कहाँ से आई कॉफी
पूरी दुनिया में कॉफी लवर्स की कमी नहीं है। कॉफी में कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो मनुष्य के शरीर, उसके मस्तिष्क और उसकी ज़ुबान को बेहद आकर्षित करते हैं। कॉफी आज पूरे विश्व में अपने जलवे दिखा रही है। इसकी खोज का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है ।
कॉफी के विविध स्वाद
कॉफी एक फल है, जिसे पेड़ से तोड़कर सुखाने के बाद पीसकर तैयार किया जाता है ।
इसमें ऐसा नशा है कि इसके मूल बीज में अनेक स्वाद भर दिए गए, लेकिन स्वाद की सनसनी और उत्तेजना कायम रखी गई ।
पूरी दुनिया में आज ब्लैक कॉफी के अलावा एस्प्रेसो (Espresso), कैपेचीनो (Cappuccino), अमेरिकैनो ((Americano), आईरिश(Irish), टर्किश (Turkish), इटेलियन एस्प्रेसो(Itelian espresso), लात्ते (Latte) बेहद पसंद किए जाते है ।
दुनिया के हर शॉपिंग मॉल, एयरपोर्ट या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर पहुंचेंगे तो वहां आपके स्वागत में कोई ना कोई शानदार कॉफी चेन जरूर होगी।
भारत में सबसे प्रसिद्ध नेस्कैफे के साथ ही स्टारबक्स, कैफे कॉफी डे, कैफे नीरो, कॉस्टा ग्रेस आदि के आउटलेट शामिल हैं।
ऐसा क्या है कॉफी में, जबकि विशेषज्ञ कहते हैं कि कॉफी किसी भी समस्या या बीमारी का इलाज नहीं है।
यह सिर्फ उसके बचाव व प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकती है।
इथियोपिया से निकली कॉफी
आइए जानते हैं कॉफी के इतिहास के बारे में।
एक किताब है `अन्न कहां से आता है’ जिसके लिखा है ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका के वनस्पति विज्ञान व पैथोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर व भारतवंशी सुषमा नैथानी ने।
इस किताब के `औपनिवेशक कृषि: बागान कथा’ अध्याय में कॉफी के इतिहास व उसके प्रसार के बारे में उन्होंने विस्तार से लिखा है।
उन्होंने लिखा है कि गुलाम प्रथा को सशक्त करने में कॉफी, चाय व गन्ने की महत्वपूर्ण भमिका रही है।
उनके अनुसार नवीं शताब्दी में इथियोपिया के लोगों ने कॉफी के स्फूर्तिदायक गुणों को सबसे पहले पहचाना।
किंवदंती है कि वहां के एक पहाड़ी गांव के `कल्दी’ नामक चरवाहे ने अपनी बकरियों को एक झाड़ी के बेर खाने के बाद मस्ती में उछलते-कूदते देखा।
उसने जिज्ञासावश कुछ बेर अपने मुंह में डाले तो उसे ताजगी महसूस हुई और पूरे दिन की थकान मिटती लगी।
इस घटना ने पहली बार कॉफी को पहचान दिलाई।
यमन – शुरूआत भी, प्रतिबंध भी
कॉफी सेवन की शुरुआत 13वीं सदी में यमन में हुई।
वहां के सूफियों व धर्मावलंबियों ने इसे भून-पीसकर चूर्ण बनाया और पानी में उबालकर पीना शुरू किया।
इसका पान करने के बाद उन्हें पढ़ने-लिखने व धार्मिक विमर्श करने में मदद मिलती थी।
उन्हें अचानक ही स्फूर्ति मिलने लगती और थकान गायब हो जाती।
धीरे-धीरे कॉफी लोकप्रिय हो गई और पूरे अरब में कॉफी हाउस (कहवा घर) खुल गए।
कॉफी हाउस में आम लोगों के अलावा यात्री, कलाकार, साहित्यकार, धर्मगुरु मिलते और दुनियाभर के विषयों पर बात करते।
बौद्धिक, राजनैतिक बहसें होतीं।
इससे प्रशासन चौकन्ना हो गया।
कहा जाता है कि 16वीं से 17वीं सदी के बीच तुर्की, मक्का, मिस्त्र आदि कई अरब देशों ने इन कहवा घरों पर रोक लगा दी।
पर इन्हें स्थाई रूप से बंद नहीं किया जा सका।
कॉफी हाउस की बदनामी
17वीं सदी में यूरोप के लोगों का कॉफी से परिचय हुआ।
तुर्की के राजदूत सुलेमान आगा ने पेरिस के शाही राजदरबार को कॉफी भेंट स्वरूप दी।
शाही खानदान भी कॉफी का दीवाना हो गया।
यूरोप के सभी प्रमुख शहरों में कॉफी हाउस 17 वीं सदी में आम हो गए थे।
वर्ष 1715 तक लंदन में कॉफी हाउस की संख्या 2000 से ज्यादा हो चुकी थी।
ये कॉफी हाउस भी सामाजिक व राजनैतिक बहस के अड्डे बन गए थे।
उस दौरान कुछ विद्वानों का मानना था कि कॉफी हाउस मयखानों से भी बदतर होते हैं।
वे षडयंत्र के अड्डे बन सकते हैं।
चार्ल्स द्वितीय ने साल 1675 में कहा था कि कॉफी हाउस में असंतुष्ट लोग मिलते हैं और सत्ता के ख़िलाफ दुष्प्रचार करते हैं।
चोरी से भारत आए कॉफी के बीज
सिर्फ उत्तरी अफ्रीका और अरब देशों में ही कॉफी की खेती होती थी। यह 17वीं सदी का दौर था।
अरब सौदागर अपने एकाधिकार के प्रति सतर्क थे।
वे कॉफी को अपने देश से बाहर नहीं जाने देना चाहते थे।
इसकी खेती व प्रोसेसिंग को भी वे गुप्त रखते थे।
सिर्फ उबली या भूनी कॉफी के दाने ही अरब के बाहर जा सकते थे।
ताकि उनके पौधे नहीं उगाए जा सकें।
कॉफी फार्म देखने की इजाजत दूसरे देशों के लोगों को नहीं थी।
माना जाता है कि 1600 के आसपास सूफी हजयात्री बाबा बुदान पहली बार अरब से कॉफी के सात बीज चुराकर लाने में सफल हुए।
दक्षिण भारत के मैसूर में कॉफी को उन्होंने पहली बार उगाया।
वर्ष 1616 में एक डच जासूस ने अरब से कॉफी के बीज चुराए।
जिनसे डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने जावा, सुमात्रा, बाली, श्रीलंका, सूरीनाम में कॉफी के बागान शुरू किए।
इन बागानों में वहां के मूल निवासियों को दास बनाकर काम करवाया गया और उनका भरपूर शोषण हुआ।
इस तरह इस दौर में कॉफी पूरी दुनिया तक पहुँच गई।
दुनिया भर में कॉफी
कॉफी आज पूरी दुनिया में पानी के बाद सबसे लोकप्रिय पेय है।
आजकल सबसे ज्यादा कॉफी लातिन अमेरिका, अफ्रीका व एशिया में पैदा होती है।
ब्राजील व कोलंबिया कॉफी उत्पादन में सबसे आगे हैं।
उसके बाद इंडोनेशिया, मैक्सिको, ग्वाटेमाला, भारत, युंगाडा देशों में इसका उत्पादन होता है।
भारत में कॉफी
भारतीय कॉफी दुनिया की सबसे गुणवत्ता वाली मानी जाती है।
क्योंकि इसे छाँव में उगाया जाता है।
पूरी दुनिया में कॉफी को सीधे सूर्य के प्रकाश में उगाया जाता है।
भारत में सबसे अधिक कॉफी का उत्पादन कर्नाटक में 53 प्रतिशत, केरल में 28 प्रतिशत और तमिलनाडु में 11 प्रतिशत होता है।
भारत में जितनी भी कॉफी पैदा होती है, उसका 80 प्रतिशत हिस्सा निर्यात होता है।
कॉफी का कारोबार पूरी दुनिया में कच्चे तेल के बाद सबसे बड़ा कारोबार है।
करामाती `कैफीन’
शरीर में ऊर्जा का संतुलन
आखिर कॉफी क्या बला है कि इसकी मांग इसके उत्पादन से आज भी अधिक है।
अमेरिकी स्थित नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) की एक रिसर्च के अनुसार कॉफी शरीर में ऊर्जा संतुलित करने का काम करती है।
इससे शरीर में अलर्टनेस बढ़ती है।
साथ ही दैनिक गतिविधियों के प्रदर्शन में भी सुधार हो सकता है।
कॉफी में कैफीन ही है जो इसे लोकप्रिय बनाए हुए है।
मस्तिष्क की कार्यक्षमता
एक अन्य शोध के अनुसार कैफीन युक्त पेय पदार्थों का सेवन करने से कॉग्निटिव (मस्तिष्क संबंधी) गतिविधियां बेहतर हो जाती हैं।
चयापचय
मेटाबॉलिज्म यानी भोजन से ऊर्जा बनने की क्रिया में सुधार होता है।
रिसर्च रिपोर्ट में कॉफी के फायदे
कॉफी पर पूरी दुनिया में लगातार रिसर्च चल रही है।
डायबिटीज का जोखम कम
एनसीबीआई पर मौजूद एक रिसर्च का कहना है कि रोजाना 4 कप कॉफी पीने से टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम 30 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
एक अन्य शोध में कहा गया है कि कॉफी के सेवन से इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है।
जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है।
तंत्रिका तंत्र की सक्रियता
कॉफी में मौजूद कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करने वाला न्यूरोस्टिमुलेंट और तंत्रिका तंत्र को सुरक्षा देने वाला न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव प्रदर्शित करता है।
पार्किंसंस के जोखिम को कुछ हद तक कम करने में मदद मिल सकती है।
लिवर को फायदे
एक अन्य शोध में बताया गया है कि रोजाना 4 कप कॉफी का सेवन करने वाले व्यक्तियों में एंजाइम का स्तर प्रभावित होता है।
शोधानुसार, उनमें एस्पारटेट एमिनोट्रांस्फरेज (Aspartate Aminotranseferase) और एलेनिन एमिनोट्रांस्फरेज (Alanine Aminotranseferase) नामक एंजाइम का स्तर कम पाया गया।
इन दोनों एंजाइम की बढ़ी हुई मात्रा लिवर को नुकसान पहुंचाती है।
सीधा सा अर्थ यही है कि कॉफी लिवर के लिए भी लाभकारी है।
अवसाद में फायदा
एक अन्य शोध कहता है कि जो महिलाएं कॉफी का नियमित सेवन करती हैं, उन्हें अवसाद होने का जोखिम कम हो सकता है।
फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट्स के अनुसार कॉफी में झनझनाहट होती है।
तभी तो यह ऊर्जा और फुर्ती बढ़ाने में मददगार है।
इसीलिए कॉफी का नियमित सेवन कुछ हद तक उच्च रक्तचाप की समस्या, डायबिटीज और Ëदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
त्वचा के लिए लाभदायक
कॉफी में प्रमुखता से मौजूद कैफीन तत्व त्वचा के लिए लाभदायक हो सकता है।
यही कारण है इसका उपयोग कई कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में किया जाने लगा है।
ज्यादा कॉफी नुकसानदायक
- अधिक कॉफी का सेवन शरीर को परेशान कर सकता है।
- इससे अनिद्रा और घबराहट की समस्या हो सकती है।
- साथ ही धड़कन बढ़ने के अलावा जी मिचलाना और सिर दर्द भी हो सकता है।
- इसका ज्यादा सेवन पेट को गड़बड़ा सकता है।
- ब्लड प्रेशर वालों को कॉफी के अधिक सेवन से बचना चाहिए।