संविधान निर्माता
डॉ. भीमराव अंबेडकर

कोई यह नहीं जानता था कि महाराष्ट्र में अछूत जाति के परिवार में 14 अप्रैल को जन्म लेने वाला बालक भीमराव भविष्य निर्माता बनेगा। हजारों सालों से वर्णवाद के पाटों में पिस रहे करोड़ों इंसानों का मसीहा बनेगा। स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण में मुख्य भूमिका निभाएगा। उनके पिता श्रीराम जो एक फौजी थे। उन्होंने भी यह स्वप्न में भी कभी नहीं सोचा था कि उनका बेटा जवान होकर कभी दलित और अछूत सेना का मुखिया बनेगा।
बागी अंबेडकर
- डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सदियों से सताए चले आ रहे लोगों के लिये न्याय की लड़ाई लड़ी।
- जाति-पाति के भेदभाव को मिटाने के लिये पीड़ित लोगों को जत्थेबंद किया।
- फिर बरह्मणों और अभिमानियों से बिजली के समान गर्जन करके उनसे टक्कर लेने का निर्णय ले लिया।
- विरोधियों ने डॉ. साहेब पर कौम विरोधी, बरह्मण विरोधी होने का आरोप लगाया।
- अंग्रेज़ों और मुसलमानों के पक्ष में रहने वाले और हिंदू समाज के बागी तक की संज्ञा दी।
- अछूतों को उनका अधिकार दिलाने में उन्होंने महात्मा गांधी जी से भी टक्कर ली।
दलितों के लिए संघर्ष
- डॉ. साहेब ने दलितों के लिये जुलूस निकाले, भाषण दिये, प्रचार करवाये और अंग्रेज़ों पर उनकी शर्तों को पूरा करने के लिये दबाव डाला।
- उन्होंने उनकी चर्चा देश में ही नहीं वरन् दुनिया भर में की।
अछूतों की नारकीय ज़िंदगी
- बाबा साहेब ने अछूतों की नर्क बनी ज़िंदगी का आंखों देखा हाल बयान किया था।
- उन्होंने देखा कि एक अछूत महिला प्रसूति दर्द से छटपटा रही थी। उसने एक बच्चे को जन्म दिया।
- मां-बच्चे दोनों को बुखार हो गया था, परन्तु डॉक्टर छूआछूत के कारण उनको देखने को तैयार नहीं हुआ।
- बहुत कहने पर उसने उसकी नब्ज़ पर कपड़ा रखकर देखना स्वीकार किया।
- दवा वह दूर से ही देता था जिस कारण जच्चा-बच्चा दोनों ही काल के गरस बन गये।
व्यथित अंबेडकर
3 अत्तूबर, 1934 को डॉक्टर अंबेडकर ने दुखी होकर कहा-
- ऊंची जाति के लिये अछूत पैरों की जूती से भी घटिया हैं।
- उनका व्यवहार हिटलर द्वारा यहूदियों पर हुये ज़ुल्मों और अत्याचारों से कम नहीं।
डॉ. अंबेडकर ने अति दुखी होकर कहा-
- `जब एक देश पर दूसरे देश का कब्ज़ा करना न्याय के विरूद्ध है तो एक जाति को दूसरी जाति द्वारा गुलाम बनाना पशुओं जैसा बर्ताव करना क्या पाप नहीं है।’
डॉ. अंबेडकर ने गोलमेज कांफ्रेंस 1930-31 में अपने भाषण के दौरान धमकी भरे शब्दों में कहा कि-
- अगर अछूत को ऊँची जाति के सरोवरों एवं कुंओं से पानी नहीं पीने दिया जाएगा तो मैं यह केस `लीग ऑफ नेशन्स’ में ले जाऊंगा।
- जहां सारी दुनियां देख सके कि यहाँ कमज़ोरों एवं दलितों के रोने-धोने का कोई लाभ नहीं।
बौद्ध धर्म किया अंगीकार
- दस साल के संघर्ष के बाद 14 अत्तूबर 1955 को नागपुर के विशाल समागम में आयोजित किया गया।
- इसमें बाबा साहब ने अपनी पत्नी एवं 75000 सहयोगियों सहित हिंदू धर्म को सदैव के लिये त्याग कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।
गुरूग्रंथ साहिब के प्रति सम्मान
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- अपनी पुस्तक `मुत्ति कौन पथे’ मराठी में उन्होंने गुरूग्रंथ साहिब के प्रति आदर दर्शाया है।
- सिख धर्म के प्रति प्यार दर्शाते हुए लिखा है कि सिख धर्म ऊंच-नीच को नहीं मानता।
- गुरू अर्जुन देव जी ने `श्री दरबार साहिब’ अमृतसर की नींव मुसलमान फकीर मियां मीर से रखवाई।
- गुरूगंथ साहिब में पवित्र वाणी के साथ-साथ कबीर, नामदेव, बाबा फरीद जी एवं उनके भत्तों की वाणी का समावेश एवं सम्मान किया।

