Sunday, December 7, 2025
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ईसा मसीह बलिदान उत्सव Good friday

ईसा मसीह बलिदान उत्सव
ईसा मसीह बलिदान उत्सव

गुड फ्राइडे को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है, तो वहीं ईस्टर संडे एक खुशी का दिन है। ऐसे में साल 2025 में 18 अप्रैल को गुड फ्राइडे मनाया जाएगा। वहीं ईस्टर संडे 20 अप्रैल को मनाया जाएगा। गुड फ्राइडे के दिन लोग चर्च जाकर प्रार्थना करते हैं और प्रभु ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं। वहीं ईस्टर के मौके पर लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं। इस दिन पर अंडों का काफी महत्व माना गया है। ईस्टर के खास मौके पर लोग अंडों को अलग-अलग तरह से सजाते हैं और एक-दूसरे को तोहफे के रूप में देते हैं।

  • ईसा मसीह ने हंसते-हंसते मौत को लगे लगाकर साहस का परिचय दिया और समस्‍त मानव जाति को यह संदेश दिया कि समाज के कल्‍याण के लिए अपना जीवन भी कुर्बान करना पड़े तो कर दो। यही वजह है कि ईसा मसीह के मृत्‍यु दिवस को गुड फ्राइडे कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब यहूदी शासकों ने ईसा मसीह को तमाम शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया था तो उस दिन शुक्रवार था।
  • इस घटना के तीन दिन बाद संडे को यीशू फिर से जीवित हो गए थे, जिसे ईस्‍टर संडे के रूप में मनाते हैं। गुड फ्राइडे को ईसाई धर्म के लोग कुर्बानी दिवस के रूप में मनाते हैं। गुड फ्राइडे के दिन चर्च में न तो घंटिया बजाई जाती हैं और न ही मोमबत्‍ती जलाई जाती हैं। इस दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में काले कपड़े पहनकर आते हैं और शोक सभाएं आयोजित करते हैं। कुछ लोग इसे ब्‍लैक फ्राइडे भी कहते हैं।

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गुड फ्राइडे का इतिहास/History of Good Friday
  • ईसा मसीह बलिदान उत्सवगुड फ्राइडे का इतिहास करीब 2005 साल पुराना माना जाता है। तब यीशू यरुशलम में रहकर मानवता के कल्‍याण के लिए भाईचारे, एकता और शांति के उपदेश देते थे। लोगों ने परमात्‍मा का दूत और उनकी संतान मानना शुरू कर दिया था। आम लोग उनकी बातों से बहुत प्रभावित होते थे। यह बात तत्‍कालीन यहूदी शासकों को नागवार गुजरी।
  • उन्‍होंने यीशू पर राजद्रोह का मुकदमा चलाकर उन्‍हें सूली पर लटकवा दिया। सूली पर चढ़ाने से पहले उन पर बेइंतहा जुर्म किए गए। उन्‍हें कांटों का ताज पहनाया और उन्‍हें सूली को अपने कंधे पर ले जाने के लिए मजबूर किया। सबसे आखिरी में उनके हांथों में कील ठोकते हुए उन्‍हें सूली से लटका दिया गया।
क्या थे ईसा मसीह के आखिरी शब्?/ What were the last words of Jesus Christ?
  • जिस वक्‍त यीशू को सूली पर चढ़ाया जा रहा था उस वक्‍त भी वह मानव कल्‍याण की ही बातें कर रहे थे। उन्‍होंने सबसे आखिर में कहा, हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं…’।
कैसे मनाते हैं गुड फ्राइडे?/How do people celebrate Good Friday?
  • गुड फ्राइडे को ईसा मसीह के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन चर्च में किसी प्रकार की आवाज किए बिना शांति प्रार्थना की जाती है। न ही घंटे घड़ियाल बजाए जाते और ही मोमबत्‍ती जलाई जाती है। इस दिन लोग काले कपड़े पहनकर चर्च जाते हैं।
  • कुछ लोग इस दिन व्रत करते हैं और ईसाइयों के पवित्र ग्रंथ बाइबिल का पाठ करते हैं। लोग इस दिन जाने अनजाने में किए पापों के लिए प्रभु से क्षमा याचना करते हैं। उनको ऐसा विश्‍वास है कि इस दिन प्रभु उनकी सारी गलतियां माफ कर देते हैं।

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क्यों मनाए जाते हैं ये दिन?/ Why are these days celebrated?
  • ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार, रोम में ईसा मसीह लोगों को प्रेम का संदेश दिया करते थे, जिस कारण उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई। इस कारण वहां के धर्म गुरुओं को यह डर था कि उनकी लोकप्रियता कम हो जाएगी।
  • तब यहूदी शासकों ने प्रभु यीशु पर राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई।इस दौरान ईसा मसीह को कई तरह की यातनाएं दी गई और फिर उन्हें सूली में लटका दिया गया। कहा जाता है कि जिस दिन प्रभु यीशु ने प्राण त्यागे थे, उस दिन शुक्रवार था, लेकिन इसके बाद आने वाले संडे पर एक चमत्कार हुआ और प्रभु ईसा मसीह दोबारा जीवित हो गए।
  • इस दिन पर ईसा मसीह ने लोगों के लिए बलिदान दिया था इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है। वहीं ईस्टर संडे को प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने की खुशी में मनाया जाता है।
ईस्टर पर लौटे थे ईसा मसीह/ Jesus Christ returned on Easter
  • मान्यता के अनुसार, जब प्रभु ईशु को गुड फ्राइडे के दिन सूली पर चढ़ाया गया था, तब तीसरे दिन यानी रविवार को वे जीवित हो उठे थे। उनके जीवित होने के उपलक्ष्य में ही ईस्टर सन्डे मनाया जाता है। गुड फ्राइडे के अवसर पर कैथोलिक ईसाई चर्च में मिस्सा अनुष्ठान किया जाता है।
  • यह ईसाइयों का प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है. इस अनुष्ठान के दौरान चर्च में ईसा मसीह के सामने लोग अपने पापों का प्रायश्चित भी करते हैं. यह मान्यता है कि ईसा मसीह अपनी मृत्यु के तीन दिन बाद पुनर्जीवित हुए थे, जो एक रविवार को हुआ. इसी दिन को ईस्टर सण्डे के रूप में मनाया जाता है। ईसाई धर्म के अनुयायी इस पर्व को लगभग 40 दिनों तक मनाते हैं, जो ईस्टर से पहले आता है।

 

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– सारिका असाटी

 

 

 

 

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