Sunday, December 7, 2025
Homeविशेषहनुमान जयंती- महान थी श्री हनुमान की संगीत कला

हनुमान जयंती- महान थी श्री हनुमान की संगीत कला

ऋषियों को दिखाया अपनी संगीत कला का सौंदर्य

हिमालय से भी मजबूत हौसला, मक्खन से भी नर्म दिल के स्वामी हैं पवनसुत श्री हनुमान। भगवान श्री राम की अतुलित भक्ति रखने वाले श्री हनुमान की संगीत कला भी अतुलित ही थी।

पौराणिक कथा

हनुमान एक शत्तिशाली योद्धा होने के साथ-साथ महान संगीतज्ञ भी रहे। एक पौराणिक कथा है, एक नारदजी की एक अन्य ऋषि के साथ बहस छिड़ गयी कि महान संगीतज्ञ कौन है। दोनों ऋषि विवाद का फैसला कराने विष्णु के पास गये।

विष्णुजी ने कहा

उन्होंने विष्णुजी से पूछा संपूर्ण ब्रह्माण्ड में श्रेष्ठतम संगीतज्ञ हम दोनों में से कौन है? आप इसका निर्णय करिए।’ विष्णुजी ने मुस्कुराते हुए कहा, `मैं संगीत के विषय में कुछ नहीं जानता। इस विषय के महान ज्ञाता हनुमान जी हैं। आप उनसे फैसला करवा लें।’

ऋषियों ने श्री हनुमान को कम आंका

दोनों ऋषिओं के पैरों तले जमीन खिसक गयी और बोले, `वही हनुमान, जिन्होंने लंका-दहन किया। वे भला निर्णायक कैसे हो सकते हैं और वह भी संगीत के? असंभव है।’

विष्णुजी ने समझाया, `आप लोग जाएं तो सही, वे हिमालय में मिलेंगे। जाने में हानि क्या है?’

आश्चर्यचकित ऋषिद्वय

नारद उन ऋषि के साथ हिमालय पहुंचे। वे यह देखकर आश्चर्य में डूब गये कि हनुमान जी मधुर स्वर में कुछ गा रहे हैं। वे इतने लीन हैं कि उन्हें दोनों आगंतुकों का होश ही नहीं है।

हनुमान की ईश-स्तुति

हनुमान नेत्र बंद कर ईश-स्तुति के पद गा रहे हैं और खुद में मस्त हैं।

दोनों ऋषियों ने करतल ध्वनि द्वारा हनुमान जी का ध्यान अपनी ओर आकार्षित किया।

हनुमान जी ने आंखें खोली

हनुमान जी ने आंखें खोली तो देखा, दो ऋषि खड़े हैं।

ऋषियों ने उनसे कहा, `भगवान विष्णु ने हमें आपके पास भेजा है।

फैसला करें कि हम दोनों में से महान संगीतज्ञ कौन है? चूंकि हमारे पास समय नहीं है इसलिए शीघ्र ही अपना निर्णय सुना दें।’

ऋषियों ने किया निवेदन

हनुमान जी ने उनका ईर्ष्यालु व घमंडी स्वभाव देखा।

स्वयं हनुमान तो विनीत व सरल प्रकृति के थे इसलिए कुछ कहा नहीं।

अपनी वीणा उठाई और उसके तार साधने लगे ताकि एक विशेष प्रकार की संगीत धुन बजाई जा सके।

दोनों ऋषि सोचने लगे, यह क्या हो रहा है? कैसे अज्ञानी हैं ये हनुमान? व्यर्थ में समय नष्ट कर रहे हैं।

Read this also 16 गुणों व 12 कलाओं युक्त श्री राम

श्री हनुमान का अप्रतिम संगीत

तभी हनुमानजी ने वीणा के तारों पर मधुर राग छेड़ दिया।

राग तरंगित होते ही महान आश्चर्य घटित होने लगा। इसके बारे में इन ऋषिओं ने कल्पना भी नहीं की थी।

कैसा आश्चर्य? हिमालय की बर्फ पिघलकर बहने लगी।

पहाड़ों से गुजरते हुए पानी की धारा में का प्रवाह तेज हो गया।

दोनों ऋषि यह दृश्य देखकर चकरा गये।

हनुमान जी के सुमधुर संगीत के सामने हिमालय नत-मस्तक है।

बर्फ बनकर बह रहा है। देखते-देखते दोनों ऋषि उस जल में डूबने लगे।

बचाने के लिए वे हनुमान जी से परर्थना करने लगे।

हनुमान जी ने वीणा के तारों पर से अपनी अंगुलियां हटाईं और संगीत थम गया।

पानी पुनः बर्फ बन गया। हनुमान जी ने उन्हें कहा, `आप तो दो महान संगीतकार हैं।

मैं तो एक साधारण-सा विद्यार्थी हूं संगीत कला का।

ऋषिगण हुए नतमस्तक

आप दोनों में से जो बर्फ को पिघलाकर पानी बना दे, वही श्रेष्ठ संगीतज्ञ होगा।

अब क्या था! दोनों अपनी श्रेष्ठता प्रभावित करने के लिए वीणा के तारों पर कवायद करने लगे। लेकिन अफसोस कि कोई भी संगीत द्वारा बर्फ को पिघला नहीं सका।

अब निर्णय स्वयं ही हो चुका था। दोनों हार चुके थे संगीतज्ञ की सर्वश्रेष्ठता में।

हनुमान ही उस समय के सर्वश्रेष्ठ संगीतज्ञ हैं, ऐसा उन्होंने स्वीकार कर लिया।

लोगों ने जाना कि हनुमान श्रीराम के परम भत्त, महान योद्धा के साथ ही महान संगीतकार भी थे।

assanhain
assanhainhttps://assanhain.net.in
`assanhain' is your inspirational, entertainment, health and fashion website. We provide you with the latest and accurate details straight from the authentic sources.
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments