूर्ण करके वे फेडरल पॉलीटेक्निक स्कूल ज्यूरिख में दाखिल हो गए।
  • ज्यूरिख में रहते हुए उन्होंने निश्चय किया कि वह भौतिकी का अध्यापक ही बनेंगे,
  • क्योंकि पिता को नये कामों में सफलता नहीं मिल रही थी।
  • सो, पुत्र की शिक्षा के लिए वह आवश्यक खर्च आदि कैसे जुटा पाते। सौभाग्य से एक सम्पन्न सम्बन्धी ने विश्वविद्यालय के द्वारा ही उसकी सहायता का प्रबन्ध कर दिया।
  • आइन्स्टीन को कहीं भी अध्यापक की नौकरी नहीं मिल सकी।
  • लेकिन गुजारा तो किसी न किसी तरह चलाना ही था।

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सापेक्षिकता की स्थापना

  • वे बर्न के स्विस पेटेण्ट ऑफिस में पेटेण्टों के परीक्षक के तौर पर नौकरी में लग गए।
  • 1905 में, इसी पेटेण्ट ऑफिस में नौकरी करते हुए, आइन्स्टीन ने ‘विशिष्ट सापेक्षिकता’ की स्थापना की थी
  • जिसका मूर्त प्रत्यक्ष विश्व ने चालीस साल बाद एटम बम के निर्माण में किया।
  • तब तक भौतिकी शास्त्र का सारा दारोमदार आइज़क न्यूटन के दो साल पुराने नियमों पर आधारित था।
  • अमेरिकी नौसेना अकादमी के एक विज्ञानी प्राध्यापक मि. मिचेलसन ने कुछ परीक्षणों द्वारा प्रमाणित कर दिखाया कि
  • प्रकाश की गति आइज़क न्यूटन के गति विषयक नियमों का अनुसरण नहीं करती।

प्रकाश की गति की अपरिवर्तनीयता का सिद्धांत

  • आइन्स्टीन कुछ स्वतंत्र चिन्तन करने के बाद कुछ नूतन-सी इस स्थापना पर पहुँचे कि
  • प्रकाश का स्रोत कुछ भी क्यों न हो और द्रष्टा कहीं भी क्यों न खड़ा हो,
  • किधर भी क्यों न चल रहा हो, प्रकाश की गति सभी ओर एक-सी ही होगी।
  • इस स्थापना का अर्थ यह हुआ कि प्रकाश की गति में किसी भी अवस्था में कोई परिवर्तन नहीं आ सकता।
  • एल्बर्ट आइन्स्टीन की इस उक्ति में कुछ बड़ी बात अथवा असामान्यता नज़र नहीं आती;
  • किन्तु आइन्स्टीन की प्रतिभा की यह एक निजी विशिष्टता ही रही है।
  • कि वे अपनी स्थापनाओं को सदा कुछ अद्भुत, अविश्वसनीय किन्तु सत्य कल्पनाओं में अभिव्यक्त करने में सफल रहे हैं।
  • प्रकाश की गति की अपरिवर्तनीयता के इसी सिद्धान्त के आधार पर ही एल्बर्ट आइन्स्टीन ने आगे काम किया।
  • और अपना द्रव्य-शक्ति का परस्पर-परिवर्तनीयता सम्बन्धी यह प्रसिद्ध सूत्र निकाला था
  • जिसका उल्लेख हम एटम बम सिलसिले में पहले कर आये है।
  • यही नियम है कि जो पहली बार सूर्य की शक्ति के ‘स्रोत’ की कुछ व्याख्या कर सका था कि
  • सूर्य, यदि अपने ही आन्तरिक ईंधन द्वारा हमें प्रकाश और गरमी दे रहा होता
  • तो कभी का ठंडा पड़ चुका होता, कभी का बुझ चुका होता।
  • किन्तु पदार्थ के द्रव्यमान और ऊर्जा में एक निश्चित सम्बन्ध बनाने वाला वह समीकरण है – E = mc2
  • यहाँ E ऊर्जा है, m पदार्थ का द्रव्यमान है और प्रकाश का वेग है।
  • एल्बर्ट आइन्स्टीन के इस सूत्र में पूर्ण ट्रष्ट है कि यही सूर्य इसने युगों से ताप और युति का यह विकिरण उत्सर्जित करता आ रहा है
  • और अरबों-खरबों वर्ष आगे भी इसी तरह करता रहेगा।

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  • सन् 1916 में प्रोफेसर पद पर कार्य करते हुए उन्होंने जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी का सिद्धान्त दिया था।
  • इस जटिल सिद्धान्त को केवल विश्व के चार वैज्ञानिक ही समझ पाए थे। इसके अनुसंधान के उपलक्ष्य में उन्हें सन् 1921 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
  • एटम बम के आविष्कार पर एल्बर्ट आइन्स्टीन को पश्चात्ताप था।
  • उन्हें शुरू से यही आशा थी कि एटम की शक्ति का प्रदर्शन जापानी सरकार के प्रतिनिधियों की आँखें खोल देगा।
  • उनका स्वप्न एक यह भी था कि एटम का प्रयोग मानव-जाति की सेवा में किया जाएगा।
  • 18 अप्रैल, 1955 को जब एल्बर्ट आइन्स्टीन की मृत्यु हुई,
  • तब भी वे सृष्टि को चालित करने वाले अन्तर्यामी नियमों को गणित की सरलता में सूत्रित करने में ही रत थे।

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