
2 अक्टूबर भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीजी की जयंती होती है। देश को ‘जय जवान जय किसान’ देने वाले शास्त्रीजी की पूरी जिंदगी सादगी और ईमानदारी की मिसाल थी। 2 अक्टूबर भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीजी की जयंती होती है। देश को ‘जय जवान जय किसान’ देने वाले शास्त्रीजी की पूरी जिंदगी सादगी और ईमानदारी की मिसाल थी।
बेहद प्रेरक हैं शास्त्रीजी / shastri ji is very inspiring
नहीं करते थे सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल
लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री ने अपनी किताब ‘लाल बहादुर शास्त्री, मेरे बाबूजी में देश के पूर्व प्रधानमंत्री के जीवन से जुड़े कई आत्मीय प्रसंग साझा किए हैं। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि उनके पिता सरकारी खर्चे पर मिली कार का प्रयोग नहीं करते थे। एक बार उन्होंने अपने पिता की कार चला ली तो उन्होंने किलोमीटर का हिसाब कर पैसा सरकारी खाते में जमा करवाया था।
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पत्नी के लिए नहीं ली महंगी साड़ी
शास्त्रीजी एक बार अपनी पत्नी और परिवार की अन्य महिलाओं के लिए साड़ी खरीदने मिल गए थे। उस वक्त वह देश के प्रधानमंत्री भी थे। मिल मालिक ने उन्हें कुछ महंगी साड़ी दिखाई तो उन्होंने कहा कि उनके पास इन्हें खरीदने लायक पैसे नहीं हैं। मिल मालिक ने जब साड़ी गिफ्ट देनी चाही तो उन्होंने इसके लिए सख्ती से इनकार कर दिया।
घर से हटवा दिया था सरकारी कूलर
शास्त्रीजी मन और कर्म से पूरे गांधीवादी थे। एक बार उनके घर पर सरकारी विभाग की तरफ से कूलर लगवाया गया। जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री को इस बारे में पता चला तो उन्होंने परिवार से कहा, ‘इलाहाबाद के पुश्तैनी घर में कूलर नहीं है। कभी धूप में निकलना पड़ सकता है। ऐसे आदतें बिगड़ जाएंगी।’ उन्होंने तुरंत सरकारी विभाग को फोन कर कूलर हटवा दिया।
फटे कुर्ते से बनवाते थे रुमाल
शास्त्रीजी बहुत कम साधनों में अपना जीवन जीते ते। वह अुनी पत्नी को फटे हुए कुर्ते दे दिया करते थे। उन्हीं पुराने कुर्तों से रुमाल बनाकर उनकी पत्नी उन्हें प्रयोग के लिए देती थीं।
अकाल के दिनों में रखा था एक दिन का व्रत
अकाल के दिनों में जब देश में भुखमरी की विपत्ति आई तो शास्त्रीजी ने कहा कि देश का हर नागरिक एक दिन का व्रत करे तो भुखमरी खत्म हो जाएगी। खुद शास्त्रीजी नियमित व्रत रखा करते थे और परिवार को भी यही आदेश था।
शिक्षा में सुधारों के थे हिमायती
शास्त्रीजी के बेटे सुनील शास्त्री कहते हैं, ‘बाबूजी देश में शिक्षा सुधारों को लेकर बहुत चिंतित रहते थे। अक्सर हम भाई-बहनों से कहते थे कि देश में रोजगार के अवसर बढ़ें इसके लिए बेहतर मूल्यपरकर शिक्षा की जरूरत है।’
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शास्त्रीजी की टेबल पर रहती थी हरी दूब
पिता के संस्मरण पर लिखी किताब में शास्त्रीजी के बेटे सुनील शास्त्री ने बताया, ‘बाबूजी की टेबल पर हमेशा हरी घास रहती थी। एक बार उन्होंने बताया था कि सुंदर फूल लोगों को आकर्षित करते हैं लेकिन कुछ दिन में मुरझाकर गिर जाते हैं। घास वह आधार है जो हमेशा रहती है। मैं लोगों के जीवन में घास की तरह ही एक आधार और खुशी की वजह बनकर रहना चाहता हूं।’
लाल बहादुर शास्त्री का अवलोकन
गुण | विवरण |
पूरा नाम | लाल बहादुर शास्त्री |
जन्म | 2 अक्टूबर, 1904 |
जन्म स्थान | मुगलसराय, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (अब उत्तर प्रदेश, भारत में) |
मृत | 11 जनवरी, 1966 |
मृत्यु का स्थान | ताशकंद, उज़्बेक एसएसआर, सोवियत संघ (अब उज़्बेकिस्तान में) |
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल | 9 जून, 1964 – 11 जनवरी, 1966 |
पूर्ववर्ती | जवाहरलाल नेहरू |
उत्तराधिकारी | गुलजारीलाल नंदा (अभिनय) |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
उल्लेखनीय योगदान/कार्य | – दूध के उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान – श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया। खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत में हरित क्रांति की वकालत की। – 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान “जय जवान जय किसान” का नारा दिया। – 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे भारत को जीत मिली। |
शिक्षा | उन्होंने काशी विद्यापीठ, वाराणसी में अध्ययन किया, जहाँ उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। |
कैरियर का आरंभ | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और सरकार में विभिन्न पदों पर रहे। |
परंपरा | भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण दौर में उनकी सादगी, ईमानदारी और नेतृत्व के लिए याद किया जाता है। |
लाल बहादुर शास्त्री की विरासत
शास्त्री जी हमेशा अपनी सादगी भरी जीवनशैली और जनसेवा के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते थे। शास्त्री जी ने एकता और लचीलेपन को बढ़ावा दिया। शास्त्री जी एक महान नेता भी थे जो शांति में विश्वास करते थे। भारत के विकास में शास्त्री जी का योगदान और चुनौतीपूर्ण समय में उनका नेतृत्व पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
लाल बहादुर शास्त्री का प्रसिद्ध नारा ” जय जवान जय किसान ” है
लाल बहादुर शास्त्री के प्रेरक उद्धरण क्या हैं
“हम न केवल अपने लिए बल्कि पूरे विश्व के लोगों के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास करते हैं।”
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