हर औरत में प्रतिभा का भंडार होता है
एक बड़ा संघर्ष ही एक बड़ी सफलता का इतिहास रचता है। हर औरत में प्रतिभा का भंडार होता है। महिला सशक्तिकरण के साथ महिला खुद बड़ी शक्ति बन बैठी है। पुरुष प्रधान समाज होते हुए भी आज के युवा अपनी जीवनसंगिनी में ऐसी युवती की खोज कर रहे हैं जो उसके साथ मिलकर घर चलाने में योगदान दे सके। महिलाओं की प्रतिभाओं ने समाज की सोच को बदला ही नहीं है, बल्कि उसे एक नया स्वरूप भी दिया है। आइए, हमारे समाज की कुछ ऐसी नामचीन महिलाओं के बारे में जानें जो आज खेल हो या चूल्हा-चौकी या फिर हमारा धर्म, अपने ज्ञान, अपने हुनर और मेहनत के बलबूते पर वह सफलता की खूबसूरत कहानियां रच रही हैं।
- स्मृति मंधाना
एक भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी हैं, जो भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए खेलती हैं। स्मृति मुख्य रूप से बाएँ हाथ से बल्लेबाजी करती हैं। उन्होंने 2017 के महिला क्रिकेट विश्व कप में दो शतक भी लगाये थे।
आईसीसी ने उन्हें 2021 का तीनों फॉर्मेट में बेस्ट वुमेन्स क्रिकेटर चुना है। क्रिकेटर बनने के लिए अपने भाई से प्रेरित स्मृति 9 वर्ष की आयु में ही महाराष्ट्र अंडर 15 की टीम में चुनी गयी थीं। 11 वर्ष की आयु में उन्हें महाराष्ट्र अंडर 19 की टीम के लिए चुना गया। मंधाना की पहली सफलता उन्हें तब मिली जब वह अक्टूबर 2013 में हुई एकदिवसीय मैच में डबल शतक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
महिला हो या पुरुष, वह टी-20 इंटरनेशनल में सबसे कम उम्र में कप्तानी संभालने वाली भारतीय कप्तान रही हैं।
- निशा मधुलिका
निशा मधुलिका यूटय़ूब दुनिया की कुकिंग क्वीन हैं। 50 वर्ष की आयु में जिस पड़ाव में लोग अक्सर रिटायरमेंट लेने की सोचते हैं, उस उम्र में निशा ने खाना बनाने के पैशन को यूटय़ूब के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुंचाया। साइंस ग्रेजुएट निशा पहले दिल्ली में पति के साथ वेब डेवलपमेंट कंपनी में एकाउंटिंग का काम संभालती थीं, लेकिन नोएडा शिफ्ट होने के कारण उन्होंने ऑफिस जाना बंद किया और घर संभालना शुरू कर दिया था। घर की जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद भी उनके पास 6 घंटे फ्री रहते थे और वह इन 6 घंटे को किसी अच्छे काम में लगाना चाहती थीं। निशा ने 2007 में अपना ब्लॉग लिखना शुरू किया। उन्हें किसी ने सलाह दी कि वह अपनी एक वेबसाइट बनाएं। वेबसाइट पर रेसिपी अपलोड करने से उन्हें काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा। बाद में उन्होंने यूटय़ूब पर वीडियो अपलोड करना शुरू कर दिया।
जैसे-जैसे वीडियो अपलोड होने लगे, वैसे-वैसे उनके चाहने वाले बढ़ने लगे और पैसे भी आने लगे। निशा मधुलिका के काम को भारत और अन्य देशों में सराहा गया। 2012 में उनको रेसिपी स्कूल ऑफ इंडिया का अवार्ड मिला। 2014 में यूटय़ूब पर चिपका अवार्ड मिला।
आज निशा की उम्र 70 वर्ष है। पैसे कमाने के तौर पर देखा जाए तो उनका नाम किसी भी टॉप आईटी कंपनी के सीईओ जितना है। कड़ी मेहनत की वजह से उनके चैनल पर आज सिक्स पॉइंट वन मिलियन से भी ज्यादा सब्सक्राइबर हैं।
- जया किशोरी
भगवान् कृष्ण की भक्ति में लीन आज के युग की मीरा बाई कही जाने वाली जया किशोरी मूल रूप से राजस्थान से नाता रखने वाली कथावाचक होने के साथ-साथ मोटिवेशनल स्पीकर हैं। जया किशोरी का असली नाम जया शर्मा है। राजस्थान के एक छोटे से गाँव सुजानगढ़ की जया एक गौड़ ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
जया किशोरी के परिवार का माहौल शुरू से ही अध्यात्म की ओर रहा है। मात्र 6-7 साल की उम्र में जया का आध्यात्मिक सफर शुरू हुआ था। दादा-दादी का उन पर काफी प्रभाव पड़ा। उनके दादा-दादी उन्हें भगवान् श्री कृष्ण जी की कहानियां सुनाया करते थे। मात्र 9 साल की उम्र में जया किशोरी ने लिंगाष्टकम, शिव तांडव स्तोत्र, मधुराष्टकम, शिवपंचाक्षर स्तोत्र, दारिद्रय दहन, शिव स्तोत्र जैसे कई स्तोत्र याद कर लिए थे। साथ ही गीत-संगीत भी शुरू कर दिया था। जया ने मात्र 10 वर्ष की आयु में अमोघफलदायी सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड गाया था। जया हमेशा से ही खुद को एक साधारण लड़की मानती हैं। वह खुद को साध्वी या संत कहलाना पसंद नहीं करतीं।