Saturday, December 6, 2025
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अमिताशाह की रणनीति/Amitashah’s strategy

अमिताशाह की रणनीति/Amitashah's strategy
अमिताशाह की रणनीति/Amitashah’s strategy

भारतीय राजनीति की जानकारी रखने वाले व्यक्ति को गृह मंत्री अमित शाह के बारे में जरूर मालूम होगा। अमित शाह की गिनती भारतीय राजनीति के दिग्गज नेताओं के तौर पर होती है। हालांकि, यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है। राजनीति की बारीकियों की समझ और सरकार बनाने में महारत हासिल रखने वाले अमित शाह को बीजेपी का चाणक्य कहा जाता है। उन्होंने अपने बूते कई राज्यों में बीजेपी की सरकार बनवाई है।

अमित शाह आज 59 साल के हो गए हैं। आज (22 अक्टूबर) ही के दिन साल 1964 में मुंबई में उनका जन्म हुआ था। अमित शाह के नेतृत्व में ही बीजेपी को 2014 के लोकसभा चुनाव में बंपर जीत मिली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उदय के पीछे अमित शाह की रणनीतियां ही थीं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत 1980 में हुई थी। तब से लेकर अब तक वह लगातार सत्ता की सीढ़ियां चढ़ते हैं और सत्ता के शिखर पर चढ़ते हुए आज देश के गृह मंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर/How did the political journey begin?

अमित शाह के राजनीतिक सफर की शुरुआत की वजह उनका परिवार रहा है, जो राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा हुआ था। वह अपने कॉलेज के दिनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य बन गए। आगे चलकर वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हुए। पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने लगातार जमीनी कार्य किया और संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2002 में सामने आई, जब उन्हें गुजरात का गृह मंत्री बनाया गया। यह वह समय था जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और अमित शाह उनके सबसे भरोसेमंद सहयोगी बन गए। गृह मंत्री रहते हुए उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था को मज़बूत किया और कई अहम विभागों का कार्यभार संभाला।

2014 में बीजेपी ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की। कई राज्यों में उन्होंने बीजेपी की संगठनात्मक पकड़ को मजबूत किया और वहां पार्टी की सरकारें बनवाने में अहम भूमिका निभाई। 2019 में बीजेपी ने दोबारा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की और उन्हें भारत का गृह मंत्री नियुक्त किया गया।

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क्यों चाणक्य कहलाते हैं अमित शाह/Why is Amit Shah called Chanakya?

अमित शाह को भारतीय राजनीति का चाणक्य यूं ही नहीं कहा जाता। उन्होंने जिस तरह से संगठन को खड़ा किया, उम्मीदवारों का चयन किया, बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया और जनभावना को समझते हुए चुनावी रणनीतियां बनाई, वह बेजोड़ मानी जाती हैं।

2014 के चुनावों में जहां बीजेपी ने अकेले दम पर सरकार बनाई, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को पहले से भी अधिक सीटें मिलीं। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में बीजेपी को बहुमत दिलाना, पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार बनाना और महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार जैसे राज्यों में गठबंधन को सफलतापूर्वक संभालना, उनकी राजनीतिक सूझबूझ का प्रमाण है।

यह भी उल्लेखनीय है कि अमित शाह ने केवल चुनावी रणनीति नहीं बनाई, बल्कि संगठनात्मक ढांचे को ऐसा मजबूत किया कि कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ बन गए। सोशल मीडिया, जनसंपर्क, और जमीनी मुद्दों को जोड़ते हुए उन्होंने बीजेपी को एक चुनाव जीतने वाली मशीन में बदल दिया।

खुद को चाणक्य कहे जाने पर अमित शाह कहते हैं, “मैंने कभी खुद को चाणक्य नहीं कहा है और न ही वैसा बनने का दावा किया है। मैं चाणक्य के आगे बहुत छोटा आदमी हूं, लेकिन मैंने उनके बारे में बहुत पढ़ा और समझा है। मेरे कमरे में उनकी तस्वीर भी लगी है।”

गृह मंत्री के रूप में भूमिका/Role as Home Minister

गृह मंत्री बनने के बाद अमित शाह ने कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसलों में केंद्रीय भूमिका निभाई। अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय उनके कार्यकाल का सबसे बड़ा कदम माना जाता है, जिससे जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया गया। इसके अलावा उन्होंने सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) जैसे विवादास्पद परंतु निर्णायक विधेयकों को भी संसद में सफलतापूर्वक पारित कराया।

देश की आंतरिक सुरक्षा, सीमा पर निगरानी, साइबर क्राइम पर नियंत्रण, और एनआईए जैसी एजेंसियों को और अधिक सशक्त करने की दिशा में उन्होंने कई योजनाएं लागू की हैं। इसके साथ ही देशभर में कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं।

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एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाला नेता/A strong-willed leader

अमित शाह आज भारतीय राजनीति के सबसे शक्तिशाली नेताओं में से एक हैं। उनकी रणनीतिक सोच, जमीनी पकड़ और निर्णय लेने की क्षमता उन्हें भीड़ से अलग बनाती है। उन्होंने यह साबित किया है कि यदि किसी नेता में दूरदृष्टि, समर्पण और संगठनात्मक कौशल हो, तो वह किसी भी राजनीतिक दल को शिखर तक पहुंचा सकता है। वह आज भी भारतीय राजनीति के सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में गिने जाते हैं।

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– सारिका असाटी
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