Sunday, September 14, 2025
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हैदराबाद मुक्ति दिवस इतिहास/Hyderabad Liberation Day History

 

हैदराबाद मुक्ति दिवस इतिहास/Hyderabad Liberation Day History
हैदराबाद मुक्ति दिवस इतिहास/Hyderabad Liberation Day History

हैदराबाद मुक्ति दिवस 17 सितंबर को निजाम शासन से क्षेत्र की मुक्ति और 1948 में भारतीय संघ में इसके एकीकरण की याद में मनाया जाता है।निज़ामों के अधीन एक प्रमुख भारतीय रियासत, हैदराबाद ने ब्रिटिश संप्रभुता को स्वीकार कर लिया था। सातवें निज़ाम, मीर उस्मान अली, दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक थे। अपने सामरिक आकार और स्थान के कारण, हैदराबाद स्वतंत्रता के बाद भारत में विलय करने वाली अंतिम रियासतों में से एक थी।

हैदराबाद मुक्ति दिवस/hyderabad liberation day

केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की थी कि वह हर साल 17 सितंबर को ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाएगी। यह भारत के स्वतंत्रता-पश्चात इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण की महत्वपूर्ण स्वीकृति का प्रतीक है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, इस निर्णय का उद्देश्य हैदराबाद को निजाम के शासन से मुक्त कराने के लिए लड़ने वालों के साहस को याद करना और युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाना है।

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हैदराबाद मुक्ति दिवस 17 सितंबर को क्यों मनाया जाता है?/Why is Hyderabad Liberation Day celebrated on 17 September?

हैदराबाद मुक्ति दिवस 17 सितंबर को मनाया जाता है, क्योंकि 1948 में हैदराबाद क्षेत्र को निज़ामों के शासन से मुक्त कर भारत संघ में शामिल किया गया था।

इसके बाद भारत के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा शुरू किया गया ‘ऑपरेशन पोलो’ नामक सैन्य अभियान चलाया गया।

यह ऑपरेशन निज़ाम के शासन और रजाकारों द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ एक निर्णायक कार्रवाई थी। रजाकार निज़ाम के प्रति वफादार एक निजी मिलिशिया थे, जिन्होंने हैदराबाद को स्वतंत्र भारत में विलय करने का विरोध किया था

इतिहास/History

15 अगस्त, 1947 को भारत को आज़ादी मिलने के बाद, हैदराबाद 13 महीने तक निज़ाम के शासन में रहा। निज़ाम के निजी मिलिशिया, रजाकारों ने हैदराबाद के भारत में विलय का कड़ा विरोध किया और इस दौरान कई अत्याचार किए। 17 सितंबर, 1948 को, भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने हैदराबाद को निज़ाम के शासन से मुक्त कराने के लिए एक सैन्य अभियान “ऑपरेशन पोलो” शुरू किया।

ऑपरेशन के बाद, आसफ जाही वंश के सातवें शासक, निज़ाम मीर उस्मान अली खान ने 17 सितंबर, 1948 को आत्मसमर्पण कर दिया। कई लोग इस दिन को हैदराबाद के भारतीय संघ में शामिल होने के रूप में देखते हैं। हालाँकि, औपचारिक विलय बाद में, 26 जनवरी, 1950 को हुआ, जब निज़ाम को हैदराबाद राज्य का राजप्रमुख (राज्यपाल) नियुक्त किया गया।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएमआईएम) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को दावा किया कि उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के बजाय ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ नाम से समारोह मनाने की मांग की थी। उन्होंने यह दावा केंद्र सरकार द्वारा 17 सितंबर को ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने की घोषणा करने के महज कुछ घंटों के बाद किया।

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ओवैसी ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ लड़ने वाले क्रांतकारियों तुर्रेबाज खान और मौलवी अलाउद्दीन के बलिदानों को याद करते हुए कहा कि हैदराबाद रियासत में रहने वाले आम हिंदुओं और मुसलमानों ने लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और गणतंत्र सरकार के तहत एकीकृत भारत की वकालत की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘यह रेखांकित किया जाना चाहिए कि विभिन्न रजवाड़ों का विलय निरंकुश शासकों से क्षेत्रों को स्वतंत्र कराने भर नहीं था। सबसे अहम बात है कि राष्ट्रवादी आंदोलन ने इन क्षेत्रों के लोगों को स्वतंत्र भारत के अभिन्न अंग के तौर पर देखा। इसलिए केवल मुक्ति शब्द का इस्तेमाल करने के बजाय ‘ राष्ट्रीय एकीकरण दिवस’ अधिक उचित होगा।’’

उन्होंने पत्र में लिखा कि हैदराबाद रियासत के लोगों का उपनिवेशवाद, सामंतवाद और निरंकुश शासन के खिलाफ संघर्ष राष्ट्रीय एकीकरण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इसे केवल जमीन के एक टुकड़े को ‘मुक्त’कराने की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि आजादी के अमृत महोस्त्व के तहत वह एक वर्ष तक चलने वाले कार्यक्रम के साथ 17 सितंबर को ‘‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’’मनाएगी।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री के जी किशन रेड्डी ने 17 सितंबर के समारोह में आमंत्रित करने के लिए तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है।

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– सारिका असाटी
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