Sunday, December 7, 2025
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विश्वकर्मा पूजा विधि सामग्री/Vishwakarma puja ritual material

 

विश्वकर्मा पूजा विधि सामग्री/Vishwakarma puja ritual material
विश्वकर्मा पूजा विधि सामग्री/Vishwakarma puja ritual material

आवश्यक सामग्री | Puja Samagri List

  • भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति / चित्र
  • पूजा चौकी और लाल/पीले वस्त्र
  • फूल (गेंदा, लाल गुलाब) और माला
  • धूप, दीपक और घी/तेल
  • नारियल, सुपारी और अशोक पत्ते
  • पान, इलायची, लौंग
  • मिठाई या विशेष भोग (लड्डू/हलवा)
  • कुमकुम, अक्षत (चावल), रोली, हल्दी
  • पीला या लाल धागा (मौली)
  • औज़ार/मशीन की साफ-सफाई के लिए कपड़ा
  • जल से भरा कलश
  • नारियल और पत्तियां कलश स्थापना हेतु

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पूजा विधि | Step-by-Step Vishwakarma Puja Vidhi

विश्वकर्मा पूजा विधि सामग्री/Vishwakarma puja ritual material

  1. स्थान की शुद्धि करें (Clean the Place):
    पूजा स्थल और औज़ार/मशीन की अच्छे से सफाई करें।
  2. चौकी की स्थापना (Set the Altar):
    चौकी पर लाल/पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
  3. कलश स्थापना (Kalash Sthapana):
    जल, सुपारी और आम/अशोक पत्तियों से भरा हुआ एक कलश रखें और उसके ऊपर नारियल रखें।
  4. संकल्प एवं आह्वान (Sankalp and Invocation):
    भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें और संकल्प लें – “हे विश्वकर्मा प्रभु, हमें शिल्प, तकनीक और श्रम में सफलता व समृद्धि प्रदान करें।”
  5. पूजन सामग्री अर्पण (Offerings):
    मूर्ति/चित्र पर रोली, चावल, फूल, माला, धूप और दीप अर्पित करें।
  6. औजारों की पूजा (Tools & Machinery Puja):
    अपने औजार, मशीनें, वाहन आदि पर कुमकुम, फूल चढ़ाएं और दीया दिखाएं। इसे ‘औजार पूजन’ कहते हैं।
  7. विशेष मंत्रोच्चार (Chanting):
    यदि संभव हो तो विश्वकर्मा स्तोत्र का पाठ करें और “ॐ विश्वकर्मणे नमः” मंत्र का 11 या 21 बार जप करें।
  8. भोग अर्पण (Offer Sweets):
    लड्डू, फल या खास प्रसाद भगवान को अर्पित कर परिवार व साथियों में वितरित करें।
  9. आरती (Aarti):
    दीप और अगरबत्ती से भगवान विश्वकर्मा की आरती करें, साथ ही श्रम, उद्योग और सफलता के लिए प्रार्थना करें।
  10. प्रसाद वितरण (Prasad Distribution):
    भोग को सभी उपस्थित लोगों में बांटें और प्रसाद ग्रहण करें।

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निष्कर्ष | Conclusion

विश्वकर्मा पूजा केवल धार्मिक आयोजन नहीं है बल्कि यह श्रम, तकनीकी कुशलता और कारीगरों का सम्मान है। जब हम अपने औज़ारों और मशीनों की पूजा करते हैं तो वास्तव में हम यह स्वीकार करते हैं कि श्रम ही पूजा है और सृजन ही ईश्वर है।

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