Sunday, December 7, 2025
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नव संवत कोटि अभिनंदन

नव संवत कोटि अभिनंदन
नव संवत कोटि अभिनंदन

नव संवत कोटि अभिनंदन हे! नव संवत् तुम्हारा कोटि अभिनंदन

ब्रह्मा जी ने किया चैत्र में सृष्टि सृजन।

वर्ष प्रतिपदा का दिन,चैत्र का महिना

अयोध्या के राम बने राजा दशरथ नंदन।।

 

हे! नव संवत् क्या करुं मैं गुणगान

होय पहले ही दिन शक्ति का आह्वान।

गुडी पडवा पर विजय ध्वज फहरें

लिए नव उमंग -ऊर्जा , नव पल्लव-धान ।।

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नव संवत कोटि अभिनंदन

हे! नव संवत् तुम-सा नहीं कोई दूजा

इसी दिन विक्रम संवत् चहुंओर गूंजा।

मंदिर-मंदिर आरती होय दीप जले अखंड

माँ दुर्गा, गणगौर माता की घर-घर होय पूजा।।

 

हे ! नव संवत् का अभिनंदन फूल-पलास

पेडों की कोंपल चली,नव पल्लव की आस।

आमों की बगिया फली कोयल करें पुकार

भौंरा फूलन रस पिये मस्ती भरा चैत्र मास।।

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हे! नव संवत् दो जन-जन को बुध्दि

जनहीत के भावों की हो अनंत वृद्धि।

मंगलमय हो घर -आंगन,भूमंडल

हो भारत की यश -कीर्ति में अभिवृद्वि।।

– गोपाल कौशल भोजवाल

 

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